देश व प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की लगातार बढ़ती संख्या के बीच में हरियाणा सरकार द्वारा बच्चों के स्कूल खोलने बारे के विचार पर प्रेस नोट जारी करते हुए इनैलो प्रदेश प्रवक्ता रजवन्त डहीनवाल ने कहा कि राज्य सरकार इस तरह का फैसला लेने का विचार निजी स्कूल संचालको के दबाब में कर रही है जिनको किसी के बच्चों के स्वास्थ्य से ज्यादा फीस वसूली की चिंता ज्यादा सता रही है ओर इस चक्कर मे कहीं बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ न हो जाए और ये पाठशाला ही प्रयोगशाला न बन जाए। इसराइल का उदाहरण है हमारे सम्मुख है जहाँ हज़ारों बच्चे व स्कूली स्टाफ स्कूल खुलते ही कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए। देश मे कोरोना संक्रमितों की संख्या में प्रतिदिन लगभग 9 हज़ार से ज्यादा की वृद्धि हो रही हैं और मृत्युदर प्रतिदिन 200 से अधिक पहुंच चुकी है जो कि विश्व के अधिकतर देशों से अधिक हैआज भारत की स्तिथि विश्व के सबसे ज्यादा संक्रमित देशों में छटे स्थान पर है और भविष्य में गम्भीर स्तिथि का संकेत है। हरियाणा सरकार के शिक्षामंत्री जुलाई से बच्चों के स्कूल खोलने पर विचार कर रहें हैं, ऐसा कोई भी निर्णय लेने से पूर्व सभी संभावित परिस्थियों पर विचार जरूरी है क्योंकि हल्की सी चूक भी बहुत बड़ी नुकसानदेह साबित हो सकती है। स्थिति की गम्भीरता को देखते हुए इस दौरान स्कूल खोलना कोई जरूरी भी नही है, विश्व के कई देशों ने कोरोना संक्रमण के कारण ऐतिहातन एक वर्ष के लिए स्कूल बंद कर दिए हैं और बच्चों को पुराने आंकलन के आधार पर अगली कक्षा में भेजने की सिफारिश भी की है। ऐसे में हमे भी बहुत सोच समझकर फैसला लेना होगा। समयानुसार इतनी कोई आवश्यकता भी नही है कि स्कूल खोले जाएं, जबकि रिपोर्टों अनुसार बच्चों व बजुर्गो में संक्रमण का खतरा भी अधिक रहता है, इसी को लेकर एक तरफ तो सरकार एडवायजरी जारी करती है कि बच्चों व बुजर्गो को घर से बाहर अति आवश्यक कार्य के लिए निकलना है फिर स्कूल खोलकर क्या बच्चों को घर मे रखा जा सकता है!न तो स्कूलों में बच्चे सोशल डिस्टेंसी को निभा सकते, न मास्क को लगातार लगा सकते न ही हर वक्त सेनेटाइजर का प्रयोग कर सकते इसलिए जब तक संक्रमण का खतरा देश प्रदेश में है तब तक आवश्यकता अनुसार डिस्टेंस एजुकेशन के नियमानुसार बच्चों को पढ़ाया जा सकता है। भारत मे उच्चशिक्षा के कई पाठ्यक्रम जब डिस्टेंस एजुकेशन के नियमानुसार चल रहे हैं। उसी को बढ़ावा फिलहाल की हालात को देखते हुए देना चाहिए!बच्चों के संक्रमण के खतरे व उनके भविष्य को देखते हुए यदि राज्य में भी स्कूलों को बन्द ही रहने दिया जाए तो बेहतर होगा। सभी तथ्यों को सोच समझकर ही हरियाणा सरकार को कोई फैसला लेना चाहिए ताकि बाद में पछताना न पड़े। इस सम्बंध में अभिभावकों की राय लेनी भी जरूरी है। क्योंकि आज कोई भी अभिभावक अपने बच्चों की जान खतरे में नही डालना चाहते इसलिए जो भी निर्णय लिया जाए वो एक पक्ष को देखकर न लिया जाए लिया जाए। Post navigation राव इंद्रजीत सिंह ने इतना बड़ा महाझूठ क्यों और किस लिए बोला, यह समझ से परे : विद्रोही मनेठी एम्स निर्माण में देरी कमजोर प्रतिनिधित्व का नतीजा : रजवन्त डहीनवाल