राईस शूट नीति को ‘तालिबानी फरमान’ करार दिया, मुख्यमंत्री खट्टर को खुली बहस की चुनौती. मुख्यमंत्री खट्टर का व्यवहार ‘स्वेच्छाचारी तानाशाह’ का, ‘लोकतांत्रिक मुखिया’ का नहीं

हरियाणा के इतिहास में खट्टर सरकार सबसे बड़ी ‘किसान व धान विरोधी’ सरकार साबित हुई है। लगता है कि भाजपा-जजपा सरकार उत्तरी हरियाणा के किसान, विशेष तौर से कैथल-जींद-कुरुक्षेत्र-करनाल-अंबाला-यमुनानगर की रोजी रोटी छीन खेती पर पूरी तरह से ‘तालाबंदी’ करना चाहती है। खट्टर सरकार के कृषि विभाग के मुताबिक हरियाणा में 35.13 लाख एकड़ भूमि में धान की खेती की जाती है व हरियाणा हर साल 50 लाख टन धान पैदा करता है।

मुख्यमंत्री, श्री मनोहर लाल खट्टर ने 3 जून, 2020 को धान की खेती को तहस नहस करने वाली व किसान की रोटी छीनने वाली ‘नई राईस शूट’ नीति को जारी कर दिया (संलग्नक A1)। इस राईस शूट नीति का लक्ष्य हरियाणा में धान की खेती पूर्णतया खत्म करना तथा किसान के पेट पर लात मारना है।

एक तरफ प्रदेश में गिरते भूजल का संकट है, तो दूसरी तरफ दादूपुर नलवी रिचार्ज कैनाल जबरदस्ती बंद की जा रही है। एक तरफ 50बीएचपी की ट्यूबवैल मोटर के कनेक्शन काटे जा रहे हैं, तो दूसरी तरफ बरसाती मोगे यानि राईस शूट बंद कर किसान को ट्यूबवैल यानि भूजल दोहन के सहारे छोड़ा जा रहा है। साफ है कि भाजपा-जजपा सरकार ‘दो कदम आगे व दो सौ कदम पीछे’ ले जाने की नीति पर चल रही है।

चौंकाने वाली बात यह है कि खट्टर सरकार की इस नीति बनाने के दो मुख्य कारण बताए गए हैं। पहला, हरियाणा धान की खपत से ज्यादा धान पैदा करता है। दूसरा, हरियाणा में उगाए जाने वाले बासमती धान व 1121-1509 बासमती वैरायटी के धान का विदेशों में निर्यात किया जाता है। हरियाणा के द्वारा पूरे देश का पेट भरना, देश के लिए विदेशी मुद्रा कमाना तथा हरियाणा का सबसे बड़ा चावल-राईस शैलर उद्योग चलाना अब खट्टर सरकार के लिए प्रोत्साहन की बजाय अपराध बन गया है।      

खट्टर सरकार की राईस शूट नीति (A1) की ‘तालिबानी शर्तें’ देखें:-1. भाखड़ा कमांड सिस्टम में नए ‘राईस शूट’ बिल्कुल खत्म कर दिए गए हैं (केवल जहां यमुना या घग्घर नदी का पानी मिलेगा, वो इलाका अपवाद रहेगा)। 2. 20 एकड़ से कम भूमि पर पूरे हरियाणा में राईस शूट नहीं दिया जाएगा। वहां भी यह शर्त रहेगी कि 20 एकड़ में से 15 एकड़ से अधिक भूमि में धान नहीं लगाया जा सकता। 3. वेस्टर्न जमुना कैनाल सिस्टम (यमुना नगर-करनाल-पानीपत-जींद-रोहतक इत्यादि) में राईस शूट के लिए हर साल आवंटित पानी की मात्रा क्रमशः 10 प्रतिशत-5 प्रतिशत कम कर साल 2024 तक 25प्रतिशत से घटाकर 3 प्रतिशत तक कम कर दी जाएगी।

साल 2020 से हर साल पुराने राईस शूट की संख्या में 50 प्रतिशत कटौती की जाएगी व साल 2022 के बाद कोई पुराना राईस शूट नहीं दिया जाएगा। नए राईस शूट भी 3 प्रतिशत तक सीमित रहेंगे।  4. भाखड़ा सिस्टम (कैथल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, हिसार, सिरसा, फतेहाबाद इत्यादि) में राईस शूट के लिए 10 प्रतिशत पानी को कम कर साल 2024 तक 3 प्रतिशत तक घटा दिया जाएगा। 

दो साल में यानि साल 2020 व 2021 के बाद सब पुराने राईस शूट खत्म कर दिए जाएंगे। नए राईस शूट भी 3 प्रतिशत तक सीमित रहेंगे।5. 10 क्यूसेक से कम के सब रजबाहों पर कोई राईस शूट नहीं दिया जा सकता। 6. राईस शूट की फीस में 100 प्रतिशत वृद्धि कर 300 रु. प्रति एकड़ यानि कम से कम 6000 रु. (300X20 एकड़) कर दी गई है। 

ज्ञात रहे कि उत्तरी हरियाणा यानि कैथल-जींद-कुरुक्षेत्र-करनाल-पानीपत-अंबाला-यमुनानगर में पहले ही नहरें 24 दिन बंद रहती हैं और 7 दिन चलती हैं। ऊपर से किसान को मिलने वाले राईस शूट का खत्म करना पूरे धान की खेती पर निष्ठुर मार मारने जैसा है। 

मुख्यमंत्री जी को हम चुनौती देते हैं कि इस राईस शूट नीति पर वो मुझसे तथा उत्तरी हरियाणा के किसानों से सार्वजनिक तौर पर खुली बहस करें ताकि सरकार की नादरशाही नीति का पूरी तरह से पर्दाफाश हो।

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