कहा- स्कूल खोलने में जल्दबाज़ी का मतलब विद्यार्थियों के जीवन से खिलवाड़
विद्यार्थियों की जान से खिलवाड़ करके नहीं हो सकती, पढ़ाई में हो रहे नुकसान की भरपाई- सांसद दीपेंद्र संक्रमण क़ाबू में आने और हालात की विस्तृत समीक्षा के बाद ही लिया जाए स्कूल और कॉलेज खोलने का फैसला- सांसद दीपेंद्र
फिलहाल स्कूल खोलने के निर्णय को स्थगित करे सरकार, MHA की गाइडलाइंस के मुताबिक स्कूलों और अभिभावकों से बातचीत करके ही ले जुलाई में फ़ैसला- सांसद दीपेंद्र
सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेज विद्यार्थियों को बिना परीक्षा प्रमोट करने के लिए तय करें एक जैसे पैमाने- सांसद दीपेंद्र

5 जूनःचंडीगढ़ – राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रदेश सरकार के स्कूल और कॉलेज खोलने वाले फ़ैसले पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि आज भी पूरी दुनिया पर संक्रमण का ख़तरा मंडरा रहा है। ख़ुद सरकार मानती है कि कोरोना से लड़ाई अभी लंबी चलेगी। आज कोरोना की वजह से पूरी दुनिया अनिश्चितता से गिरी हुई है। बावजूद इसके ये समझ से परे है कि हरियाणा सरकार 1 जुलाई से स्कूल खोलने को लेकर इतनी निश्चित और निश्चिंत कैसे है। अभिभावक, टीचर्स, शिक्षाविद और विशेषज्ञ इस फ़ैसले पर हैरानी जता रहे हैं। केंद्र सरकार ने अनलॉक वन की गाइडलाइनंस में कहा है कि दूसरे चरण में स्कूल, कॉलेज और शैक्षणिक संस्थान खोलें जाएं। लेकिन राज्य सरकारें स्कूलों और बच्चों के माता-पिता से बात करके ही ऐसा फ़ैसला लें। इसलिए प्रदेश सरकार अपने मौजूदा निर्णय को स्थगित करते हुए स्कूलों और अभिभावकों से बातचीत करनी चाहिए। हालात की पूरी समीक्षा के बाद ही आगे का फ़ैसला गाइड लाइन के अनुसार जुलाई में ही लेना चाहिए।

सांसद दीपेंद्र ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से देशभर के साथ हरियाणा में कोरोना ने जो रफ्तार पकड़ी है, वो सामान्य नहीं है। प्रतिदिन 100, 200, 300 केस सामने आ रहे हैं। ये बीमारी अब गांव में भी घुस चुकी है। ऐसे में स्कूल और कॉलेज शुरू करना घातक साबित हो सकता है। अगर आधे स्टूडेंट्स के फार्मूला पर भी क्लास शुरू की जाएंगी तो भी एक क्लास में कम से कम 15 से 20 विद्यार्थी रहेंगे। एक ही कमरे में 15 से 20 विद्यार्थियों का एकसाथ मौजूद रहना, किसी भी संक्रमण के लिए आदर्श स्थिति है। ऊपर से विद्यार्थियों को स्कूल-कॉलेज में एक ही वॉशरूम इस्तेमाल करना पड़ता है। ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग के कोई मायने नहीं रह जाते। बच्चों और किशोरों के लिए डिस्टेंसिंग और सेनेटाइज़ेशन जैसे कई एहतियात बरत पाना मुश्किल है।

दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि प्रदेश सरकार को अपने विद्यार्थियों की जान जोखिम में डालने से पहले दूसरे देशों की तरफ से लिए गए ऐसे फैसलों की समीक्षा कर लेनी चाहिए। मसलन, फ्रांस में संक्रमण के दौरान स्कूल खोलने का फ़ैसला लिया गया था। 18 मई को ख़बर छपी थी कि स्कूलों में कोरोना के 70 केस सामने आ गए। इज़राइल में भी जब स्कूल खोले गए तो 130 स्टूडेंट्स और स्टाफ़ संक्रमित हो गए। करीब 7000 स्टूडेंट्स और टीचर्स को क्वॉरेंटाइन करना पड़ा। राज्यसभा सांसद ने कहा कि कोरोना के वजह से निश्चित तौर पर विद्यार्थियों की पढ़ाई का नुकसान हुआ है। लेकिन उस नुकसान की भरपाई विद्यार्थियों की जान से खिलवाड़ करके नहीं की जा सकती।

दीपेंद्र ने कहा कि कॉलेज और यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स को लेकर भी प्रदेश व केंद्र सरकार ने अबतक स्पष्ट नीति नहीं बनाई है। आईआईटी कानपुर-मेरठ-मुम्बई, एमिटी राजस्थान, महाराष्ट्र सरकार और दिल्ली यूनिवर्सिटी ने बिना परीक्षाओं के छात्रों को प्रोमोट करने का फैसला लिया है। ऐसे में हरियाणा की यूनिवर्सिटीज़ को भी इस तर्ज पर यूजी, पीजी और अन्य कोर्सिज के छात्रों को प्रोमोट करना चाहिए। हरियाणा में एनआईटी कुरुक्षेत्र ने इसी आधार पर सभी स्टूडेंट्स को प्रमोट कर दिया है। लेकिन केंद्र सरकार को इस बारे में सभी यूनिवर्सिटीज़ के लिए एक गाइडलाइन जारी करनी चाहिए। क्योंकि कुछ यूनिवर्सिटीज़ फ़ाइनल ईयर स्टूडेंट्स को प्रमोट नहीं कर रही हैं। अगर प्रमोट करने का क्राइटेरिया, प्रक्रिया और समय सीमा एक जैसी होगी तो स्टूडेंट्स को आगे एडमिशन में किसी तरह की दिक्कत पेश नहीं आएगी। इसी मांग को लेकर NSUI कोर्ट में एक याचिका भी लगाने जा रही है।

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