सांड़ की टक्कर से साइकिल पर जा रहे युवक की मुख्य सांस की नली कटी

पीजीआई के चिकित्सकों ने 5 घंटे की सर्जरी कर बचाई जान

हर्षित सैनी

 रोहतक, 4 जून। पीजीआईएमएस की कार्डियक सर्जरी विभाग ने कोरोना के संक्रमणकाल में 22 वर्षीय युवक की मुख्य सांस की नली को 5 घंटे की सर्जरी कर जोड़ा। यह सफल सर्जरी कार्डियक सर्जरी (हृदय शल्य चिकित्सा) विभागाध्यक्ष डॉ. एसएस लोहचब व उनकी टीम ने किया है। वरिष्ठ सर्जन एवं सीनियर प्रोफेसर डॉ. शमशेर सिंह लोहचब ने बताया कि 24 मई को जींद से एक मरीज को लाया गया। परिजनों ने बताया था कि युवक साइकिल पर जा रहा था और सांड ने टक्कर मार दी, जिससे उसकी मुख्य सांस की नली दो भागों में बंट गई, जिससे वह सांस नहीं ले पा रहा था। पीजीआई पहुंचने पर चिकित्सकों ने उसे कृत्रिम जीवन प्रणाली प्रदान करने वाली मशीन पर रखा और उसकी विभाजित मुख्य सांस नली को दोबारा जोड़ा। कार्डियक सर्जरी विभाग की इस सफलता पर कुलपति डॉ. ओपी कालरा, निदेशक डॉ. रोहतास कंवर यादव व रजिस्ट्रार डॉ. एचके अग्रवाल ने टीम को बधाई दी।

यह अपनाई तकनीक

सर्जरी से पहले टीम ने पाया कि मरीज को ट्रिकोस्टमी ट्यूब और एंडोट्रिक्यल ट्यूब डालना असंभव है। क्योंकि मरीज की मुख्य सांस की नली दो भागों में विभाजित थी और उसका निचला हिस्सा छाती में धंसा था। इसकी वजह से मरीज को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। मरीज का सीटी स्कैन करवाकर देखा गया। इसमें मिला कि सांस नली का निचले वाला हिस्सा सिर्फ दो सेंटीमीटर बचा है। इसके बाद उन्होंने बेहोशी विभाग की डॉ. सविता सैनी, ईएनटी से डॉ. भार्गव से इस गंभीर अवस्था की चर्चा की। क्योंकि रेस्पीरेशन बनाए रखते हुए ऑपरेशन करना कठिन होता है। मरीज को बेहोश करने के बाद सांस की ट्यूब लगाना बेहद कठिन होता है। इससे मरीज की जान को खतरा था। इसके बाद सभी ने निर्णय लिया कि मरीज को आर्टिफिशियल लाइफ स्पॉट (कृत्रिम जीवन प्रणाली) पर डालकर ऑपरेशन किया जाए। कार्डियक सर्जरी विभाग के चिकित्सकों ने ऑपरेशन के लिए लोकल एनस्थीसिया द्वारा स्पेशल कैनूला मरीज की फिमोरल आर्टरी और वेन में डाले और मरीज को कृत्रिम जीवन प्रणाली प्रदान करने वाली मशीन पर ले लिया। डॉ. कीर्ति व डॉ. सुबधा ने मरीज को बेहोश किया और दर्द निवारक दवाएं दी। हृदय शल्य चिकित्सा विभाग के रेजिडेंट चिकित्सक डॉ. अप्रेश, डॉ. फ्रेंकलीना, डॉ. वरुण, स्टाफ नर्स रेखा, सुदेश, भागवंत, सुमन, परफ्यूनिस्ट विरेंद्र और धर्मबीर ने मरीज की सफल सर्जरी करवाने में सहयोग दिया। ऑपरेशन सफल रहा और मरीज का श्वास मुख्य नली द्वारा दोनों फेफड़ों में स्वचालित किया गया। अब मरीज ठीक है और आगामी तीन से चार दिन में उसे अस्पताल से छुट्टी भी मिल जाएगी।

आसान नहीं था कोरोना के संक्रमणकाल में ऑपरेशन करना

डॉ. लोहचब ने बताया कि कोरोना के संक्रमणकाल में यह यह जटिल शल्य चिकित्सा की गई है। मरीज को कोरोना का संक्रमण नहीं था, यह उसकी जांच रिपोर्ट में पुष्टि हो गई है। लेकिन उसे इस संक्रमण से बचाना भी था। इसके लिए सभी स्टाफ ने पीपीई किट, एन-95 मास्क आदि पहन कर ऑपरेशन किया।

You May Have Missed