लॉकडाउन के कारण पहले ही लोगों की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है लाखो लोग अपनी नोकरी से हाथ धो बैठे है। धंधे चौपट हो चुके है ऐसे में खट्टर सरकार बार बार जनता विरोधी फैसले ले कर जनता पर सरकारी चाबुक चलाने का काम कर रही है। केंद्र सरकार पहले ही पेट्रोल डीजल, घरेलू गैस, CNG के दाम बढ़ा कर जनता की कमर तोड़ने का काम कर चुकी है। वही मार्च से घरों में बैठे बच्चो के परिजनों पर स्कूल फीस का चाबुक चलाने का काम खट्टर सरकार ने किया है। लॉकडाउन में लोगो ने स्कूल फीस माफी की मांग की थी किन्तु उसे न मान कर खट्टर सरकार बार बार अलग अलग फैसले सुनाती रही बात में कहा कि ट्यूशन फीस ही लेंगे जबकि कई स्कूल इसके अलावा भी अन्य शुल्क वसूलने पर लगे रहे। किन्तु 1 जून से लॉकडाउन में मिली रियायत के साथ ही खट्टर सरकार ने सभी स्कूलों को रेगुलर फीस वसूलने की छूट दे दी है जो कि गेर वजीब है क्योंकि बच्चे अभी भी स्कूल नही जा रहे और अभी कोरोना काल खत्म होने की कोई निश्चित तारीख भी नही है। ऐसे में जब MHA की गाइडलाइंस के अनुसार 10 साल तक के बच्चो को बाहर ही नही निकलना तो स्कूल तो दूर की बात है। फिर भी सरकार जुलाई से स्कूल खोलने का निर्णय ले रही है वही विधानसभा के सत्र के लिए अगस्त सितंबर का फैसला लिया गया है क्या नेताओ की जान की किमत है किंतु मासूम बच्चो की जान की कोई कीमत नही? खट्टर सरकार का ये फैसला जनता विरोधी है इसे तुरंत वापिस लेना चाहिए। शिवसेना हरियाणा इस फैसले का विरोध करती है ओर इसके खिलाफ जल्द ही बच्चो के परिजनों से बात करके सरकार को ज्ञापन सौपा जाएगा। Post navigation कोरोना बन रहा आफत, मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री की जिम्मेदारी कितनी? उपछाया चंद्रग्रहण 5 जून शुक्रवार को : पंडित अमरचंद