हथिनी नहीं , इंसानियत की हत्या

-कमलेश भारतीय

केरल के मल्लपुरम् में गर्भवती हथिनी की जान अन्नानास में पटाखे मिलाकर खिला देने से ले ली । कितनी क्रूरता । कितनी निर्ममता । पटाखों से हथिनी का मुंह फट गया । वह पानी में जाकर भी बैठी रही लेकिन प्राण नहीं बचे । इस पर मन बहुत बहुत विचलित है । इस पर भाजपा सांसद और पशुओं के प्रति दयालु मेनका गांधी आगे आईं और कह रही हैं कि यह सीधे तौर पर हत्या है । यह कोई आकस्मिक घटना नहीं । इसके बावजूद केरल सरकार ने कोई कार्यवाही नहीं की । यह भी बताया गया है कि केरल का यह सबसे क्रूर जिला है जहां लोग सड़कों पर जहर फैला देते हैं और सैंकड़ों पक्षी मर जाते हैं ।

इसी प्रकार रतन टाटा जैसे उद्योगपति भी पिघले और बोले कि मैं इस घटना से दुखी हूं । निर्दोष जानवरों के प्रति यह रवैया ठीक नहीं । यह इरादतन हत्या का मामला है और इसमें इंसाफ की दरकार है । कभी हाथी मेरे साथी फिल्म कितनी लोकप्रिय हुईं थी । यह मूक प्राणियों से प्रेम का उदाहरण थी । नूरी और तेरी मेहरबानियां में कुत्ते को लिया गया था । अनेक फिल्में हैं जिनमें जीवों के बल पर ही कहानी आगे बढ़ती है । ये प्रकृति जीव जंतु दोनों की है । सर्कस में हाथी , घोड़े और सभी जीव होने पर ही सफलता और मनोरंजन मिलता है ।

हम गर्मियों में पंछियों के लिए दाना पानी घरों के आसपास रखते हैं तो इसीलिए कि ये भी प्रकृति की देन हैं और प्रकृति की खूबसूरती हैं । सुबह सवेरे चिड़िया चहचहा कर सुप्रभात बोलती है । कागा मुंडेर पर बोलता है तो किसी के आने की उम्मीद जगती है । पेड़ों के झुरमुट के पीछे से कोयल मधुर गीत गुनगुनाती है । हम सबके घरों में पहले घोंसले बना लेती थीं चिड़ियां लेकिन अब शायद ही कोई घर हो जहां पंछियों का घोंसला दिखे ।

इतना डर गये हैं ये जीव हमसे । हमारे घरों से और जीवन से दूर जा चुके हैं । आओ इन्हें प्यार से दुलार लो , पुकार लो ताकि हमारी दुनिया खूबसूरत बनी रहे । चिड़िया आओगी न ?

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