-तीस मई को षुरू हुई थी चेकिंग प्रक्रिया लेकिन प्रषासन ने अभी तक नहीं किया कोई खुलासा
–सरसों घोटाले के मुख्य सूत्रधारों व विभाग पर अभी तक प्रषासन की कार्रवाई ना होने से चर्चाओं का बाजार गर्म

नारनौल, रामचंद्र सैनी। जिला में कथित रूप् से हुए सरसों घोटाले की जांच की कडी के दौरान अब हैफेड के एक मैनेजर व एक पीसीसी का तबादला कर दिया गया है। मैनेजर सुनील कुमार को नारनौल से सोनीपत और पीसीसी षुभराम को रेवाडी स्थानांतरित किया गया है। इन दोनों के पास नारनौल व अटेली के गोदामों में स्टाक रखरखाव का चार्ज था। हैफेड के अधिकारी इन दोनों के तबादले को रूटीन की कार्रवाई करार दे रहे हैं लेकिन सूत्रों के अनुसार अटेली व नारनौल गोदामों के स्टाक में गडबडी व अन्य कमी पाए जाने के बाद प्रषासनिक अधिकारियों द्वारा पंचकूला भेजी गई रिपोर्ट के बाद इन गोदामों के इंचार्जाें के तबादला की कार्रवाई हुई है।

हैरानी की बात तो यह है कि आज से चार दिन पहले तीस मई को प्रषासन ने जिला में हैफेड व वेयर हाउसों के सभी करीब 30 से 32गोदामो ं के स्टाॅक की जांच षुरू की थी। इन सभी गोदामों पर पुलिस का पहरा भी लगाया था। चार दिन बीत जाने के बाद भी जिला प्रषासन ने अभी तक इस बात का खुलासा नहीं किया है कि जिला में चर्चित सरसों घोटाले में कौन सा विभाग कहा तक दोशी पाया गया है । सरसों खरीद षुरू होने के कुछ दिनों बाद ही फर्जी रजिस्टेªषन पर भारी मात्रा में सरसों बेचने के मामले प्रमाण सहित प्रषासन की जानकारी में आ चुके थे लेकिन आज तक उन मामले में भी किसी प्रकार की कार्रवाई सामने नाआने से चर्चाओं का बाजार गर्म है।

यहां यह भी बता दें कि सरकार के निर्देषों पर हरियाणा कृशि विपणन बोर्ड के मुख्य प्रषासक आइएएस जे गणेषन ने जिला की मंडियों का दौरा करके पिछले सप्ताह अपने विभाग के चार सचिवों को सस्पेंड कर दिया था। उसी रात खरीद एजेंसी व करीब डेढ दर्जन फर्माें के खिलाफ मुकदमे तक दर्ज करवाये गये थे लेकिन जिला में सरसों घोटाले के असली सूत्रधारों व जिम्मेदार विभाग की तरफ प्रषासन या सरकार का ध्यान क्यों नहीं जा रहा है यह बात आजकल किसानों व व्यापारियों के अलावा उन लोगों की जुबां पर भी है जो इस सारे मैटर पर नजरे गडाए है या इसमें रूचि ले रहे हैं।

मेडिकल कालेज, पावर हाउस, गांव के जंगल व षमषान भूमि आदि  पंचायती एवं सरकारी भूमि पर फर्जी रजिस्टेªषन करके सरसों बेचने की कार्रवाई के लिए सीधे-सीधे सबसे पहले राजस्व विभाग जिम्मेदार है, जिस पर आज तक प्रषासन या सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है। यहां यह भी बता दे कि किसी भी किसान की सरसों बेचने की प्रक्रिया में सबसे पहली सीढी राजस्व विभाग होता है। जब कोई किसान मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर अपना रजिस्टेªषन करता है तो उसके ब्यौरे को सबसे पहले वैरीफाइड करना होता है, यह काम उसके गांव या क्षेत्र से संबंधित पटवारी को करना होता है।

यदि कोई किसान या दलाल किस्म का आदमी किसी गलत जमीन या अपने रिकार्ड से अधिक जमीन पोर्टल में दिखाकर रजिस्टेªषन कर लेता है तो उस पर स्वीकार या अस्वीकार करना पटवारी की जिम्मेदारी होती है। पटवारी के वैरिफिकेषन के बाद ही किसान की फसल का अगला प्रोसेस होता है जो मार्केट कमेटी द्वारा अपनाया जाता है। लेकिन जिला महेंद्रगढ में राजस्व विभाग के अधिकारियों व दलालों की सांठगांठ के चलते फर्जी रजिस्टेªषन का जमकर खेल चला। जिसके चलते ऐसी-ऐसी जमीनों पर सरसों दिखाकर बेच दी गई, जिनके बारे में कोई सपने में भी नहीं सोच सकता। इन फर्जी रजिस्ट्रषनों के बारे में कोरियावास, दनचैली, मोखुता व चिंडालियां आदि गांवा ेंके अनेक किसान प्रषासन को लिखित षिकायत दे चुके हैं लेकिन हैरानी की बात है  िकइस घोटाले के असली सूत्रधारों पर अभी हाथ नहीं डाला गया है, जिसको लेकर अब सत्ता पक्ष नेता भी प्रषासन की कार्रवाई पर सवाल खडा कर रहे हैं।

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