अशोक कुमार कौशिक

नारनौल। सरसों को लेकर जिले में रोज नई जानकारियां सामने आने लग रही है। आज गोदामों का फिजीकल वेरीफिकेशन होना था। जांच से पूर्व ही अब हफैड द्वारा गोदामों में के रखरखाव को लेकर बड़ी खामी सामने आई है। हफैड की यह लापरवाही जानबूझकर की हुई है या अनजाने में, यह जांच का विषय है।

इस सीजन में सरसों खरीद के बाद हफैड द्वारा निजामपुर रोड तथा गवार गम फैक्ट्री में सरसों का स्टाक सुरक्षित रखने के लिए गोदाम किराए पर ले रखे हैं।भरे हुये सरसों के कट्टे रखते समय नियमानुसार लकड़ी के फटे नीचे नहीं लगाए गए जबकि गोदामों का फर्श बाहर की अपेक्षा नीचा है। फलस्वरुप शनिवार रात को ही हुई बारिश का पानी काफी मात्रा में गोदाम में जमा हो गया। पानी भरने और फट्टों पर खट्टे न होने के चलते लगभग 1500 से अधिक कट्टे जिन में सरसों भरी हुई थी भीग गए। इसकी अनुमानित लागत 20 लाख से ज्यादा आंकी गई है।

इस लापरवाही के लिए आखिर कौन जिम्मेवार है कहने के लिए तो गोदाम में एक सुपरवाइजर को नियुक्त किया हुआ है लेकिन उस सुपरवाइजर ने भी मौसम को देखकर बचाव नहीं किया। उसने भी शटर के पास कम से कम मिट्टी की एक ऊंची दीवार अस्थाई रुप से ही बना दे ताकि पानी अंदर ने घुस पाए को जरुरी नही समझा। जानकारों का यह मानना है कि यह काम जानबूझकर नहीं किया गया क्योंकि सरसों की जांच का कार्य तीव्रगति से जारी है।

ऐसा लगता है कि कम सरसों  को पुरा करने के लिए यह कवायद जानबूझकर की गई है। यहां यह उल्लेखनीय है कि इसका फिजिकल वेरीफिकेशन आज होना था और फिजिकल वेरीफिकेशन से पहले ही बरसात ने सारी जांच को गड़बड़ा दिया।

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