देश मे लॉकडाउन 5 शुरू हो चुका है या यूं कहें कि देश मे अनलॉक 3 शुरू हो चुका है। 2 लॉकडाउन के बाद सरकार ने थोड़ी रियायत देना शुरू कर दिया था जो लॉकडाउन 5 के आते आते लगभग पूरी तरीके से खुली रियायात मिल ही चुकी है। काफी मंथन के बाद रात 9 बजे से सुबह 5 बजे तक कर्फ्यू रखा गया। लॉकडाउन से ज्यादातर व्यापारी लगभग परेशान हो चुके है उनकी आर्थिक हालात भी बिगड़ चुकी है। एक तो पहले से ही आर्थिक मंदी थी उप्पर से रही सही कसर कोरोना ने पूरी कर दी।

अब व्यापारी कोरोना के डर के बीच भी निकल कर काम करना चाहते है क्योंकि उन्हें अपने परिवार और देनदारी की चिंता सता रही है। ऐसे में लॉकडाउन 5 द्वारा दिये गए आदेशो में ज्यादातर चीजे राज्य सरकार के उप्पर छोड़ी गई है। केंद्र के अनुसार जिम, क्लब, सिनेमा हॉल जैसी चीजों के अलावा सभी संस्थान कार्य कर सकते है किंतु उनका फैसला राज्य की सरकार लेगी। किन्तु कल शाम तक राज्य सरकार के कोई आदेश इस बारे में नही आए।

ऐसे में पहले से 2 दिन 3 दिन खुल रही दुकाने आज सुबह ही खुल गई। किन्तु पुलिस द्वारा नॉन काँटेन्मेंट ज़ोन में भी दुकाने बन्द करवा दी गई। दोपहर बाद राज्य सरकार के आदेश भी आ गए कि दुकाने सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक खुल सकती है किंतु इन आदेशों में कही भी श्रेणी या दिन का जिक्र नही था। दोपहर बाद दुकाने फिर खुल गई तो शाम होते होते पुलिस दोबारा बन्द करवाने पहुच गई। पुलिस के अनुसार राज्य सरकार के आदेश मायने नही रखते जब तक जिला उपायुक्त के कोई आदेश नही आएंगे। जबकि इस बार जिला उपायुक्त की तरफ से अभी तक कोई आदेश नही आए है। ऐसे में व्यापारियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वो आदेशो के जाल में फसे हुए है उन्हें समझ नही आ रहा कि वो किस आदेश का पालन करे?

कुछ दुकानदारों का कहना है कि एक तरफ सरकार कहती है कि बीमारी से डरना नही है लड़ना है। आत्मनिर्भर बनो। वही जब हम ईमानदारी से अपने परिवार का पेट पालने निकले है तो परेशान किया जा रहा है। ऐसे लग रहा है जैसे हम व्यापार नही चोरी कर रहे हो। सड़को पर भीड़ है किंतु उन्हें रोकने के बजाय हमे परेशान किया जा रहा है। सरकार ने हमारी कोई मदद नही की हमे बच्चो की फीस, बिजली, बिल, EMI, किराया, राशन सब करना है किंतु दुकाने मत खोलो सरकार को अपनी आय की चिंता है किंतु जनता कैसे अपना घर चलाये उसकी चिंता नही है।

असमंजस की स्थिति आक्रोश को जन्म देती है शायद सरकार ये भूल गई है। डिजिटल इंडिया गाने वाले शायद आज भी चिट्टियो के फेरे में फसे हुए है तभी केंद्र आदेश जिला उपायुक्त तक पहुचते पहुचे 3,4 दिन लग जाते है। जो फैसला हो वो समय से पहले बताया जाए ताकि हम लोग परेशान न हो।

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