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2 जून 2020. स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने कहा कि मोदी सरकार ने आंकड़ों की बाजीगरी, जुमलेबाजी करके खरीफ फसल में न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ोतरी को ऐसे पेश किया मानो किसानों के लिए सरकार ने कारू का खजाना खोल दिया हो1

 विद्रोही ने कहा जबकि वास्तविकता यह है सरकार के दावे वास्तविकता से कोसों दूर है1 खरीफ फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ोतरी मे धान का भाव 1815 से 53 रुपए बढ़ाकर 1868 रुपए प्रति क्विंटल किया जो 3 प्रतिशत से भी कम की बढ़ोतरी है1 वही बाजरे के भाव में 150 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी करके 2150 रुपए प्रति क्विंटल की है जो 7.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी है1 ज्वार के भाव में 70 रुपए बढ़ाकर 2600 रुपए प्रति क्विंटल किया है जो ढाई प्रतिशत की बढ़ोतरी है1

 मक्का भाव में 90 रुपए बढ़ाकर 1850 रुपए प्रति क्विंटल किया है 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी है1 तूर-अहरर में 200 रुपए बढ़ाकर 6000 रुपए प्रति कुंटल किया है जो 3.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी है1 उड़द भाव में 300 रुपए बढ़ाकर 6000 रुपए किया है में 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी है1 मूंग भाव में 146 रुपए बढ़ाकर 7196 रुपए किया है जो मात्र दो प्रतिशत की बढ़ोत्तरी है1             

 विद्रोही ने कहा मूंगफली भाव में 185 रुपए बढ़ाकर 5275 रुपए प्रति क्विंटल किया है जो 3.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी है1 सूरजमुखी भाव में 235 रुपए बढ़ाकर 5885 रुपए किया है जो 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी है1 इसी तरह कपास के भाव में 260 रुपए बढ़ाकर 5515 रुपए प्रति क्विंटल किया है जो लगभग 5 प्रतिशत बढ़ोतरी है1 खरीफ फसलों में मोदी सरकार ने मात्र ढाई प्रतिशत 7.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है जबकी कृषि यंत्रों, खाद, बीज, कीटनाशक दवाइयों, ट्रैक्टर, बिजली संयंत्रों सहित खेती के अन्य उपकरणों के भावो की बढ़ोतरी तुलना में यह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है1               

विद्रोही ने कहा बढ़ती महंगाई, कोविड-19 संकट के बाद उपजी आर्थिक परिस्थितियों बाद मोदी सरकार द्वारा खरीफ फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य में की गई ढाई से साढ़े सात प्रतिशत की मामूली सी बढ़ोतरी किसान पर कृषि कर्ज का बोझ और बढ़ाएगी1 मोदी-भाजपा-संघी सरकार की जुमलेबाजी, आंकड़ों की बाजीगरी से किसान को कुछ भी राहत नहीं मिलने वाली1           

 विद्रोही ने कहा जमीनी धरातल की वास्तविकता यह है सरकार द्वारा खरीफ फसल मूल्यों में की गई नाममात्र की इस बढ़ोतरी से घाटे की खेती में पिसते किसान की आर्थिक हालात और बिगाड़ेगी और उस पर कर्ज बोझ और बढ़ेगा1

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