31 मई 2020,   स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने कहा दंत विहीन, अधिकार विहीन एसईटी को हरियाणा के बहुचर्चित शराब घोटाले की कथित जांच के लिए दो मांह की समय अवधि और देकर और 31 मई को रिटायर हुए पुलिस अधिकारी एडीजीपी सुभाष यादव की जगह एक अन्य पुलिस अधिकारी को एसईटी का सदस्य बनाने से एक बार फिर साबित हरियाणा भाजपा-जजपा खट्टर सरकार ने उक्त एसईटी का गठन शराब घोटाले के सरगनाओ को बेनकाब करने की बजाय शराब घोटाले पर लीपापोती करके असली मुजरिमों को बचाने के लिए किया है1

 विद्रोही ने कहा कि एसईटी में पुलिस नुमाइंदे के रूप में एक सदस्य के रूप में एडीजीपी सुभाष यादव को यह जानते हुए भी कि वे 31 मई को रिटायर हो जाएंगे फिर भी शामिल करना बताता है कि सरकार उनकी ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा को भुनाकर एसईटी जांच को विश्वसनीयता प्रदान करना चाहती थी1 सरकार की मंशा थी 31 मई को सुभाष यादव रिटायर होंगे फिर उन्हें सेवा विस्तार देकर उन पर अहसान लादकर उनसे मनचाही रिपोर्ट सरकार प्राप्त कर लेगी1 पर ईमानदार पुलिस अधिकारी सुभाष यादव ने सरकार के अरमानों पर पानी फेर दिया, उन्होंने सेवा विस्तार लेने में अनिच्छा जाहिर कर दी1 जिसके चलते मजबूर होकर सरकार को एक नए पुलिस अधिकारी को एसईटी सदस्य बनाना पड़ा1 सरकार की रणनीति बताती है कि सरकार शराब घोटाले की जांच करने बजाए इस जांच को भटकाना, टरकाना चाहती है1

विद्रोही ने कहा कि जिस आईएएस अधिकारी को एसईटी का प्रमुख बनाया है वह अधिकारी स्वयं भूमि अधिग्रहण मामले में सीबीआई की जांच की आंच से जल रहा है1 जो अधिकारी स्वयं सीबीआई जांच के घेरे में हो ऐसा अधिकारी क्या रिपोर्ट देगा, कैसी रिपोर्ट देगा इस पर कोई टिप्पणी भी बेमानी है1 वही पहले दिन से ही शराब घोटाले की जांच के नाम पर मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री व गृहमंत्री अपनी-अपनी तिकड़मी चालों से एक दूसरे को नीचा दिखाने और सरकार में सत्ता वर्चस्व बनाने की लड़ाई लड़ रहे हैं1 वही शराब घोटाले के लिए गठित कथित एसईटी को सीआरपीसी की धारा-32 के तहत ने तो किसी व्यक्ति व अधिकारी को सम्मन करने, न हीं कही रेड रेड मारने और न ही किसी अपराधी को गिरफ्तार करने का अधिकार है1                     

 विद्रोही ने कहा कि यह कथित एसईटी बिना अधिकारों का ऐसे दंतविहीन हाथी के समान है जो चारा चरकर लीद करने के सिवाय कुछ नहीं कर सकता1 ऐसी कठपुतली एसईटी से निष्पक्ष-स्वतंत्र जांच की आशा भी करना बेमानी है1 साफ है कि एसईटी बनाकर शराब घोटाले की जांच के नाम पर लीपापोती करके राजनीतिक सरगनाओ को बचाने की चाल मात्र है1

विद्रोही ने कहा जिस तरह एचएसएससी की सरकारी भर्तियों में रिश्वत लेने का मामला सामने आया तब भी एसआईटी गठित हुई और उस कथित एसआईटी ने छोटे कर्मचारियों को फंसाकर बड़े मगरमच्छों को क्लीन चिट दे दी थी1 उसी तरह अब शराब घोटाले के लिए गठित एसईटी भी थानेदार, हवलदार, सिपाही स्तर के पुलिसकर्मियों व आबकारी विभाग के निरीक्षकों पर शराब घोटाले की सारी गाज गिराकर सत्तारूढ़ नेताओं, उच्च प्रशासनिक-पुलिस व आबकारी अधिकारियों को क्लीनचिट देकर सभी को बेदाग करार देगी1                 

विद्रोही ने कहा कि शराब घोटाले की एसईटी जांच मात्र एक राजनीतिक नौटंकी है1 यदि सरकार शराब घोटाले के वास्तविक सरगनाओं को बेनकाब करके दंडित करने के प्रति गंभीर व ईमानदार होती तो इस पूरे मामले की जांच पंजाब-हरियाणा के सिटिंग जज से करवाकर शराब घोटालों के सरगनाओ, शराब माफिया को बेनकाब करके कानून अनुसार दंडित करवाती न की तिकड़मी चालों से लीपापोती करती1