हांसी ,29 मई । मनमोहन शर्मा

संस्कृत भाषा के ग्रंथ आज के परिप्रेक्ष्य में बहुत अधिक सार्थक है। आज कोरोना महामारी के भीषण समय में संस्कृत के ग्रंथों में महामारी जैसी आपदाओं का उपचार प्राप्त होता है।इसलिए संस्कृत के आयुर्वेद ग्रंथ चरक संहिता, सुश्रुत संहिता आदि में बताई गई औषधियों का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए। 

यह विचार श्री सनातन धर्म संस्कृत महाविद्यालय भिवानी  के प्रधान एवं पूर्व न्यायधीश  प्रहलाद सिंह ने महाविद्यालय द्वारा आयोजित पांच दिवसीय विशेष कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए कहे।

 उन्होंने कहा कि आज के कोरोना वायरस काल में जबकि आम व्यक्ति बुरी तरह से त्रस्त है उस समय में संस्कृत की उपयोगिता अधिक बढ़ जाती है। संस्कृत के ग्रंथों में न केवल हमें धार्मिक और सामाजिक जीवन के उच्च सिद्धांतों का पता चलता है अपितु चिकित्सा क्षेत्र का भी संपूर्ण ज्ञान इस भाषा के ग्रंथों में है।

 महाविद्यालय के प्राचार्य विनय मिश्र ने कहा कि ऑनलाइन आधार पर यह कार्यशाला आयोजित की जा रही है। जिसमें छात्रों को अध्ययन कराने के साथ-साथ संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार के लिए आम जनमानस विद्वत जनों से भी ऑनलाइन आधार पर प्रचार किया जाएगा। महाविद्यालय के पुस्तकालय में आर्युवेद की बहुत प्राचीन पुस्तकें उपलब्ध है। इन पुस्तकों के अध्ययन से ज्ञात होता है कि भारतीय प्राचीन चिकित्सा कितनी अधिक विकसित थी। मुगलो  के समय भारतीय ग्रंथों को नष्ट करने का भरसक प्रयास किया  गया। जबकि अंग्रेजों ने भारतीय ग्रंथों का महत्व समझ कर संस्कृत भाषा का ज्ञान प्राप्त किया और इन ग्रंथों के ऊपर शोध किया। जिससे कि अंग्रेजों ने भारतीय ग्रंथों से फायदा उठाया। आज संस्कृत भाषा के प्राचीन ग्रंथों के ऊपर अधिक से अधिक अनुसंधान किए जाने चाहिए ,जिससे कि ऋषि मुनियों द्वारा लिखे गए ज्ञान के भंडार से हम भी लाभ उठा सकें।

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