संजय भुटानी

प्रयागराज महाकुंभ के दौरान सोशल मीडिया द्वारा वायरल हुए आईआईटियन बाबा यानी अभय सिंह हरियाणा प्रदेश के झज्जर जिले का 34 वर्षीय वह युवा है, जिसने धर्म व अध्यात्म के क्षेत्र में अपने विचारों से कई चर्चाएं पैदा कर दी हैं। जैसा कि विदित है कि अभय सिंह को आईआईटियन बाबा का नाम मीडिया द्वारा ही दिया गया है और इसके पीछे कारण यह है कि उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की है और फिर यहीं से इसके बिल्कुल विपरीत अन्य विषय में मास्टर्स किया। अभय सिंह के पिता वकील हैं। माता गृहिणी हैं और बहन विदेश में जॉब करती हैं।
इसमें कोई दोराय नहीं कि अपने देश भारत में धर्म और अध्यात्म का विशेष स्थान है और हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में इससे जुड़ा हुआ है। यह अलग बात है कि इस क्षेत्र में दिन- प्रतिदिन शाखाएं बढ़ती जा रही हैं और एक ही घर में अगर 5 व्यक्ति हैं तो कई घरों में तो यह स्थिति बनी हुई है कि सभी सदस्य अलग-अलग शाखाओं से जुड़े हुए हैं। वैसे तो हर विषय में विचारों की स्वतंत्रता होना आवश्यक है लेकिन कहीं न कहीं इस तरह की स्वतंत्रता आपसी तनाव एवं विवाद भी पैदा करती है। एक दूसरे के विचारों को अपने ऊपर लादा हुआ माना जाता है।

खैर अभय सिंह ने महाकुंभ में प्रकट होकर साधु समाज में भी अपने ज्ञान के कारण काफी चर्चा बटोरी है। वे प्रधानमंत्री मोदी को कर्मयोगी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को नाथ बता चुके हैं। पिछले दिनों अभय सिंह द्वारा कही गई बातों को ध्यान से सुना और परखा जाए तो ऐसा कहीं से भी प्रतीत नहीं होता कि वे एक सोची- समझी रणनीति के तहत कुंभ में आए और मीडिया से रूबरू होकर छा गए। क्योंकि जो संत उन्हें कुंभ में लेकर आए, वे खुद बता चुके हैं कि वे पिछले कुछ समय से ही अभय के संपर्क में आए हैं और दोनों वाराणसी में इकट्ठा रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें लगा कि अभय सिंह में ज्ञान है और वे दोनों कुंभ में आए थे। अभय सिंह द्वारा धर्म – अध्यात्म, ज्ञान, प्यार, मोह,माया, परमात्मा, विज्ञान आदि सभी विषयों पर जो बातें कही जा रही हैं, यह भी कहा जा सकता है वे हर विषय का जवाब तर्क के आधार पर दे रहे हैं।
आईआईटियन बाबा के विचारों का काफी लोग समर्थन कर रहे हैं तो वहीं अनेकों लोग ऐसे भी हैं जो उन्हें मूर्ख और पाखंडी भी कह रहे हैं। लेकिन खास बात उल्लेखनीय यह है कि अभय सिंह के आगे जब इन बातों की चर्चा की जाती है तो वे इन बातों को लेकर जरा भी गंभीर नहीं होते और उनका बात करने के बाद हर समय हंस देना लोगों को काफी भा रहा है। बाबा कहते हैं कि कहां तक जाओगे, आओगे तो यहीं,यह बात काफी गंभीर है। उनसे कोई भी बात करता है तो वे स्पष्ट कहते हैं कुछ भी नहीं है और जो कुछ भी नहीं है, वही सब कुछ है,वही शिव है। कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि वे अपने आप को ही भगवान बता रहे हैं लेकिन ऐसा भी नहीं है। अपनी मस्ती में मशगूल अभय सिंह अपनी बात में साफ कहते हैं कि हर व्यक्ति भगवान है, हर व्यक्ति के अंदर भगवान है लेकिन यह सभी को मालूम नहीं लग सकता।
एक अच्छे स्तर की पढ़ाई करके इस तरह बाबा की वेशभूषा में, जिसे कई लोग भटकाव कह रहे हैं लेकिन यह कहा जा सकता है कि इस तरह का भटकाव भी आसान नहीं है। अभय सिंह खुद कहते हैं कि पेट भरने के लिए तो वे किसी गांव में बैठकर ट्यूशन भी पढ़ा लेंगे। वर्षों से सत्य की खोज में इधर-उधर भटक रहे युवा अभय सिंह का ज्ञान काबिले तारीफ है लेकिन इसके साथ-साथ उन्हें कई लोग नशेड़ी – गंजेड़ी भी कह रहे हैं लेकिन अगर इन बातों को सच मान भी लिया जाए तो उन्हें समझने वाले लोगों का यह भी कहना है कि उनका ज्ञान बगैर तर्क के तो नहीं है, चाहे कोई कुछ भी कहे।
अभय सिंह के विरोधियों द्वारा अभय सिंह द्वारा माता-पिता बारे दिए गए बयान पर भी दोनों तरह की बातें हो रही हैं। अभय सिंह ने कहा कि घर में उन्होंने कुछ अलग माहौल देखा और उनका यह भी कहना है कि मां को दर्जा भी तो तभी मिलता है, जब पुत्र पैदा होता है । पुत्र के पैदा होने पर ही तो मां बनती है। अगर इस बारे उनकी सभी बातों को समझा जाए तो अभय सिंह ने मां – बाप के दर्जे को नाकारा नहीं है। क्योंकि अपने यहां स्वतंत्रता है और इसमें हर कोई अपने विचारों को खुले रूप से प्रकट कर सकता है। इसी के चलते हर नई बात पर समर्थन और विरोध होना स्वाभाविक है।
अगर अभय सिंह के पिता की बातों को सुना जाए तो वे भावुक लगते हैं लेकिन कहते हैं कि अब अभय सिंह इस स्थिति में पहुंच गए हैं कि उनको घर लाना भी मुश्किल है। कहीं न कहीं उनके अंदर पिता का प्यार तो झलकता ही है। अतीत में क्या हुआ, क्या नहीं हुआ,यह अलग बात है लेकिन वर्तमान में यही दिखता है कि जो अभय सिंह कह रहे हैं, उनकी कही बातों को लेकर देश के युवा वर्ग का एक बड़ा हिस्सा भी उनकी भावनाओं को समझ रहा है।
ऐसा भी नहीं है कि धर्म और आध्यात्मिक क्षेत्र में केवल अभय सिंह ही पढ़े – लिखे व्यक्ति हैं लेकिन उनके द्वारा यह कहना कि हमें धर्म के अर्थ को ढंग से समझाया ही नहीं जा रहा इसलिए लोग धर्म को गंभीरता से नहीं ले रहे, यह बात सत्य है। आजकल के वातावरण में जिन लोगों के ऊपर धर्म व अध्यात्म को लोगों को ढंग से समझाने का दायित्व है, इनमें भी कई इस दायित्व का पूर्ण रूप से निर्वहन नहीं कर रहे और इस भौतिकवादी युग में साधु, संत- संन्यासी भी इस भौतिक धारा की जकड़ में आते जा रहे हैं। जिससे लोगों में काफी भ्रम की स्थितियां बनी हुई हैं।
होना तो यह चाहिए कि गुरु अपने शिष्यों के सारे भ्रम और सवालों का निवारण करें लेकिन हो यह रहा है कि ऐसे पदों पर मौजूद कई लोग अपने शिष्यों- समर्थकों की संख्या को तो बढ़ा रहे हैं लेकिन जिस मकसद से गुरु- शिष्य का पवित्र रिश्ता बना, उस पवित्र रिश्ते की परिपूर्णता कहीं से होती नहीं दिख रही। इसी विषय को लेते हुए आईआईटियन बाबा साफ रूप से कहते हैं कि न तो उनका कोई गुरु है और न वह चेले बनाते । वे तो सत्य को जानने के लिए यात्रा पर चल रहे हैं।
उनका साफ स्पष्ट रूप से यह कहना कि मुझे सिर्फ जानना है, वे यह भी साफ तौर पर रहते हैं कि कोई अगर यह बता दे कि अब तक उन्होंने जो सीखा -समझा है, अगर वह गलत है तो वह नई राह पर चल पड़ेंगे। अभय सिंह के विचारों में उदारता अपने आप में बहुत बड़ा उदाहरण है, जो कि आज के वक्त में कई सारे धर्म- संप्रदायों, साधु – संन्यासियों, संतों- महात्माओं के विचारों में नहीं दिखती। जिस दिशा और लाइन पर चल रहे हैं, चले जा रहे हैं और आगे उनके शिष्य- समर्थक भी लकीर के फकीर बने हुए हैं।
आज डिजिटल युग में धर्म का प्रचार प्रसार तर्क के साथ ही किया जा सकता है। अब नई पीढ़ी हर बात के पीछे के लॉजिक को समझना चाहती है। अभय सिंह भी यही बातें कर रहे हैं, वे कहते हैं कि हर काम और हर बात के पीछे तर्क है जिसको बताना जरूरी है। एक विशेष बात यह देखें कि उन्होंने शायद कभी इतने सारे इंटरव्यू फेस न किए हों लेकिन वे बगैर किसी लाग लपेट और ज्यादा सोच विचार के हर इंटरव्यू में बड़ी सहजता और सरलता से हर बात का जवाब दे रहे हैं। अपने यहां अक्सर देखने में आता है कि जब किसी भी क्षेत्र में किसी व्यक्ति का नाम बड़ा हो जाता है तो उसके बाद कई नई कहानियां और नई बातें शुरू हो जाती हैं और संबंधित व्यक्ति को अपने को संभालना भी मुश्किल हो जाता है। अब यही बातें आईआईटियन बाबा यानी अभय सिंह पर भी लागू होती हैं कि वे आगे चलकर अपने मार्ग को साफ रख पाते हैं या नहीं। समर्थन व विरोध तो प्रकृति का नियम है।
कुछ लोग यह भी देख रहे हैं कि अभय सिंह आज के वक्त में जितनी बातें धर्म और अध्यात्म के बारे में कर रहे हैं, कहीं आगे चलकर उनका हाल पूर्व की तरह कई अन्य लोगों की तरह तो नहीं हो जाएगा कि कहीं वे अपने ज्ञान को किसी स्वार्थ पूर्ति के लिए भुनाने लगें। इस विषय पर अभय सिंह को काफी सोच – विचार से चलना होगा। काफी लोग यह भी कह रहे हैं कि पूरे कुंभ में अभय सिंह का नाम काफी तेजी से गूंजा है, जिससे अनेक साधु – संन्याससियों में चर्चा बनी हुई है और इस क्षेत्र के काफी लोग उनका विरोध भी कर रहे हैं। अभय सिंह का भविष्य क्या होगा पता नहीं लेकिन फिलहाल लगता है कि अभय सिंह की बातों से कई पाखंडियों की दुकान अवश्य बंद हो जाएगी। कुम्भ बारे कई लोग कमेंट कर रहे हैं कि एक मलंग आया और पूरी महफिल लूट कर चला गया।