7 फरवरी 2025: स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने अमेरिका से डिपोर्ट किए गए 104 भारतीय नागरिकों—जिसमें 11 महिलाएँ भी शामिल थीं—के साथ अमानवीय व्यवहार की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि इन सभी को हथकड़ी और बेड़ियों में जकड़कर सैन्य विमान से भारत भेजा गया, जो घोर अपमानजनक और अमानवीय है।

विद्रोही ने कहा, “महाशक्ति होने के अहंकार में चूर अमेरिका ने महिलाओं तक को बेड़ियों में जकड़ दिया। यह न केवल अमानवीय है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों का भी खुला उल्लंघन है।” उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उनकी यह क्रूरता अस्वीकार्य है।

उन्होंने भारत सरकार की चुप्पी पर भी सवाल उठाते हुए कहा, “एक ओर प्रधानमंत्री मोदी ट्रम्प को अपना मित्र बताते हैं, वहीं दूसरी ओर, उनके ही कथित मित्र भारत के नागरिकों के साथ इस तरह का व्यवहार कर रहे हैं। मोदी सरकार की निष्क्रियता और विदेश मंत्री की कमजोर प्रतिक्रिया दर्शाती है कि सरकार कितनी दब्बू और लाचार है।”

2013 की देवयानी खोब्रागड़े घटना से तुलना

विद्रोही ने 2013 में भारतीय राजनयिक देवयानी खोब्रागड़े के साथ हुए दुर्व्यवहार का उल्लेख करते हुए कहा कि उस समय कांग्रेस-यूपीए सरकार ने अमेरिका के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया था। “तत्कालीन सरकार ने अमेरिका को झुकने और माफी माँगने पर मजबूर कर दिया था, जबकि आज की भाजपा सरकार विरोध दर्ज करवाने के बजाय चुपचाप सबकुछ सहन कर रही है,” उन्होंने कहा।

उन्होंने राहुल गांधी के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन द्वारा संसद में जताए गए विरोध की सराहना की और कहा कि “मोदी सरकार का रवैया बेहद निराशाजनक और कायरता भरा है।”

निष्कर्ष

विद्रोही ने इस घटना को भारत की संप्रभुता और नागरिकों के सम्मान पर हमला बताया और सरकार से इस पर कड़ा रुख अपनाने की मांग की। उन्होंने कहा कि भारतीय नागरिकों के साथ हुए इस अमानवीय व्यवहार को किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जा सकता।

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