भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक
गुरुग्राम। साइबर सिटी गुरुग्राम, हरियाणा की शान गुरुग्राम, मुख्यमंत्री का मान गुरुग्राम, दुनिया में हरियाणा की पहचान गुरुग्राम और एक दिन में आए 33 कोविड पॉजीटिव केसों से दहल गया सब कुछ। सवाल पहले भी उठ रहे थे कि प्रशासन के कोविड सुरक्षा के काम ढीले हैं, अब उठेंगे और अधिक।

जिस तेजी से गुरुग्राम में कोविड बढ़ता जा रहा है, नागरिकों में दहशत फैलाने का काम कर रहा है। जब नुकसान होता है तो आदमी उसके काम में कमियां ढूंढने लगता है तो जो ढके-छुपे सवाल थे गुरुग्राम की जनता के, वे अब मुखर होकर सामने आएंगे।

हमारे संपादक ने लगभग एक माह पूर्व सीएमओ के साथ बात करने की कोशिश की थी, उन्होंने अपने सहायक को भेज दिया था बात करने के लिए लेकिन शायद कोई भी संतुष्ट जवाब नहीं दे पाया। हां, यह अवश्य कहा कि वैश्विक महामारी है, हम प्रयास कर रहे हैं, जितना हमसे बन रहा है, दिन-रात लगे हुए हैं।

गत 8 मई को हमारे संपादक ने जीएमडीए के सीओ वी. एस कुंडू से बात की तो उन्हें बताया कि गुरुग्राम की स्थिति बेहतर नहीं है। यहां प्रशासन के काम ठीक प्रकार से नहीं हो रहे हैं। जो सेनेटाइजेशन का प्रचार किया जा रहा है, वह वास्तव में हो ही नहीं रहा है। यदि आपको विश्वास नहीं है तो किसी भी स्थान पर आप स्वयं या अपने किसी प्रतिनिधि को भेजकर जांच कर सकते हैं, तो उनका उत्तर था कि नहीं ऐसा नहीं है, मैं आरडब्ल्यूए के कई ग्रुपों में व्हाट्स एप पर हूं और उनका कहना है कि वहां सेनेटाइजेशन हुआ है। अब उन्हें कौन समझाएं कि जिन ग्रुपों में वे हैं, उनके केवल प्रधान ही हैं और प्रधान अपने प्रचार के लिए थोड़े को बहुत अधिक कहकर वाह-वाही लूट रहे हैं। मैंने उन्हें बताया कि यदि कहीं सेनेटाइजेशन हुआ भी है तो वह केवल गेट के हैंडल को करके चले गए हैं लेकिन उनकी समझ में नहीं आया।

इसके आगे मैंने उन्हें कहा कि निगम के डॉक्टर आशीष सिंगला से मेरी बात हुई थी और आशीष सिंगला ने स्वयं यह स्वीकार किया कि हम हर मौहल्ले और घरों में तो सेनेटाइज कर ही नहीं रहे, हम तो केवल सार्वजनिक स्थानों पर कर रहे हैं। अब यह हमारी तो समझ में आया नहीं कि सार्वजनिक स्थान, पार्क, मंदिर इत्यादि तो आम आदमी के जाने के लिए तो वैसे ही बंद हैं तो वहां वे सेनेटाइजेशन किसे बचाने के लिए कर रहे हैं।

गत 22 मई शुक्रवार को मैं स्वयं निगम कमिश्नर से मिलने उनके कार्यालय गया, वहां उनके पीए से बात हुई तो उसे मैंने बताया कि कमिश्नर साहब ने मेरा फोन शायद ब्लॉक कर रखा है। मैं कई बारे फोन करने का प्रयास कर चुका हूं, वह मिलता नहीं है और मैसेज भी नहीं जा रहे हैं। मुझे उनसे कुछ निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार के बारे में बात करनी है तो दूसरी ओर से उत्तर मिला कि आप 31 मई के बाद आकर मिलना। सरकार की ओर से आदेश आए हुए हैं कि 31 मई से पहले किसी से नहीं मिलना। मेरे पास वापिस आने के अलावा और तो कोई विकल्प था नहीं तो मैं वापिस आ गया लेकिन पीछे से यह निवेदन अवश्य करके आया कि मेरा संदेश कमिश्नर साहब को दे देना और संभव हो तो मेरी फोन से उनसे बात भी करा देना लेकिन आज तक वह संभव हुआ नहीं है।

यह सब मैं आपको इसलिए बता रहा हूं कि मैं आरंभ से ही प्रशासन के कार्यों से संतुष्ट नहीं रहा हूं और इसमें सुधार के लिए प्रयासरत रहा हूं लेकिन पहले इसलिए नहीं कहा कि आम जनता का कहीं मनोबल न टूटे। किंतु आज जब एक दिन में 33 लोग पॉजीटिव मिले और वह भी तब जब टेस्ट गुरुग्राम में चंद लोगों का ही हुआ है। आपको बता दूं कि आजतक संपूर्ण हरियाणा में एक लाख लोगों के ही टेस्ट हुए हैं तो अनुमान लगा लो कि कितने प्रतिशत गुरुग्राम में हुए हैं।

अब इसमें मुझे परेशान होने की आवश्यकता भी नहीं है। जब विधायक ही शिकायत कर रहे हैं कि अधिकारी उनके फोन नहीं उठाते, उनकी बात नहीं सुनते तो हम तो फिर भी पत्रकार हैं। प्रोटोकॉल के हिसाब से शायद विधायक पत्रकार से ऊपर होता हो। बात तो फिर वही है कि कमिश्नर जब विधायक, जनता, पत्रकार आदि से नहीं मिलेगा तो आपातकाल की स्थिति की जानकारी किस प्रकार ले पाएगा, समझ में नहीं आया।

कुल मिलाकर कहना यह चाहते हैं कि प्रशासन जिस प्रकार काम कर रहा है और जो परिणाम आए हैं तो उससे यह कह सकते हैं कि कहीं न कहीं प्रशासन के कार्यों को सोच-समझकर और तेजी से बढ़ाना होगा।

गुरुग्राम की जनता को प्रभु पर और अपने आप पर विश्वास रख सजग होना होगा, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा विशेष रूप से, क्योंकि अब लॉकडाउन में बहुत ढील मिल गई हैं। ऐसे में अपनी जान की सुरक्षा के लिए स्वयं ही कोरोना फाइटर बनना पड़ेगा।

वर्तमान स्थितियां आम आदमी को बहकाने के लिए बहुत अच्छी दिखाई दे रही हैं। जाने कैसे-कैसे लोगों को कोरोना वॉरियर्स के सर्टिफिकेट बांट रहे हैं। इधर, मुख्यमंत्री ने कोरोना की आहट आते ही गुरुग्राम के अधिकारियों को एप्रिशेसन सर्टिफिकेट दे दिए थे तो ऐसी अवस्था में नागरिकों को जागृत होना होगा और जो-जो कमियां उन्हें दिखाई दे रही हैं, वे मुखर होकर प्रशासन तक पहुंचानी होंगी। चाहे वे अपने आरडब्ल्यूए प्रधान के माध्यम से पहुंचाएं, पार्षद, विधायक या फिर प्रेस के माध्यम से पहुंचाएं, पहुंचाना तो पड़ेगा।

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