दुकानदारों के बेवजह चालान काटने और सीलिंग के दबाव का किया विरोध. कहा- दुकानदारों को राहत देने की बजाए, उन्हें चालान और सीलिंग का डर दिखाकर परेशान कर रही है सरकार।. ·        बाज़ारों में भीड़ को व्यवस्थित करने के लिए प्रशासन उठाए क़दम, सिर्फ दुकानदारों पर ना थोपी जाएं ज़िम्मेदारी- दीपेंद्र

चंडीगढ़ 24 मईः राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा दुकानदारों के समर्थन में आगे आए हैं। दीपेंद्र का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान दुकानें खोलने की इजाज़त मिलने के बाद से प्रदेशभर के दुकानदारों की कई शिकायतें उनके सामने आई हैं। दुकानदारों का कहना है कि प्रशासन की तरफ से उन्हें बेवजह परेशान किया जा रहा है। पहले से घाटे में चल रहे दुकानदारों पर नाजायज़ चालान, जुर्माने और सीलिंग का दबाव बनाया जा रहा है। इसकी वजह ये है कि प्रशासन ने बाज़ार और दुकानों में भीड़ को व्यवस्थित करने की ज़िम्मेदारी पूरी तरह दुकानदारों पर छोड़ दी है। दुकानदारों के लिए ऐसा कर पाना संभव नहीं है। इसके लिए ख़ुद प्रशासन को कोई नीति बनानी चाहिए, ना कि सारी ज़िम्मेदारी दुकानदारों पर थोपनी चाहिए।

रोहतक ट्रेडर्स एसोसिएशन का कहना है कि सरकार की तरफ से दुकानों को खोलने का बहुत ही सीमित समय तय किया गया है। इसी सीमित वक्त में तमाम लोगों को ज़रूरी ख़रीदारी करनी पड़ती है। इस वजह से बाज़ार और दुकानों में दिन के वक्त ज्यादा भीड़ हो जाती है। इसका समाधान करने के लिए सरकार को दुकानें खोलने के वक्त में बढ़ोतरी करनी चाहिए। सुबह 9:00 बजे से लेकर रात 8:00 बजे तक दुकानों को खोला जाए। ताकि लोग ख़ुद सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग वक्त पर सुबह, दोपहर या शाम को ख़रीदारी कर सकें। जितने घंटे ज़्यादा बाज़ार खुला रहेगा, भीड़ उतनी ही कम होगी।

सांसद दीपेन्द् ने कहा कि पिछले 2 महीने से दुकानदारों का काम बिल्कुल चौपट है। बावजूद इसके उन्हें बिजली के भारी-भरकम बिल भेजे जा रहे हैं। उन्हें लगातार अपने वर्कर को वेतन, लोन की किश्त, दुकान का किराया और कमर्शियल चार्ज देना पड़ रहा है। इसलिए सरकार को कम से कम 3 महीने के लिए दुकानदारों के बिजली बिल,  लोन की किश्त और कमर्शियल चार्ज को माफ़ करना चाहिए। साथ ही सरकारी, कमेटी, मंडी बोर्ड और वक्फ बोर्ड की दुकानों के किराए में भी उन्हें रियायत देनी चाहिए।

दीपेंद्र का कहना है कि पटरी से उतर चुकी अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए छोटे कारोबारियों और दुकानदारों को आर्थिक मदद देनी चाहिए। साथ ही बाज़ार में मांग को बढ़ाने के लिए आम आदमी की क्रय शक्ति को बढ़ाना चाहिए है। क्रय शक्ति को बढ़ाने के लिए किसान, मजदूर, ग़रीब और मध्यम वर्ग को एक उचित रकम सीधे कैश ट्रांसफ़र के ज़रिए देनी चाहिए।

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