ऑर्गेनाइजर साप्ताहिक के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने रखा अपना संबोधन।

गुरुग्राम –   ऑर्गनाइजर के  सम्पादक व वरिष्ठ पत्रकार प्रफुल्ल केतकर का कहना है कि पत्रकारों  के लिए सकारात्मक पत्रकारिता ही असली धर्म है। सार्थक व तथ्यात्मक समाचार ही समाज को सही राह दिखा सकता है। श्री केतकर  विश्व संवाद केंद्र गुरुग्राम द्वारा ऑनलाईन आयोजित की गई देवऋषि नारद जयंती के अवसर पर बोल रहे थे। इस कर्यक्रम में 30 से अधिक पत्रकारों के साथ समाज के प्रबुद्ध जन भी सहभागी थे।

प्रफुल्ल केतकर ने कहा कि बदलते परिवेश में पत्रकारों के सामने कड़ी चुनोतियाँ आने वाली है। ऐसे में पत्रकारिता का महत्व और दायित्व और  भी बढ़ेगा।  आज पूरा विश्व कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है । इस वैश्विक महामारी से निपटने के दोनों पक्ष सकारात्मक व नकारात्मक हो सकते है। लेकिन इस बिमारी की भयावह तस्वीर दिखाने की बजाय अगर संवेदनशीलता के साथ सकारात्मकता के समाचार राष्ट्र के लिये हितकारी साबित होंगे।

उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि विशेष एजेंडे के तहत कुछ पत्रकार अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि धूमिल करने का प्रयास कर रहें हैं। ऐसे में  राष्ट्रनिष्ठ पत्रकारों जिमेदारी बढ़ जाती है।  उन्होंने कहा कि सृष्टि के प्रथम संवाददाता  देवऋषि नारद जी से प्रेरणा लेकर भविष्य में पत्रकारिता करने का संकल्प लेना चाहिए। श्री केतकर  उन पत्रकारों का आभार व्यक्त किया जिहोने  कोरोना काल में  भी सकारात्मक भूमिका निभाई।  प्रवासियों को मदद की गई। ऐसे  पत्रकारों का सम्मान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज जिस तरह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि खराब करने की  साजिश जी जा रही है वह चिंता का विषय है। इसके लिए हमे सकारात्मक पत्रकारिता करनी चाहिए।

 उन्होंने ने कहा कि देवऋषि नारद जी सर्वदा लोक कल्याण के लिए अपनी संवाद शैली का सदुपयोग किया। देवऋषि नारद जी एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक संस्था है। समय समय पर विश्व कल्याण के लिए उनका अवतरण होता रहा है। आज  नकारात्मक पत्रकारिता नहीं बल्कि देवऋषि नारद की  भांति जनकल्याण के लिये संवादादाता की भूमिका निभानी होगी तभी भारत विश्व के अग्रणी देशों में शामिल होगा। नारद जी ज्ञान और संवाद के वाहक थे।

उन्होंने वही कार्य किया जिससे जनकल्याण हो सके। नारद जी पत्रकारिता के जनक थे, इसलिए हम पत्रकारों का दायित्व बनता है कि नारद जी को ध्यान में रख कर अपनी लेखनी का उपयोग करेंगे तो न केवल हमारी लेखनी धन्य होगी बल्कि  रास्ट्र को इसके गुणात्मक परिणाम मिलेंगे।

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