कहा : जब लॉक डॉन के चलते गत 2 माह से स्कूलों में कोई पढ़ाई करवाई ही नहीं गई और ना ही अभी अगले 2 महीने तक पढ़ाई होने की संभावना है तो ऐसे में अभिभावक फीस क्यों दें

यह भी कहा: केंद्र सरकार की ओर से 20 लाख करोड़ का जो राहत पैकेज देने की बात की जा रही है, उसका कुछ हिस्सा इन मध्यवर्गीय परिवारों के  बच्चों की शिक्षा पर भी इस कठिन समय में खर्च करें और अभिभावकों को स्कूलों की ओर से जबरन की जा रही वसूली से भी बचाने का काम करें

पंचकूला, 21 मई। आम आदमी पार्टी ने निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों से तीन-तीन महीने की फीस एवं अन्य फंड की वसूली को नाजायज वसूली बताया है। पार्टी का कहना है कि जब लॉक डॉन के चलते गत 2 माह से स्कूलों में कोई पढ़ाई करवाई ही नहीं गई और ना ही अभी अगले 2 महीने तक पढ़ाई होने की संभावना है तो ऐसे में अभिभावक फीस क्यों दें। पार्टी ने इस बात पर भी हैरानी व्यक्त की है कि सरकार इन निजी स्कूलों के सामने झुक कर अभिभावकों की अनदेखी कर रही है। जिसके चलते अभिभावक प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हो रहे हैं।

आज यहां जारी एक बयान में योगेश्वर शर्मा ने कहा कि निजी स्कूलों ने 20- 20 प्रतिशत तक फीस बढ़ाकर जमा कराने के लिए अभिभावकों को संदेश भिजवा दिए हैं। जिसके चलते अभिभावक काफी परेशान हैं। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के चलते अधिकांश मां बाप पहले ही मंदी का शिकार हो चुके हैं। कईयों की नौकरियां छूट गई हैं तो कुछ अभिभावकों के वेतन में उनकी कंपनियों की ओर से भारी कटौती कर दी गई है। कुछ अभिभावक तो ऐसे भी हैं जिनका अपना कामकाज लॉकडाउन के चलते प्रभावित हुआ है और इसके चलते उन्हें अपना  घर का गुजारा करना तक मुश्किल हो रहा है। ऐसे में अपने बच्चों की कहां से जमा करवायंगे।

आप नेता योगेश्वर शर्मा ने कहा कि इन स्कूलों नेे सरकार से काफी समय पहले सस्ती दरों पर प्लॉट लेकर भवन बनाये हैं। तब सरकार से सस्ती जमीन लेते समय कई वायदे भी किये थे, जिनमें कुछ प्रतिशत गरीब बच्चों को भी पढ़ाने का वायदा किया था। मगर ऐसा गिने चुने स्कूल ही कर रहे हैं। दूसरे इनके भवन बने काफी समय हो चूका है,मगर ये हर साल बच्चों के अभिभावकों से स्कूल भवन के नाम पर भी पैसे की वसूली करते आये हैं। फिर मनमाने ढंग से हर साल फीसों में वृद्धि करके भी इन लोगों ने काफी धन कमाया है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के चलते काफी स्कूल मालिकों ने तो अपने स्टाफ को या तो वेतन दिया ही नहीं या फिर उनके वेतन में काफी कटौती करके दी है। कई स्कूल तो ऐसे भी हैं जिन्होंने अपने स्कूल में बच्चों को कुछ विष्य पढ़ाने के लिए कंट्रेक्ट आधार पर जो शिक्षक रखे थे , उन्हें नौकरी से निकाल दिया ताकि उन्हें वेतन न देना पड़े। अब वे नये कंट्रेक्ट आधार पर शिक्षक तालाश रहे हैं। तब तक बच्चों को प्रतीक्षा करने को कहा जा रहा है।

उन्होंने कहा कि स्कूलों की ओर से ऑनलाईन पढ़ाने का दिखावा भी किया जा रहा है जोकि पूरी तरह से फेल है। बच्चों को पता ही नहीं कि उन्हें आगे की कक्षा के लिए कौन सी किताबें खरीदनी हैं और कौन सी नहीं। शिक्षक ऑनलाईन पढ़ाने की बात तो करते हैं,मगर उनका सिस्टम ही नहीं चलता। उन्होंने कहा कि कई बच्चों के पास तो स्मार्ट फोन भी नहीं है। मां बाप को अपने बच्चों के लिए अब स्मार्ट फोन भी खरीदने पड़ रहे हैं। बावजूद इसके बच्चों को ऑनलाईन पढ़ाई का सिस्टम समझ नहीं आ रहा।

उन्होंने सरकार से मांग की है कि केंद्र सरकार की ओर से 20 लाख करोड़ का जो राहत पैकेज देने की बात की जा रही है, उसका कुछ हिस्सा इन मध्यवर्गीय परिवारों के  बच्चों की शिक्षा पर भी इस कठिन समय में खर्च करें और अभिभावकों को स्कूलों की ओर से जबरन की जा रही वसूली से भी बचाने का काम करें।

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