–कमलेश भारतीय छोरियां, छोरों से कम नहीं फिल्म में सतीश कौशिक के वकील का रोल निभाने वाले संजय रामफल ने बताया कि जहां इस फिल्म के निर्देशक राजेश अमरलाल बब्बर ने फिल्म में काम करने का अवसर दिया , वहीं सबसे लोकप्रिय एक्टर सतीश कौशिक ने मेरा हौसला बढ़ाया कयोंकि इतने बड़े एक्टर के सामने संकोच हो रहा था लेकिन सतीश सर ने कहा कि बिल्कुल सहज हो जाओ । संजय रामफल मूल रूप से चरखी दादरी के निवासी हैं और आजकल भी वहीं रहते हैं । पापा रामफल सिंचाई विभाग में ड्राइवर थे और मां किताबो एक साधारण गृहिणी लेकिन दोनों ने संजय को थियेटर करने में पूरा प्रोत्साहन दिया । जनता काॅलेज से ग्रेजुएशन के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी के इंडियन थियेटर डिपार्टमेंट से एम ए थियेटर की । -कैसे शौक लगा थियेटर का ?-स्कूल टाइम से ही । तब एक महिला पात्र का रोल निभाया था । फिर काॅलेज में सभी गतिविधियों में भाग लेता था । -एम ए थियेटर करने का सुझाव किसने दिया ?-एक दोस्त अजय अरेरा ने जब सिर्फ जमा दो में ही था । उसने कहा कि जमा दो के बाद मंडी हिमाचल से कोर्स कर सकते हो या फिर ग्रेजुएशन के बाद एम ए थियेटर । मैंने दूसरा ऑप्शन चुना । एनएसडी में भी जाना चाहता था लेकिन डिग्री से ही संतुष्ट हो गया क्योंकि मेरी चंडीगढ़ की फीस भी मां बाप दूध बेचकर चुकाते थे । -इंडियन थियेटर में क्या सीखा?-होली नाटक किया । एनएसडी से अनुराधा ने आकर रोमियो जूलियट करवाया । देवेंद्र राज अंकुर के साथ कहानियों पर भी काम करने का मौका मिला । -छोरिया छोरों से कम नहीं में रोल कैसे मिला ?-राजेश अमरलाल बब्बर ने ऑडिशन के आधार पर दिया । वे भी इंडियन थियेटर के पूर्व छात्र हैं तो अपने जूनियर का ध्यान रखा । वैसे हरविंद्र मलिक भी नये कलाकारों को काम देते हैं । -शूटिंग कहां हुई?-करनाल । दो वकीलों में से एक का रोल चुनना था । मैंने सतीश बब्बर के वकील का रोल चुना क्योंकि यह पाॅजिटिव रोल था । -फिर कैसा माहौल रहा शूटिंग में ?-बढिया माहौल । हीरोइन रश्मि सोमवंशी व हीरो अनिरूद्ध दवे सब मिल कर खुशनुमा माहौल बनाए रखते । हंसी मज़ाक भी होता । -किसी और फिल्म में भी काम किया ?-जी । यशपाल शर्मा ने लखमीचंद में दादा लखमीचंद के पड़ोसी का रोल । -कैसे मिला यह रोल ?-मुम्बई आता जाता रहता था तो यशपाल भाई से भी मिलता । बस ।इसी जान पहचान का मान रखा । रोज़ी रोटी कैसे कमाते हो ?-वेडिंग फोटोग्राफी और शूट करके । -मम्मी पापा ने तो नहीं रोका लेकिन पत्नी बबिता तो रोकती होगी ?-जी । थोड़ा तो रोकती है कि कभी खुशियों की दीवार बना कर सोशल वर्क में बिजी तो कभी फिल्म लाइन में । हमारा भी सोचो । पर फिर मेरे काम से खुश हो जाती है । बेटा तुषार पांच साल का है । -हरियाणवी फिल्मों का क्या भविष्य ?-भविष्य अच्छा है । सतीश कौशिक और यशपाल शर्मा सभी लगे हैं । हमारी शुभकामनाएं संजय रामफल को । Post navigation लाॅकडाउन ने बेटी वंशिका के साथ बच्चा बना दिया, कभी लूडो तो कभी सांप सीढ़ी खेलता हूं : सतीश कौशिक न घर है , न ठिकाना, बस चलते जाना