11 मई 2020. हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने एक बयान मे कहा कि भाजपा के तुगलकी फरमानो से देश की अर्थव्यवस्था पहले ही बर्बाद हो चुकी है1 नोटबंदी ने किस तरह छोटे उद्योगों, दुकानदारों, मजदूरो, युवाओं व आम आदमी को बर्बाद किया यह देश देख चुका है1

विद्रोही ने कहा कि बिना प्रभावी योजना के कोरोनावायरस का मुकाबला करने 25 मार्च से लगे लोक डाउन के साइड इफेक्ट्स भी सामने हैं, जब लाखों प्रवासी मजदूर सडक़ों पर भटक रहे हैं1 वहीं किसान अपनी फसलों को एमएसपी पर सरकारी खरीद एजेंसियों को बेचने के लिए मारा-मारा फिर रहा है1 अब हरियाणा भाजपा सरकार ने प्रदेश का भूजल स्तर ऊपर उठाने के नाम पर बिना कोई ठोस योजना बनाए तुगलकी फरमान से 8 जिलों के 19 ब्लाकों की किसानों की 222334 एकड़ जमीन व 26 ब्लॉकों की पंचायती जमीन पर धान की खेती करने पर प्रतिबंध लगाकर किसानों पर एक और आर्थिक चोट मारी है1

विद्रोही ने कहा गिरते भूजल स्तर को ऊपर उठाना जितना आवश्यक है उतना ही इसके लिए ठोस योजना भी बनाना आवश्यक है1 विगत 45 सालों में प्रदेश का भूजल स्तर 10 मीटर गिर चुका है और महेंद्रगढ़, कैथल, कुरुक्षेत्र, फतेहाबाद, गुडग़ांव, चरखी दादरी, रेवाड़ी जिलो में तो यह इससे भी अधिक गिरा है1 सवाल उठता है कि भूजल स्तर ऊपर उठाने के लिए जिला वाइज ठोस योजना बनाए बिना 8 जिलों के 19 ब्लॉकों में धान की 50त्न खेती पर प्रतिबंध लगाने के तुगलकी फरमान से कर्ज बोझ से दबे किसान को कितनी आर्थिक मार पड़ेगी इस पर किसान विरोधी संघी सरकार ने सोचा तक क्यो नहीं?

जल ही जीवन के नाम पर 7 ब्लाकों में धान की खेती बजाए मक्का खेती करने पर किसानों को प्रति एकड़ 2000 रुपए व प्रति एकड़ 760 रुपए बीमा रूप में देने की भाजपा सरकार की योजना पहले ही हवा हवाई साबित हो चुकी है1 इसी तरह भाजपा सरकार ने किसानो की गेहूं-सरसों फसल का एक-एक दाना एमएसपी पर खरीदने का जुमला उछाला था, पर क्या यह जमीन पर किसान फसल का एक-एक दाना खरीदा जा रहा है?

विद्रोही ने कहा रबी फसलों पर वर्षा, ओलो की पड़ी लगातार मार से नष्ट फसलों का मुआवजा आज तक किसान को नहीं मिला1 मंडियों में वर्षा से भीगे किसान की सरसों गेहूं को सरकार कटौती करके खरीद रही है1 खेतों में कटाई बाद पड़ा गेहूं व निकले गेहूं पर वर्षा, ओलों की मार का मुआवजा देने की बात सरकार ने सोची तक नहीं1 फिर ऐसी झूठी सरकार पर किसान कैसे विश्वास करें कि धान की फसल न बोने की एवज में घोषित सरकारी स्कीम के अनुसार किसानों को मुआवजा मिलेगा1

विद्रोही ने सवाल किया प्रदेश में उपलब्ध नहीं पानी का समान बटवारा किए बिना भूजल स्तर कैसे उपर उठेगा? और पानी के समान बटवारा करने के लिए भाखड़ा सिस्टम व यमुना सिस्टम को जोडऩे के लिए वैकल्पिक व्यवस्था किए बिना पानी का समान बंटवारा कैसे संभव है? वहीं वर्षा व बाढ़ के पानी का भूजल स्तर ऊपर उठाने के लिए प्रयोग करने के लिए प्रभावी व्यवस्था बनाए बिना भूजल स्तर कैसे उठेगा?

विद्रोही ने आरोप लगाया कि तुगलकी फरमानो से सरकार किसान, मजदूरों, आम आदमी की आर्थिक कमर तोड़ रही है1 पर उस तुगलकी फरमान से समस्या का कोई समाधान नहीं निकलता, अपितु समस्या और बढ़ती है1

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