हरियाणा ने तकनीक आधारित नीति से फायर सेफ्टी सर्टिफिकेशन को किया सुव्यवस्थित, जन सुरक्षा को मिली मजबूती

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

चंडीगढ़, 15 दिसंबर — हरियाणा सरकार ने जन सुरक्षा को सुदृढ़ करने और सुशासन की प्रक्रिया को सरल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट (FSC) के निर्गमन और नवीनीकरण के लिए व्यापक नए  दिशानिर्देशों को अधिसूचित किया है। हरियाणा फायर एवं इमरजेंसी सर्विसेज एक्ट 2022 के तहत तैयार यह नीति तकनीक आधारित, पारदर्शी और समयबद्ध व्यवस्था प्रस्तुत करती है, जो फायर सेफ्टी प्रशासन में एक नया मानक स्थापित करती है। इस नीति को औपचारिक रूप से 9 दिसंबर, 2025 को अधिसूचित किया गया।

राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की वित्त आयुक्त एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने बताया कि नई प्रणाली का उद्देश्य सुरक्षा मानकों से समझौता किए बिना सेवाओं की त्वरित आपूर्ति सुनिश्चित करना है। इस नीति में एम्पैनल्ड एजेंसी प्रणाली के साथ एक स्वचालित ऑनलाइन स्वीकृति प्रक्रिया शुरू की गई है, जिससे प्रक्रियागत देरी में उल्लेखनीय कमी आएगी।

अंतर्निहित निगरानी के साथ स्वचालित ऑनलाइन स्वीकृति

संशोधित प्रक्रिया के तहत, नए आवेदन और नवीनीकरण—दोनों के लिए फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट—एक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से स्वचालित रूप से जारी किए जाएंगे, बशर्ते आवेदन एम्पैनल्ड एजेंसी की प्रमाणन रिपोर्ट द्वारा समर्थित हो। इस सुधार से निरीक्षण से जुड़े अवरोधों में कमी आने और आवेदकों के लिए प्रक्रिया अधिक पूर्वानुमेय होने की उम्मीद है।

उन्होंने बताया कि पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए, संबंधित डिवीजन हेतु निरीक्षण करने वाली एम्पैनल्ड एजेंसी का चयन ऑनलाइन प्रणाली द्वारा यादृच्छिक (रैंडम) रूप से किया जाएगा। साथ ही, सरकार की कड़ी निगरानी भी बनी रहेगी। प्रमाणपत्र जारी होने के 30 दिनों के भीतर 25 प्रतिशत मामलों में फायर अधिकारी द्वारा और 10 प्रतिशत मामलों में संयुक्त निदेशक (तकनीकी) द्वारा अनिवार्य भौतिक सत्यापन यादृच्छिक आधार पर किया जाएगा।

फायर सेफ्टी ऑडिट के लिए उच्च मानक

डॉ मिश्रा ने बताया कि उक्त नीति में पेशेवर दक्षता पर विशेष जोर दिया गया है। एम्पैनल्ड एजेंसियों के लिए कड़े पात्रता मानदंड निर्धारित किए गए हैं, जिनमें यह अनिवार्य है कि प्रमुख सदस्य के पास बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (फायर) या समकक्ष योग्यता हो, साथ ही फायर प्रोटेक्शन सिस्टम में न्यूनतम चार वर्षों का अनुभव या किसी सरकारी फायर विभाग में सेवा का अनुभव हो।

उन्होंने कहा कि ये एजेंसियां व्यापक फायर सेफ्टी ऑडिट करेंगी, जिनमें अग्नि जोखिमों का आकलन, विद्युत सुरक्षा की जांच, स्प्रिंकलर और हाइड्रेंट जैसी सक्रिय प्रणालियों का सत्यापन, निष्क्रिय अग्नि सुरक्षा उपायों का मूल्यांकन, तथा कर्मचारियों के प्रशिक्षण और आपातकालीन तैयारी की समीक्षा शामिल होगी।

उन्होंने आगे बताया कि योग्य पेशेवरों को विस्तृत तकनीकी ऑडिट की जिम्मेदारी सौंपकर सरकार का उद्देश्य हरियाणा फायर एवं इमरजेंसी सर्विसेज एक्ट, 2022 तथा नेशनल बिल्डिंग कोड ऑफ इंडिया, 2016 के सख्त अनुपालन को सुनिश्चित करना है, जिससे सार्वजनिक और निजी भवनों में सुरक्षा मानक और अधिक मजबूत होंगे। यह नई नीति 31 मार्च, 2026 तक पूर्ण रूप से लागू की जाएगी, जो हरियाणा की फायर सेफ्टी नियामक व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण सुधार को दर्शाती है।

Bharat Sarathi
Author: Bharat Sarathi

Leave a Comment

और पढ़ें