मैक्सिको के टैरिफ बम से भारतीय ऑटो सेक्टर में हडक़ंप : सीआईआई ने की सरकार से हस्तक्षेप की मांग

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गुरूग्राम ऑटोमोबाईल निर्माण का प्रमुख केंद्र, मैक्सिको के टैरिफ बम से रोजगार व अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा सीधा असर : विनोद बापना।

मैक्सिको के अधिकारियों के साथ कूटनीतिक स्तर पर बातचीत कर रोजगार को प्रभावित होने से बचाए सरकार : विनोद बापना।

गुरूग्राम (जतिन/राजा): भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग जो अभी जीएसटी कटौती के बाद रिकवरी की राह पर लौट रहा था, उसके सामने एक नई और बड़ी अंतरराष्ट्रीय चुनौती खड़ी हो गई है। भारतीय कारों के सबसे बड़े खरीदारों में से एक मैक्सिको ने आयात शुल्क में भारी वृद्धि की घोषणा की है, जिससे लगभग 18 हजार करोड़ रुपये का भारतीय निर्यात प्रभावित होने की आशंका है। इस संकट के बीच सीआईआई गुरुग्राम जोन के चेयरमैन विनोद बापना ने सरकार से तत्काल कूटनीतिक हस्तक्षेप की अपील की है।

इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए सीआईआई गुरुग्राम जोन के चेयरमैन विनोद बापना ने गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि चूंकि गुरुग्राम ऑटोमोबाइल निर्माण का एक प्रमुख केंद्र है, इसलिए इस फैसले का सीधा असर स्थानीय अर्थव्यवस्था और रोजगार पर भी पड़ सकता है। बापना ने कहा कि मैक्सिको द्वारा टैरिफ में 15 प्रतिशत से 50 प्रतिशत की यह अभूतपूर्व वृद्धि भारतीय ऑटो उद्योग के लिए एक बड़ा झटका है, विशेषकर तब जब हम वैश्विक पटल पर निर्यात बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। यह केवल कंपनियों के मुनाफे का सवाल नहीं है, बल्कि पूरी सप्लाई चेन और मेक इन इंडिया की वैश्विक पहुंच का सवाल है। उन्होंने कहा कि 50 प्रतिशत टैरिफ के बाद भारतीय उत्पाद महंगे हो जाएंगे और उनका सस्ता होने का फायदा खत्म हो जाएगा।

 बापना ने मांग करते हुए कहा कि केंद्र सरकारे इस मामले को प्राथमिकता के आधार पर ले तथा तुरंत मैक्सिको के अधिकारियों के साथ कूटनीतिक स्तर पर बातचीत शुरू करे। उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसा कोई रास्ता निकालना होगा जिससे व्यापार प्रभावित होने की बजाय बढ़े। सरकार को फ्री ट्रेड एग्रीमेंट या विशेष आर्थिक समझौतों के जरिए इस टैरिफ वृद्धि से भारतीय कंपनियों को छूट दिलाने का प्रयास करना चाहिए। यदि कूटनीतिक समाधान में समय लगता है, तो सरकार को निर्यातकों के लिए प्रोत्साहन योजनाओं पर विचार करना चाहिए ताकि वे प्रतिस्पर्धी बने रहें। विनोद बापना का मानना है कि मैक्सिको जैसा बड़ा बाजार छोडऩा विकल्प नहीं होना चाहिए, बल्कि सरकार और उद्योग को मिलकर इस टैरिफ दीवार को गिराने का समाधान खोजना होगा।

गौरतलब होगा कि मैक्सिको ने उन देशों से आयातित कारों और ऑटो पार्ट्स पर टैरिफ 15 प्रतिशत से बढ़ाकर सीधा 50 प्रतिशसत करने का फैसला किया है, जिनके साथ उसका फ्री ट्रेड एग्रीमेंट नहीं है। इसमें चीन के साथ-साथ भारत भी शामिल है। यह नियम एक जनवरी से लागू होने की संभावना है, लेकिन इसका असर और अनिश्चितता अभी से उद्योग पर दिखने लगी है। आंकड़ों के मुताबिक भारत से निर्यात होने वाली हर चार में से एक कार मैक्सिको जाती है। पिछले वित्तीय वर्ष (2024-25) में भारत ने करीब 1.94 लाख गाडिय़ां मैक्सिको भेजी थीं, जिनकी कीमत लगभग 200 करोड़ डॉलर (करीब 18 हजार करोड़ रुपये) थी। इस फैसले का सीधा असर भारत की शीर्ष कार निर्माता कंपनियों पर पड़ेगा, जिनमें से काफी का बड़ा मैन्युफैक्चरिंग बेस गुरुग्राम और आसपास के क्षेत्रों में है।

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Author: Bharat Sarathi

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