भाजपा राज में नौकरियों का ‘संघीकरण’! हरियाणा के युवाओं का हक लूटा — विद्रोही

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श्वेत पत्र जारी कर सरकार बताए — हरियाणा को क्या मिला, बाहर वालों को क्या?

600 सहायक प्रोफेसर पदों में सिर्फ 8% हरियाणा के! आरक्षण को भी ठेंगा!

संघी ‘पर्ची सिस्टम’ से प्रशासन कब्जाने का षड्यंत्र: विद्रोही

चंडीगढ़/रेवाडी, 10 दिसंबर 2025। स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने भाजपा सरकार पर बड़ा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि बीते 10 सालों में एचपीएससी ने हरियाणा के युवाओं से उनका हक छीनकर बाहर वालों को मलाईदार पदों पर बैठा दिया
विद्रोही ने कहा कि प्रथम व द्वितीय श्रेणी की नियुक्तियों पर तुरंत श्वेत पत्र जारी किया जाए, जिसमें चयनित अधिकारियों का मूल निवास, जन्मस्थान और शिक्षा का पूरा ब्यौरा सार्वजनिक हो।

उन्होंने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार और ‘संघी पर्ची सिस्टम’ के दम पर बीते एक दशक में हरियाणा के उच्च प्रशासनिक ढांचे को विचारधारात्मक रूप से कब्जाने का षड्यंत्र चल रहा है।

“हरियाणावासियों की नौकरियां छीनकर भाजपा राज में बाहर के लोगों को अफसर बनाया जा रहा है। यह सिर्फ अन्याय नहीं — हमारा अपमान है।” — विद्रोही

उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार बताए —
कितने अफसर हरियाणा से हैं और कितने बाहर से?
भाजपा राज में युवाओं को अवसर मिला या धोखा?

600 सहायक प्रोफेसर भर्ती ने खोल दी पोल

एचपीएससी द्वारा कॉलेजों के लिए करीब 600 सहायक प्रोफेसर पदों पर की गई भर्ती को विद्रोही ने भ्रष्टाचार और मनमानी का जीता-जागता सबूत बताया।
करीब 2000 अभ्यर्थियों में से सिर्फ 151 पास—और इसमें भी हरियाणा के युवाओं की हिस्सेदारी केवल 8%!

विद्रोही ने कहा कि उच्च रैंकिंग वाले NET पास और PhD उम्मीदवारों को भी जानबूझकर बाहर कर दिया गया।

आरक्षण को भी ठेंगा!

ओबीसी और एससी वर्ग के उम्मीदवारों के साथ भारी अन्याय का आरोप —

  • पिछड़ा वर्ग के 116 पद → सिर्फ 9 पास
  • एससी वर्ग के 120 पद → केवल 5 पास

“भाजपा और एचपीएससी ने मिलकर आरक्षण को कुचल दिया और बाहर वालों का तिलक कर दिया।” — विद्रोही

विद्रोही ने सीधे कहा कि यदि सरकार 10 साल की नियुक्तियों का हिसाब नहीं देती तो यह साफ हो जाएगा कि
मोटा माल,
संघी जोड़-तोड़
और हरियाणा विरोधी नीति—इसी के बूते पर भर्ती हुई है।

उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सच्चाई जनता के सामने नहीं लाई गई तो यह जनांदोलन का मुद्दा बनेगा

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Author: Bharat Sarathi

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