17 सितंबर को यज्ञ दिवस घोषित करने और कुरुक्षेत्र को धाम बनाने की सरकार से की मांग।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र, 27 मार्च : धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के केशव पार्क में धर्म संसद का आयोजन किया गया। अनेक राज्यों से संत महात्मा इस धर्म संसद में पहुंचे। सनातन और अध्यात्म पर जहां संतों ने अपने विचार रखें वहीं संतों ने 17 सितंबर को यज्ञ दिवस घोषित करने और कुरुक्षेत्र को धाम बनाने की मांग की।

धर्म संसद में संत सोमेश्वर गिरी, संत स्वामी पुरषोत्तमनन्द, महंत रामनपुरी, महंत ईश्वर दास, महंत श्री शिवपुरी, महंत बीर पुरी, महंत नरेशपुरी, महंत इन्द्रगिरी, स्वामी हरिओम परिव्राजक, स्वामी हरिनारायण गिरी, स्वामी ज्ञान मंगल, स्वामी मंगलानंद, सतपाल महाराज, आचार्य राजेश वत्स, स्वामी चिरंजीपुरी महाराज सहित अनेक संतों ने भाग लिया और अपने विचार रखे। सभी संतों ने स्वामी हरिओम जी द्वारा 1008 कुंडिया जनकल्याण शिव शक्ति महायज्ञ से होने वाले वातावरण की शुद्धता पर भी चर्चा की। विभिन्न प्रदेशों से पहुंचे संतों ने हुंकार भरते हुए एक स्वर में कहा कि भरी। कुरुक्षेत्र को आज वह स्वरूप मिल चुका है कि इसे कुरुक्षेत्र धाम से जाना जाए। यहां धर्म संसद का आयोजन किसी कुंभ से कम नहीं है। कुरुक्षेत्र में 1008 कुंडीय महायज्ञ का आयोजन किसी बड़े पुनीत कार्य से कम नहीं है। धर्म संसद में संतों व श्रद्वालुओं द्वारा दिखाए गए उत्साह से साबित होता है कि यहां धर्म-कर्म व श्रद्धा बेहद विस्तार लिए हुए हैं। ऐसे में यह धरा पूरी दुनिया में धाम के रूप में जानी जाए। यहां से सनातन को भी बड़ी मजबूती मिल रही है और भविष्य में यह और बढ़ने वाली है।

धर्म संसद में संतों ने न केवल धर्मनगरी कुरुक्षेत्र की महत्ता पर विस्तार से चर्चा की बल्कि सनातन को मजबूत करने का भी खुलकर आहवान किया। यहां तक युवा पीढ़ी को भी सनातन को मजबूत करने में जोड़ने के लिए संतों द्वारा ऐसे ही मार्ग दिए जाने व ऐसे ही पुनीत कार्य किए जाने का भी आह्वान किया।

प्रयागराज में 60 करोड़ युवा श्रद्वालु जुटे : हरिचेतन्य ब्रह्मचारी

प्रयागराज से पहुंचे संत हरिचेतन्य ब्रह्मचारी ने कहा कि इस बार प्रयागराज में लगे महाकुंभ का हिस्सा 65 करोड़ श्रद्वालु बने। लेकिन इसमें यह भी साबित हुआ कि युवाओं का सनातन से दूर होने का भ्रम भी टूट गया। यहां 60 करोड़ ऐसे श्रद्वालु थे, जो युवा अवस्था के थे। ऐसे में यह कहना सही नहीं है कि युवा धर्म एवं सनातन से विमुख हो रहे हैं। ऐसे में संतों की भी जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वे युवाओं को सही मार्ग दिखाते हुए मंजिल तक लेकर जाएं। यह भी स्पष्ट है कि हर कोई प्रयागराज की महत्ता को जानना चाहता है। उन्होंने कहा कि ऐसा माहौल बनना चाहिए कि हर घर में यज्ञ हो। जो महायज्ञ का पुनीत कार्य कुरुक्षेत्र में हुआ है ऐसे कार्य हर क्षेत्र में हो। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र आज धाम का रूप ले चुका है और भविष्य में इस धरा की यही पहचान होनी चाहिए।

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