
धर्म नगरी गोंदिया में उमड़ेगा श्रद्धा का सैलाब
पूरण सतगुरु ही पारब्रह्म द्वारा रचित सृष्टि में सर्व आत्माओं के उत्थान हेतु अर्श से फर्श पर प्राकट्य होते हैं
-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी

आध्यात्मिकता और भक्ति की पावन धरा भारत में 23 मार्च 2025 को एक और दिव्य आयोजन होने जा रहा है। हरे माधव सत्संग का यह भव्य आयोजन कटनी के पूरण सतगुरु, पारब्रह्म बाबा ईश्वरशाह साहब जी की पावन हुजूरी में संपन्न होगा। यह सत्संग न केवल भक्तों को आध्यात्मिक लाभ प्रदान करेगा, बल्कि उन्हें आत्मा की शुद्धि और भक्ति के मार्ग पर अग्रसर करने का भी एक दिव्य अवसर प्रदान करेगा।
पूर्ण सतगुरु – आत्मा के उत्थान के लिए अवतरित होते हैं
एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी जी का कहना है कि संपूर्ण सृष्टि में आत्माओं के उत्थान के लिए ही पूरण सतगुरु का इस धरती पर प्राकट्य होता है। उनकी दिव्य उपस्थिति से भक्तों के मन, चित्त और आत्मा को शांति प्राप्त होती है। सतगुरु के चरणों में नतमस्तक होकर सेवा और भक्ति करने से मनुष्य के सांसारिक और आध्यात्मिक कार्य सहज रूप से संपन्न होते हैं।
हरे माधव सत्संग – एक विस्तृत कार्यक्रम
इस भव्य आयोजन की शुरुआत 21 मार्च 2025 की संध्या 6 बजे हरे माधव भजन संध्या से होगी, जिसमें महिलाएं भजन-कीर्तन कर आध्यात्मिक वातावरण बना।
21 मार्च 2025
संध्या 6 बजे हरे माधव भजन संध्या से हुई
22 मार्च 2025 को
सुबह 6 बजे पावन प्रभात फेरी निकलेगी, जो दरबार साहब से प्रारंभ होकर सतगुरु निवास, शंकर चौक पर समाप्त हुई।
संध्या 6 बजे पूज्य गुरुवर के नगर आगमन पर विशाल धर्म रैली जयस्तंभ चौक से शंकर चौक तक निकलेगी और गुरु निवास पर विश्राम ।
23 मार्च 2025 को
संध्या 6 बजे पूज्य बाबा ईश्वरशाह साहब जी की पावन उपस्थिति में हरे माधव सत्संग आयोजित किया जाएगा।
सत्संग के पश्चात श्रद्धालुओं के लिए पावन लंगर साहब की व्यवस्था की गई है।
इस पावन अवसर पर महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश सहित कई राज्यों से भक्तों के आगमन की संभावना है। आयोजकों ने उनके ठहरने, भोजन एवं अन्य आवश्यक सुविधाओं की संपूर्ण व्यवस्था कर रखी है। यह आयोजन भारत की आध्यात्मिक परंपरा की मजबूत जड़ों का प्रमाण है, जो निस्वार्थ सेवा और निष्काम भक्ति का प्रतीक है।
सतगुरु की भक्ति – आत्मा की जागृति का मार्ग

आधुनिक जीवन की आपाधापी से परे, जो भक्त अपने हृदय को निर्मल भावों से भरकर सतगुरु की शरण में आते हैं, उन पर जीवन मुक्त सतगुरु अपनी कृपा दृष्टि बरसाते हैं। सतगुरु के सान्निध्य में आकर मनुष्य आध्यात्मिक उन्नति की ओर बढ़ता है और आत्मा के भीतर सोई हुई दिव्य ज्योति पुनः जागृत होती है।
“आप सवारें हरि मिले” – इसका अर्थ यही है कि यदि हम अपने हृदय को शुद्ध कर लें और निष्काम भक्ति में रत हो जाएं, तो प्रभु का साक्षात्कार संभव है। भक्तों को यह स्मरण रखना चाहिए कि सतगुरु के चरणों में निष्काम सेवा करने और सत्संग, सिमरन एवं ध्यान में रमने से ही आत्मा का कल्याण संभव है।
पूर्ण सतगुरु – धरा पर दिव्य प्रकाश के प्रतीक
पूर्ण सतगुरु कालचक्र में अवतरित होते हैं और अपनी दिव्य वाणी से आत्माओं को सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। वे अपने अमरत्वमय सत्संग और अमृतवाणी से अंश आत्माओं को उनके मूल स्त्रोत से जोड़ते हैं।
निष्कर्ष
अगर हम इस पूरे आयोजन का गहराई से अध्ययन करें तो यह स्पष्ट होता है कि हरे माधव सत्संग न केवल एक आध्यात्मिक आयोजन है, बल्कि यह एक दिव्य यात्रा है जो आत्मा को उसके परम स्रोत की ओर ले जाती है। पूरण सतगुरु बाबा ईश्वरशाह साहब जी की उपस्थिति में यह सत्संग अनगिनत भक्तों के लिए जीवन को सार्थक बनाने का अवसर प्रदान करेगा।
संकलनकर्ता एवं लेखक:
एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी(अंतरराष्ट्रीय लेखक, चिंतक साहित्यकार, स्तंभकार कर विशेषज्ञ,कवि, संगीत माध्यमा, सीए (एटीसी))