*निकाय चुनावों में कथित धांधलीयों के आरोपों व शंकाओं को लेकर मौन क्यों चुनाव आयोग ? माईकल सैनी
डिजिटल युग वाली सरकार पिछडी है या इवीएम सक्षम नहीं तत्काल नतीजे देने में ? माईकल सैनी

गुरुग्राम 19 मार्च 2025 विपक्षी दल परंपरागत राजनीती के भरोसे यदि सत्ता हांसिल करना चाहते हैं तो यह बात आज के दौर में बचकाना साबित होगी और सत्ताधारी दल यदि यह कहे कि वह लोकतंत्रिक मूल्यों पर सरकार चला रहा है तो यह भी हास्यास्पद होगी, चूंकि हाल ही में सम्पन्न हुए निकाय चुनावों के संदर्भ में देखा जाए तो कहीं से भी नहीं लगता है कि चुनाव निष्पक्षता से कराए गए हैं, दीगर बात है कि सैंकड़ो उम्मीदवार सरकारी मशीनरी के भरपूर दुरूपयोग के आगे नतमस्तक होकर स्वम् का ही अस्तित्व मिटा बैठ गए परंतु आज की राजनीती पर बारीक़ नजर रखने वाले लोगों का मानना है कि चुनाव जरूर हुए मगर केवल नाम मात्र के लिए मगर लोगों के शकसूबा और अनेशों का कोई जवाब सरकार व चुनाव आयोग देने को तैयार नहीं, यहाँ घर की बही काका लिखनिया वाली कहावत चरिथार्थ होती है !
सामाजिक कार्यकर्त्ता माईकल सैनी नें भाजपा पर जातिवाद, क्षेत्रवाद,भाई-भतीजावाद, धनब्ल, बाहुबल, पक्षपात व सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग करने वाली बात अनेकों पराजित उम्मीदवारों द्वारा उठाए गए सवालों पर अभीतल्क किसी की भी जवाबदेही तय नहीं किए जाने को आधार मानकर कही तथा अनियमितताएं बरते जानें पर संदेह जताया है मगर सवाल तो यह है कि जाँच और कार्यवाही कौन करे, साथ ही कहा कि ज़ब एसी धक्काशाही ही करनी है तो चुनावी प्रक्रिया को समाप्त ही क्यों नहीं कर देती भाजपा सरकार ?
उन्होंने कहा कि कई वार्डो में पंचायतों के निर्णय पर प्रत्याशी बने लोगों जिनका खुद का परिवार एक बूथ पर ही सैंकड़ो लोगों का है उन्हें महज 40 वोट और उसी के समान तीसरे और चौथे स्थान पर आने वाले को मिलती है परंतु भाजपा प्रत्याशी जिसका परिवार बड़ा ना किसी का समर्थन उसे सैंकड़ो वोट मिले ?
माईकल सैनी नें विविपैट मशीनों का नहीं होना, एजेंटों के हस्ताक्षर मिलान करने से पुर्व तथा उम्मीदवारों की गैरमौजूदगी में ही मशीनों को डिसील करनें जैसे अनेकों सवालों के जवाब डिजिटल युग वाली सरकार से जानना चाहे है और यह भी कि वह खुद पिछडी है या इवीएम सक्षम नहीं थी तत्काल नतीजे देने में जो मतगणना के लिए हफ्तों लगा दे और क्या इतना समय मशीनों की हेराफेरी के लिए रखा था, कुछ तो जवाब दे चुनाव आयोग और सरकार आखिर यह मौन क्यों ?