चंडीगढ़,रेवाड़ी, 18 मार्च 2025 – मुख्यमंत्री द्वारा हरियाणा विधानसभा में प्रस्तुत बजट 2025 की मीडिया में जमकर सराहना हो रही है। भाजपा के नेता, मंत्री, सांसद, विधायक, और तथाकथित विश्लेषक इसकी प्रशंसा में व्यस्त हैं। लेकिन जब इसकी गहराई से पड़ताल की जाती है, तो यह बजट पुराने वादों की पुनरावृत्ति और अधूरी परियोजनाओं की लिस्ट भर ही नजर आता है। स्वयंसेवी संस्था ‘ग्रामीण भारत’ के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने इस बजट की वास्तविकता पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

बजटीय प्रावधान: क्या विकास परियोजनाओं के लिए पर्याप्त धन आवंटित हुआ?

विद्रोही ने स्पष्ट रूप से पूछा कि जिन योजनाओं और परियोजनाओं के गुणगान किए जा रहे हैं, क्या उनके लिए पर्याप्त धन आवंटन किया गया है? यदि हां, तो क्या सरकार ने इस पर कोई ठोस अध्ययन किया है कि ये परियोजनाएं कितने समय में पूरी होंगी?

उदाहरण के लिए, गुरुग्राम में मेट्रो लाइन बिछाने की घोषणा तो की गई है, लेकिन 5452 करोड़ रुपये की इस परियोजना के लिए महज 300 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया गया है। इससे ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह योजना कितने वर्षों में पूरी होगी और इसका बजट कितना बढ़ेगा।

समाज कल्याण योजनाओं पर कटौती या दिखावा?

बजट 2024 में घोषणा की गई थी कि बुजुर्गों, विधवाओं और दिव्यांगों की पेंशन में 1 नवंबर 2024 से 250 रुपये की वृद्धि होगी, लेकिन 2025 के बजट में भी इन वर्गों के लिए एक पैसे की वृद्धि नहीं की गई। इससे सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के प्रति गंभीरता पर सवाल खड़े होते हैं।

बजट की ‘कॉपी-पेस्ट’ परंपरा

विद्रोही ने बजट की विश्वसनीयता पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले 7-8 वर्षों के बजटों की घोषणाओं को बेशर्मी से ‘कॉपी-पेस्ट’ कर जनता को गुमराह किया जा रहा है।

  • 2018 के बजट में गुरुग्राम में फूलों की मंडी बनाने की घोषणा हुई थी, वही वादा 2025 के बजट में भी दोहराया गया।
  • 2021 में ‘खेलो ऐप हरियाणा’ लॉन्च किया गया था, जिसे अब 2025 में फिर से लांच करने की घोषणा कर दी गई।
  • 2023 में ‘मिलेनियम सिटी, साइबर सिटी और मेट्रो परियोजना’ का ऐलान हुआ था, जिसे 2025 में फिर से दोहरा दिया गया।
  • पिछले तीन वर्षों से ‘जंगल सफारी’ की घोषणा हर बजट में की जा रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस प्रगति नहीं हुई।
  • 2022 में ‘फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट’ की घोषणा की गई थी, जिसे 2025 के बजट में फिर से चिपका दिया गया।
  • 1991 से दिव्यांगों को हरियाणा रोडवेज बसों में मुफ्त यात्रा की सुविधा दी जा रही है, लेकिन 34 साल बाद इसे फिर से बजट में शामिल कर वाहवाही लूटने की कोशिश की जा रही है।
  • 2021 में खेल स्टेडियमों की मैपिंग की योजना बनाई गई थी, जिसे अब 2025 में फिर से पेश कर दिया गया।

मिशन 2047: एक और झूठा सब्ज़बाग?

मुख्यमंत्री ने ‘मिशन 2047’ के तहत 5 करोड़ रुपये आवंटित कर दावा किया कि इससे भविष्य में 50 लाख युवाओं को रोजगार मिलेगा। विद्रोही ने इस पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि यह एक और खोखला सपना है, जिसे भाजपा-संघ की सरकार ने जनता के सामने परोस दिया है।

जनता के साथ छलावा

विद्रोही ने कहा कि यह बजट विकास की जगह पुराने वादों की नकल और दिखावे से भरा हुआ है। वास्तविकता यह है कि बिना उचित बजटीय आवंटन के कोई भी योजना धरातल पर नहीं उतर सकती। हरियाणा की जनता अब इस ‘कॉपी-पेस्ट’ नीति को पहचान चुकी है और सरकार से ठोस कार्यों की उम्मीद कर रही है, न कि खोखले वादों की।

निष्कर्ष

हरियाणा बजट 2025 एक बार फिर दिखावटी घोषणाओं और अधूरी योजनाओं का पुलिंदा साबित हो रहा है। जनता को विकास के नाम पर केवल झूठे दावे और दोहराए गए वादे परोसे जा रहे हैं। अब यह देखना होगा कि जनता कब तक इन खोखले वादों के जाल में फंसती रहेगी या फिर सरकार से ठोस जवाबदेही की मांग करेगी।

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