विजय गर्ग ……. सेवानिवृत्त प्रिंसिपल

आप बहुत सुंदर हैं…। तारीफ किसकी, कैसे और कब करें इसका भी कायदा होता है। पिछले दिनों एक अदालती टिप्पणी में कहा गया कि अनजान महिला को रात में ऐसे संदेश भेजना अश्लीलता की श्रेणी में आता है। इस टिप्पणी का सोशल मीडिया पर बहुत मजाक भी बना। मतलब दिन में ऐसे संदेश भेज दें तो क्या अश्लीलता में नहीं आएगा ?
किसी भी अदालती टिप्पणी के एक वाक्य भर को उठा लेना विश्लेषण को गलत दिशा में ले जाता । इसलिए हम इस टिप्पणी को यहीं पर छोड़ते हैं और बात करते हैं कार्यस्थल में महिला सहयोगियों से संदेश व्यवहार की। वैसे तो सांस्थानिक ढांचे के तहत दफ्तरों में विशाखा दिशा- निर्देश हैं। इसे इसी अवधारणा के साथ लाया गया था कि व्यावसायिक जगहों पर महिलाओं के साथ ऐसा व्यवहार न हो जो उनकी प्रतिभा, कुशलता, गरिमा और बुनियादी अधिकारों का हनन करता हो । कार्यस्थलों पर ऐसा कोई भी संदेश या संकेत नहीं देना चाहिए जिससे पुरुष और महिला कर्मचारियों के बीच लैंगिक भेदभाव हो ।
इन दिनों ज्यादातर कर्मचारी संस्थान से जुड़े वाट्सएप समूह पर जुड़ते हैं। आम तौर पर जो भी संस्थान का अगुआ या निदेशक होता है उसके संदेशों पर व्यावसायिक प्रतिक्रिया ही दी जाती है। ऐसे संदेशों में ‘इमोजी’ के कम से कम इस्तेमाल की सलाह दी जाती है। अगर आपने शब्दों में अपनी बात कह दी है तो फिर उसके चित्रगत प्रतीकों में जाने की जरूरत नहीं है। दफ्तर के कर्मचारियों के बीच आधिकारिक वाट्सएप समूह के अलावा निजी तौर पर भी बातचीत होती है। आम तौर पर हम निजी बातचीत में एक पंक्ति के साथ कई तरह के ‘इमोजी’ लगा देते हैं। हो सकता है कि किसी एक सहयोगी को यह पसंद हो लेकिन कई लोगों को ‘इमोजी’ के अतिरेक से चिढ़ भी होती है । बहुत से लोग, बहुत से इमोजी के सही अर्थ भी नहीं समझते और ‘इमोजी’ का बेलगाम इस्तेमाल करते हैं ।
दफ्तर के रिश्तों को हम बहुत जल्दी आत्मीय मान लेते हैं और निजी बातचीत में उसी तरह के शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। वाट्सएप संदेशों में भी हम कुछ ऐसे शब्दों और प्रतीकों का इस्तेमाल कर बैठते हैं।
याद रखिए, वाट्सएप संदेश आपका लिखित संदेश हैं। लिखित संदेशों को हमेशा औपचारिक माना जाता है। इन दिनों वाट्सएप ने यह सुविधा दे रखी है कि आप अपने लिखे को संपादित कर सकते हैं, लेकिन उसकी सीमा है। इसलिए किसी महिला कर्मचारी को संदेश लिखते वक्त शाब्दिक मर्यादा का तो ध्यान रखिए ही ‘इमोजी’ की मर्यादा का भी ध्यान रखिए। चुंबन या गले लगाने जैसे ‘इमोजी’ प्रतीकों का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही नृत्य करने, होठों का, राजकुमारी जैसी ‘इमोजी’ का भी इस्तेमाल नहीं करें। संदेशों को एक-एक पंक्ति की खेप में भी भेजने से परहेज करें। हो सकता है कि उसे पढ़ने वाला इस मानसिक अवस्था में न हो कि वह बार-बार आ रहे संदेशों पर प्रतिक्रिया दे । संदशों को मुकम्मल लिख कर उसे एक बार ठीक से पढ़ लें और संपादन की जरूरत हो तो करें। महिला हो या पुरुष, वरिष्ठ हो या कनिष्ठ किसी के संदर्भ में भी ध्यान रखें कि भाषाई अशुद्धियों से भरा संदेश नहीं भेजें।
कोई व्यावसायिक जरूरत न हो तो कार्य अवधि के बाद महिला कर्मचारियों को संदेश न भेजें। संदेश भेजते वक्त दफ्तर की पाली का भी ध्यान रखें। कोई महिला रात की पाली में काम कर गई है तो इसका मतलब यह नहीं कि सुबह छह बजे उसे संदेश भेज दें। याद रखें, आपके भेजे संदेश आपके व्यक्तित्व के अग्रदूत हैं।