
गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज: गुरुग्राम के एचएसवीपी ऑफिस में सर्व कर्मचारी संघ द्वारा कर्मचारी असेंबली का आयोजन किया गया। इस बैठक की अध्यक्षता जिला प्रधान रामनिवास ठाकरान ने की, जिसमें 14-15 प्रस्तावों पर बहस के बाद 13 प्रस्ताव पारित किए गए। इन प्रस्तावों की प्रतियां मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री, हरियाणा सरकार को भेजी गईं।
मुख्य मांगें और प्रस्ताव:
- प्रदेश के लिए अलग वेतन आयोग: केंद्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा कर दी है, लेकिन हरियाणा कर्मचारी संघ की मांग है कि प्रदेश का अलग वेतन आयोग गठित किया जाए।
- अंतरिम राहत: जब तक आठवां वेतन आयोग लागू नहीं होता, तब तक कर्मचारियों को ₹5,000 प्रति माह अंतरिम राहत दी जाए।
- पुरानी पेंशन बहाली: कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को दोबारा लागू करने का प्रस्ताव पारित किया गया।
- रिटायरमेंट पर वेतन वृद्धि: रिटायरमेंट के समय वेतन वृद्धि लागू की जाए और पेंशन पर 65/70/75 वर्ष की उम्र में 5%, 10% और 15% की वृद्धि की जाए।
- अनियमित कर्मचारियों का स्थायीकरण: परियोजना और एचकेआरएन कर्मचारियों सहित सभी प्रकार के अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी किया जाए।
- कम्यूटेशन की अवधि: ब्याज दर कम कर कम्यूटेशन को 10 वर्षों में पूरा किया जाए।
- परिवार पहचान पत्र (Family ID) में संशोधन: ₹3,500 की शर्त को हटाया जाए और आश्रितों के मेडिकल बिल पास किए जाएं।
सरकार ने आश्वासन के बावजूद नहीं की वार्ता
सर्व कर्मचारी संघ के जिला प्रधान रामनिवास ठाकरान और राज्य सचिव जोगेंद्र करौथा ने बताया कि कुरुक्षेत्र में मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए आश्वासन के बावजूद लंबित मांगों को लेकर संघ से कोई बातचीत नहीं की गई। उन्होंने कहा कि हरियाणा की प्रति व्यक्ति आय और जीडीपी दर देश के अन्य राज्यों से अधिक है, जिससे पुरानी पेंशन व्यवस्था को आसानी से लागू किया जा सकता है।
संघ का कहना है कि सरकार जॉब सिक्योरिटी एक्ट लागू करने के बावजूद एचकेआरएन कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के फरमान जारी कर रही है। साथ ही, अस्थायी कर्मचारियों के वेतन में भारी असमानता है, जो असंवैधानिक भी है। इस मुद्दे के स्थायी समाधान के लिए सरकार को रेगुलराइजेशन नीति बनाकर सभी कर्मचारियों को स्थायी करना चाहिए।
सरकारी तबादला नीति और भ्रष्टाचार पर सवाल
संघ ने सरकार की ऑनलाइन तबादला नीति की आलोचना करते हुए कहा कि यह न कर्मचारियों के लिए फायदेमंद है और न ही सरकार के लिए।
- बड़ी संख्या में अवांछनीय तबादले किए गए हैं, जिससे कर्मचारियों और जनता को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
- सरकार को अनावश्यक राजस्व हानि हो रही है।
- मुख्यमंत्री और मंत्रियों द्वारा कर्मचारियों को बार-बार धमकाने वाले बयान दिए जा रहे हैं।
- बिना किसी चेतावनी या सुधार के अवसर दिए, कर्मचारियों का तबादला या निलंबन कर दिया जाता है।
- संघ ने कहा कि भ्रष्टाचार हमेशा ऊपर से नीचे की ओर चलता है, इसे रोकने के लिए ऊपरी स्तर से कार्रवाई शुरू करनी चाहिए।
सरकारी विभागों में भारी स्टाफ की कमी
संघ के अनुसार, हरियाणा सरकार के अपने आंकड़ों के अनुसार 2.5 लाख पद खाली पड़े हैं, जिन पर तुरंत नियमित भर्तियां करने की जरूरत है। सरकारी विभागों की सेवाओं को मजबूत करने के लिए जनसंख्या के अनुसार
- शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, परिवहन, सफाई, कृषि सेवा, पशुपालन और कानून व्यवस्था आदि क्षेत्रों का विस्तार किया जाना चाहिए।
- सरकारी विभागों का निजीकरण और ठेकाकरण समाप्त किया जाए।
संघ ने प्रदेश के सभी 90 विधायकों को ज्ञापन सौंपे और सरकार से मांग की कि चुनाव आचार संहिता समाप्त होने के तुरंत बाद कर्मचारियों की मांगों को लेकर बैठक आयोजित की जाए।
“कर्मचारी बजट सत्र” का आयोजन
संघ ने गुरुग्राम जिला मुख्यालय पर एक दिवसीय “कर्मचारी बजट सत्र” का आयोजन किया, जिसमें बजट से कर्मचारियों की अपेक्षाओं को प्रस्ताव के रूप में पारित कर सरकार को भेजा गया। इस दौरान विभिन्न यूनियनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे, जिनमें आल हरियाणा पावर से सुशील शर्मा, अमरजीत जाखड़ (रोडवेज वर्कर यूनियन महासचिव), सुमेर सिवाच, सोमबीर हुड्डा (वन विभाग), संजीव यादव (उप-प्रधान, सर्व कर्मचारी संघ) और अन्य पदाधिकारी शामिल रहे।