हरियाणा सरकार का बजट 2025-26: बढ़ते कर्ज का बढ़ता दर्द
आंकड़ा 2023-24 के 1,70,490 करोड़ के बजट से 34,527 करोड़ अधिक
वर्ष 2025-26 के लिए 2,05,017 करोड़ का बजट पेश किया

गुरुग्राम । हरियाणा सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 2,05,017 करोड़ रुपये का बजट पेश किया है। यह 2023-24 के 1,70,490 करोड़ रुपये के बजट से 34,527 करोड़ रुपये अधिक है। लेकिन चिंता का विषय यह है कि इसी अवधि में राज्य का राजकोषीय घाटा 64,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 3,52,819 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
सोमवार को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी द्वारा प्रस्तुत इस बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी एससी सेल की प्रदेश महासचिव एवं सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता पर्ल चौधरी ने उपरोक्त आंकड़ों पर चिंता व्यक्त की।
ऋण की भयावह वृद्धि
2014-15 में हरियाणा सरकार पर 70,925 करोड़ रुपये का कर्ज था, जो 2023-24 में बढ़कर 2,84,852 करोड़ रुपये हो गया। अब भाजपा की तीसरी बार बनी सरकार ने इसे 3,52,819 करोड़ रुपये तक पहुंचाने का प्रावधान किया है। इसका अर्थ यह है कि महज दो वर्षों में ही भाजपा सरकार ने 1966-2014 तक की सरकारों द्वारा लिए गए कुल कर्ज को भी पार कर लिया है।
“ऋणं कृत्वा घृतं पिवेत” की नीति का प्रदर्शन
बजट पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पर्ल चौधरी ने कहा कि यह “ऋण लेकर घी पीने” की नीति जैसा प्रतीत होता है। उन्होंने चेतावनी दी कि यह नीति कभी सबसे समृद्ध कहे जाने वाले हरियाणा राज्य की अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक संकट में धकेल सकती है। उन्होंने कहा कि जहां बजट में ₹34,527 करोड़ की वृद्धि हुई है, वहीं राजकोषीय घाटा ₹64,000 करोड़ तक पहुंच गया है, जो सरकार की वित्तीय प्रबंधन क्षमता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।
युवा वर्ग को कर्ज के गर्त में धकेला
पर्ल चौधरी ने कहा कि हरियाणा का युवा अपने स्वतंत्र और स्वच्छंद विचारों के लिए जाना जाता है, लेकिन पिछले 11 वर्षों में भाजपा की खट्टर-नायब सरकार ने प्रदेश के युवा वर्ग को कर्ज के गर्त में धकेल दिया है। उन्होंने आशंका जताई कि बढ़ते राजकोषीय घाटे के कारण राज्य के संसाधनों पर दबाव बढ़ेगा, जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसरों में कटौती से इनकार नहीं किया जा सकता।
राजकोषीय असंतुलन का स्पष्ट संकेत
उन्होंने कहा कि भाजपा की हैट्रिक सरकार का बजट 2025-26 राज्य में राजकोषीय असंतुलन का स्पष्ट संकेत है। यदि सरकार ने अपने खर्चों पर नियंत्रण नहीं किया और युवाओं को कर्ज के बोझ से बचाने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए, तो आने वाले वर्षों में हरियाणा की आर्थिक स्थिति और खराब हो सकती है।