पटौदी में सनातन अनुयायियों ने दामिनी वशिष्ठ को पलकों पर बिठाया

12 ज्योतिर्लिंग और प्रयागराज संगम होते हुए 25 मार्च को दिल्ली में समापन

पौराणिक मंदिरों का जीर्णोद्धार और सनातन संस्कृति की चेतना लक्ष्य 

महामंडलेश्वर धर्मदेव ने सनातन के आध्यात्मिक बल से अवगत करवाया

फतेह सिंह उजाला 

पटौदी /हेलीमंडी / झज्जर। सनातन संस्कृति की पुनप्रतिष्ठा और शिवालियों एवं इतिहास पौराणिक मंदिरों के संकल्प के साथ महासंगम यात्रा का नेतृत्व करती हुई पटौदी की बेटी दामिनी वशिष्ठ शनिवार को अपने गृह क्षेत्र पटौदी पहुंची। उनका यह प्रवेश झज्जर जिले के सीमांत गांव कुलाना से होते हुए जटौली, हेली मंडी होते हुए पटौदी कम्युनिटी सेंटर में मुख्य आयोजन स्थल पर भव्य समारोह के रूप में बदल गया। रास्ते में जगह-जगह सनातन अनुयायियों और धर्म प्रेमियों के द्वारा फूल माला बरसते हुए इस महासंगम यात्रा और दामिनी वशिष्ठ का अभिनंदन करते हुए पलकों पर बिठा लिया गया।

गृह क्षेत्र पटौदी शहर पहुंचने पर अपने अभिभावकों एडवोकेट दिनेश जोशी और पुष्पा देवी से एक लंबे समय बाद मुलाकात होते ही सनातन के प्रति प्रेम भावुकता में बदल गया। इस मौके पर मुख्य रूप से महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव महाराज, एडवोकेट सुधीर कुमार मुद्गल, जेपी मिश्रा, रामचंद्र भारद्वाज, सुनील कुमार दोचनिया, सुशील शास्त्री, दौलत कुमार सहित आसपास के गांव से बड़ी संख्या में सनातन प्रेमी और अनुयाई इस यादगार पल और कार्यक्रम के भागीदार बने । यहां पर महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव  महाराज के द्वारा सनातन और प्राचीन संस्कृति के महत्व सहित इसके आध्यात्मिक बल पर विस्तार से जानकारी देते हुए दुनिया में सर्वश्रेष्ठ संस्कृति बताया। उन्होंने कहा प्रयागराज में महाकुंभ इस बात का सूचक है कि भारतीय सनातन और अनादि काल से चली आ रही संस्कृति तथा साधु संतों का तपोबल विश्व कल्याण के लिए ही है। उन्होंने पटौदी की बेटी दामिनी वशिष्ठ को महासंगम यात्रा के लिए और उनकी पूरी टीम को साधुवाद देते हुए सनातन संस्कृति के लिए एक क्रांतिकारी पहल बताया।

सनातन संस्कृति के उत्थान और पौराणिक शिवालियों के पुनरुद्धार के संकल्प के साथ अंतरराष्ट्रीय मंदिर प्रबंधन परिषद और भगवा एक के द्वारा राष्ट्रव्यापी इस महासंगम यात्रा की प्रवक्ता दामिनी वशिष्ठ ने दोहराया आने वाली पीढ़ी को हमें अपने प्राचीन और आध्यात्मिक संस्कार देना बहुत जरूरी है। पाश्चात्य संस्कृति निश्चित रूप से मानवीय मूल्यों से भ्रमित करने का कार्य करती आ रही है। महाकुंभ में भी पूरी दुनिया से पाश्चात्य संस्कृति को मानने वाले भारतीय सनातन को समझने और इसको अपने जीवन में अपने के लिए पहुंचे। इस महासंगम यात्रा में 120 त्रिशूल भी शामिल हैं। इसके अलावा विद्वान धर्माचार्य और पंडितों के द्वारा निरंतर धर्म ग्रंथो का उच्चारण करते हुए मंत्र उच्चारण भी किया जा रहा है । 

आईएमपीसी की प्रवक्ता दामिनी वशिष्ठ ने बताया महासंगम यात्रा का मुख्य आकर्षण तीन विशाल 32 फीट ऊंचे वाहनों पर 120 विशाल त्रिशूल को भव्य रूप से स्थापित कर यात्रा में लेकर चलना है। महासंगम यात्रा के माध्यम से आईएमपीसी के शिव शक्ति केंद्र परियोजना के तहत भारतवर्ष के 108 प्राचीन शिवालियों और दुनिया के विभिन्न देशों में 12 मंदिरों के पुनरुद्धार का दृढ़ संकल्प भी किया गया है। देशभर के विभिन्न शहरों महानगरों और तीर्थ स्थलों से भ्रमण करते हुए अनेक प्रकांड धर्माचार्य और पीठाधीश्वरों के द्वारा भी अपना आशीर्वाद प्रदान किया गया है । यह यात्रा मुस्लिम बहुल मेवात क्षेत्र से होते हुए 25 मार्च को दिल्ली के ताल कटोरा स्टेडियम में महासम्मेलन का रूप लेते हुए विराम लगी।

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