आश्रम में श्रद्धालुओं ने महामंडलेश्वर स्वामी विद्यागिरि जी महाराज की प्रतिमा पर गुलाल से तिलक लगाकर होली महोत्सव का शुभारंभ किया गया।

बुराई को छोड़ना ही होली पर्व का उद्देश्य है : महंत सर्वेश्वरी गिरि।

महिला मंडली ने नृत्य के साथ फूल बरसा कर। खूब आनंद लिया।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

पिहोवा,15 मार्च : मां सरस्वती की नगरी पिहोवा में श्री गोविंदानंद ठाकुरद्वारा मन्दिर में महामंडलेश्वर 1008 स्वामी विद्यागिरि जी महाराज एवं श्रीमहंत बंसीपुरी जी महाराज के आशीर्वाद से आश्रम की महंत सर्वेश्वरी गिरि जी महाराज के सानिध्य में होली महोत्सव के अवसर पर स्नेह मिलन समारोह के रूप में अलौकिक होली फूलों के साथ मनाई गई।

सभी भाई बहनों ने एक दूसरे पर फूल बरसा कर होली खेलते हुए एक दूसरे को बधाइयां दी। जिससे वातावरण में आनंद और उल्लास का माहौल बना और इस कार्यक्रम में शामिल होने आए सभी भाई बहनों ने होली का आध्यात्मिक रहस्य जाना। कार्यक्रम का शुभारंभ राधा कृष्ण के भजन गीत के साथ हुआ।

आश्रम की महंत सर्वेश्वरी गिरि जी महाराज ने सभी बहन भाइयों को होली की शुभकामनाएं देते हुए होली का आध्यात्मिक रहस्य बताया और कहा कि आज माया का रंग तो हर एक मनुष्य पर चढ़ा हुआ है, अब राधा कृष्ण संग के रंग में आत्मा को रंगना ही आध्यात्मिक होली है। हमें मन, वचन, कर्म से पवित्र बनना है, आपसी भेदभाव, मनमुटाव और आसुरी वृत्ति को छोड़ शुभकामना, शुभ भावना की दृष्टि रखेंगे तो समानता का रंग चढ़ जाएगा। उन्होंने कहा कि सभी छोटे बड़े के भान को भूलकर आपस में एक दूसरे को समान समझ मस्ती में खेलते हैं और दुश्मनी के संस्कार भूल जाते हैं।

उन्होंने होली शब्द के तीन अर्थ बताते हुए स्पष्ट किया कि होली-पवित्र बनना, होली बीती बातें हो ली, होली-मैं आत्मा परमात्मा की हो ली। इस पावन पर पर संदेश दिया कि अपनी अशुद्धि ,कमजोरी और बुराई को भस्म करो तभी अतीन्द्रिय सुख का अनुभव होगा। बुराई को छोड़ना ही होली पर्व मनाने का उद्देश्य है।

महंत सर्वेश्वरी गिरि महाराज ने शुभकामनाएं देते हुए कहा कि शिवरात्रि के बाद होलिका दहन और रंगों का उत्सव मनाया जाता है। यह हमें अपनी कमजोरियां और बुराइयों को परमात्मा याद रूपी अग्नि में जलाने की प्रेरणा देता है। खुशी,प्रेम सुख, शांति के रंगों से होली मनाना ही सच्ची होली है।

कार्यक्रम को मनोरंजक बनाने के लिए राधा कृष्ण के रूप में झांकियां नृत्य आयोजित किया गया जिसमें सभी श्रद्धालु बहनों ने भी फूल बरसा कर नृत्य किया और समापन के पश्चात प्रसाद भंडारे में सभी ने प्रसाद ग्रहण किया।

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