चंडीगढ़, 9 फरवरी । चपरासी की नौकरी के लिए बीए, बीएड और एमए पास युवाओं ने किया आवेदन, माली और चौकीदार बनने के लिए हाईली क्वालिफाइड युवा लगे कतार में, युद्ध क्षेत्र इजरायल में मजदूरी करने के लिए उमड़ी युवाओं की भीड़। ऐसी खबरें अब हरियाणा में रूटीन हो चुकी हैं। क्योंकि भयंकर बेरोजगारी से जूझ रहे हरियाणवी युवा चपरासी की कच्ची नौकरी तक करने को मजबूर हैं। यह कहना है पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। हुड्डा झज्जर में चपरासी के 13 पदों के लिए निकली भर्ती के मुद्दे पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। क्योंकि चपरासी बनने के लिए यहां 7,616 युवाओं ने आवेदन किया था। इनमें ज्यादातर युवा हाईली क्वालिफाइड थे।

हुड्डा ने कहा कि ऐसी खबरें हरियाणा के बेरोजगारी में नंबर वन होने की बार-बार तस्दीक करती हैं। लेकिन बीजेपी सरकार के पास इसका कोई समाधान नहीं है। बीजेपी ने हरियाणवी युवाओं को बेरोजगारी, अपराध, नशे और डॉन्की के रास्ते पर धकेल दिया है। बाकी बचे हाईली क्वालिफाईड युवाओं को इस सरकार ने चपरासी व चौकीदार बनने की लाइन में लगा रखा है। कुछ ही दिन पहले सिरसा कोर्ट में

चपरासी और चौकीदार के कुल 13 पदों के लिए 5,700 युवाओं ने किया आवेदन है। 8वीं पास योग्यता वाली इस भर्ती के लिए भी बीए, बीटेक, बीकॉम, बी फार्मेसी, बीसीए, एमए, एमबीए, एमएससी, एमकॉम, एमसीए और एमफिल तक की डिग्री वाले युवाओं ने आवेदन किया था।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस ने हरियाणा को देश में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला राज्य बनाया था। लेकिन बीजेपी ने इसे बेरोजगारी में नंबर वन राज्य बना दिया है। बेरोजगारी के चलते मजबूरी में ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट, एमफिल, पीएचडी क्वालिफाइड युवा निजी कंपनियों, कोर्ट और कौशल रोजगार निगम में सफाई कर्मी, चपड़ासी व चौकीदार जैसी कच्ची नौकरी भी करने को तैयार हैं। कौशल निगम में स्वीपर के लिए निकले पदों पर 39,990 ग्रेजुएट और 6112 पोस्ट ग्रेजुएट युवाओं ने आवेदन किया था। 1,17,144 बारहवीं पास युवा भी इस कच्ची नौकरी को करने की इच्छा रखते हैं। कुल मिलाकर 3.95 लाख युवा स्वीपर की नौकरी के लिए कतार में खड़े हुए।

इससे पहले पानीपत कोर्ट में चपड़ासी के 6 पदों की भर्ती में भी यही हाल देखने को मिला था। लेकिन उसके लिए अप्लाई करने वाले 10 हजार युवा थे, जिनमें बीए, एमए, एमफिल,पीएचडी, बीटेक और एमटेक पास युवा शामिल थे। एचएसएससी द्वारा निकाली गई ग्रुप-डी की 18 हजार भर्तियों के लिए 18 लाख बेरोजगार युवाओं ने अप्लाई किया था और कलर्क के 6 हजार पदों के लिए 25 लाख युवाओं ने अप्लाई किया था।

सीएमआईई (सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी) से लेकर सरकारी संस्था एनएसएसओ के आंकड़े खुद बताते हैं कि हरियाणा बेरोजगारी में नंबर वन है। केंद्र सरकार ने संसद में खुद माना कि हरियाणा में काँग्रेस सरकार के समय 2013-14 में बेरोजगारी दर सिर्फ 2.9% थी जो बीजेपी सरकार के दौरान 9.0% पहुंच गई है। प्रदेश के सरकारी विभागों में 2 लाख से ज्यादा पद खाली पड़े हुए हैं। लेकिन उनपर सरकार ने भर्तियां तक नहीं की। ऊपर से निजी निवेश भी पूरी तरह प्रदेश में आना बंद हो गया है, जिसकी वजह से निजी क्षेत्र में रोजगार सृजन बंद हो गया। जबकि 2014 से पहले कांग्रेस सरकार के दौरान हरियाणा प्रति व्यक्ति निवेश के मामले में देश का नंबर वन राज्य था।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि आज हरियाणा के युवा रोजी-रोटी की तलाश में या तो प्रदेश छोड़ रहे हैं या देश ही छोड़कर बाहर जा रहे हैं। कांग्रेस सरकार के समय नौकरियों की तैयारियों के लिए हरेक गली-मोहल्ले में कोचिंग सेंटर खुलते थे, लेकिन आज गली-गली में इमिग्रेशन वालों के ऑफिस खुल रहे हैं। लेकिन अब विदेश जाने वाले युवाओं के भविष्य पर भी खतरा मंडरा रहा है। दुखद है कि अमेरिका से डिपोट किए गए लोगों में सबसे ज्यादा हरियाणा के रहने वाले थे।

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