ट्रंप शासन 2.0: अमेरिकी फर्स्ट- अमेरिका का आर्थिक हंटर और दुनियाँ को आर्थिक सहायता देने पर रोक!

अमेरिका में ट्रंप प्रशासन ने विदेशों को मिलने वाली सभी आर्थिक मदद पर रोक लगा दी है।

ट्रंप अपने चुनावी वादों को पूरा करते हैं, तो वैश्विक परिदृश्य में बड़े बदलाव होने की संभावना है

-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं,

 ट्रंप प्रशासन के 2.0 के तहत, अमेरिकी विदेश नीति में एक नया मोड़ देखा जा रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चुनावी प्रचार के दौरान जो वादे किए थे, उन्हें अब वे पूरी निष्ठा से लागू करने का प्रयास कर रहे हैं। अमेरिकी फर्स्ट की नीति को प्राथमिकता देते हुए, ट्रंप ने हाल ही में विदेशी सहायता को बंद करने का ऐलान किया है, जिससे वैश्विक स्तर पर कई देशों की आर्थिक स्थिति पर असर पड़ने की संभावना है।

अमेरिका, जो विश्वभर के लगभग 180 देशों को किसी ना किसी रूप में आर्थिक सहायता प्रदान करता रहा है, अब इसके नियमों में बड़ा बदलाव कर रहा है। सैन्य सहायता, मानवीय मदद और विकासात्मक फंड्स जैसे क्षेत्रों में अमेरिका ने 2022 में करीब 64,000 करोड़ रुपये वितरित किए थे। लेकिन अब, ट्रंप ने सिर्फ इजरायल और मिस्र को इस सहायता से बाहर रखते हुए, अन्य सभी देशों के लिए इसे रोकने का निर्णय लिया है।

इजरायल और मिस्र को क्यों रखा गया बाहर?
सवाल यह है कि अमेरिका ने इजरायल और मिस्र को आर्थिक मदद जारी रखने का निर्णय क्यों लिया, जबकि बाकी देशों को इस से बाहर रखा गया। अमेरिका और इजरायल के बीच सैन्य और रणनीतिक संबंध हमेशा से मजबूत रहे हैं। वहीं, मिस्र के साथ अमेरिकी सहयोग भी मध्य पूर्व में स्थिरता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। मिस्र को अमेरिका प्रति वर्ष 1.3 बिलियन डॉलर की सैन्य सहायता प्रदान करता है, जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखना और ईरान एवं आतंकवादी समूहों से निपटना है।

बांग्लादेश पर अमेरिकी मदद का असर
ट्रंप प्रशासन द्वारा बांग्लादेश को दी जाने वाली सहायता रोकने का निर्णय एक और महत्वपूर्ण कदम है। बांग्लादेश, जो वर्तमान में गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, इस निर्णय से खासा प्रभावित हो सकता है। विश्व बैंक ने बांग्लादेश के लिए जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को घटा दिया है, और महंगाई दर लगभग 10% तक पहुंच चुकी है। इस स्थिति में, अमेरिकी मदद का रुक जाना बांग्लादेश के विकास कार्यों के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है, खासकर खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में चल रहे कार्यक्रमों के लिए।

अमेरिकी फर्स्ट: ट्रंप की नई विदेश नीति
ट्रंप के अमेरिका फर्स्ट के दृष्टिकोण ने वैश्विक कूटनीति को नया मोड़ दिया है। अपने पहले कार्यकाल के दौरान उन्होंने विदेश नीति में कई ऐसे कदम उठाए, जिनका असर अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी और विकास परियोजनाओं पर पड़ा। अब जब ट्रंप एक बार फिर से राष्ट्रपति बने हैं, तो उनकी विदेश नीति पर सबकी नजरें हैं। विशेष रूप से, चीन के प्रति उनके दृष्टिकोण ने वैश्विक संबंधों में नया तनाव उत्पन्न किया है।

क्या ट्रंप के फैसले वैश्विक परिदृश्य में बदलाव लाएंगे?
अगर ट्रंप अपने चुनावी वादों को लागू करते हैं, तो यह निश्चित है कि वैश्विक परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव होंगे। यह बदलाव न केवल आर्थिक, बल्कि सैन्य और कूटनीतिक रिश्तों में भी दिखाई देंगे। अमेरिका का विदेशी मदद पर रोक लगाना, और इसके द्वारा केवल कुछ विशिष्ट देशों को सहायता देना, निश्चित ही वैश्विक सहयोग और शांति के मामलों में नए समीकरण पैदा करेगा। भारत जैसे उभरते वैश्विक ताकत के लिए भी इस बदलाव का बड़ा असर हो सकता है।

निष्कर्ष
ट्रंप शासन 2.0 के तहत अमेरिकी फर्स्ट की नीति की दिशा में जो बड़े बदलाव हो रहे हैं, उनके परिणाम विश्व स्तर पर महसूस किए जाएंगे। यदि ट्रंप इस नीति को दृढ़ता से लागू करते हैं, तो यह निश्चित रूप से वैश्विक कूटनीति, आर्थिक सहयोग और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में महत्वपूर्ण परिवर्तन ला सकता है।

*-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र*

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