महामंडलेश्वर ज्योति गिरी के शिष्य विट्ठल गिरी का गौ सेवा संकल्प

मौजूदा समय में बुचावास विकलांग गौ सेवा सदन में गौ सेवा को समर्पित

गुरु ज्योति गिरी के द्वारा की गई सेवा का विट्ठल गिरी के जीवन पर गहरा असर

गाय की सेवा वास्तव में गुरु और मां की सेवा से भी अधिक बढ़कर सेवा

फतह सिंह उजाला 

गुरुग्राम । कोई घटना या फिर किसी व्यक्ति के द्वारा किए जा रहे निस्वार्थ सेवा कार्य, किसी न किसी के जीवन को एक नई दिशा प्रदान करने में सक्षम रहते हैं । इसके एक नहीं अनेक उदाहरण अनादि काल से और मौजूदा समय तक देखने के लिए मिल रहे हैं। अपंग, बेबस, लाचार, दुर्घटनाग्रस्त गोधन की सेवा कर रहे महंत विट्ठल गिरी का कहना है कि आजीवन गौ सेवा करना ही आध्यात्मिक गुरु के प्रति समर्पण और उनके लिए दक्षिण है । गुरु के द्वारा जो मार्गदर्शन किया गया उससे जीवन का लक्ष्य और उद्देश्य को एक नई दिशा प्राप्त हुई। गाय के रूप में जो जीव सेवा की जा रही है, इससे आत्म संतुष्टि मिलती है । सही मायने में यह महादेव, गुरु और जन्म देने वाली माता का आशीर्वाद ही है । यह बात जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर और महाकाल संस्थान बोहडाकला के अधिष्ठाता स्वामी ज्योति गिरी महाराज के शिष्य महंत विट्ठल गिरी ने अपने अल्प प्रवास के दौरान विशेष बातचीत के दौरान कही।

मौजूदा समय में महंत विट्ठल गिरी कनीना बुचावास में महामंडलेश्वर ज्योति गिरी के द्वारा स्थापित महंत लक्ष्मण गिरि विकलांग गौशाला का संचालन करते हुए गाय सहित अन्य जीवन की सेवा को समर्पित है। बुचावास विकलांग गौशाला में लगभग 200 की संख्या में दुर्घटनाग्रस्त, अपंग, लाचार, बेबस गोधन मौजूद है। यहां गौशाला में दुर्घटनाओं में घायल गोधन को जन सहयोग से लाकर उनके स्वस्थ होने तक सेवा की जा रही है। गौशाला में गोधन की सुविधा के लिए मौसम के मुताबिक गर्मी और सर्दी में विशेष रूप से व्यवस्था के साथ-साथ एक समय हरा चारा भोजन के रूप में अवश्य उपलब्ध करवाया जाने का सिलसिला अनवरत चल रहा है। किन्ही अपरिहार्य कारण से अज्ञातवास के लिए निकल चुके महामंडलेश्वर ज्योति गिरी के शिष्य महंत विट्ठल गिरी के मुताबिक गुरु ज्योति गिरी के द्वारा ही सबसे पहले विकलांग, दुर्घटनाग्रस्त, बेबस और लाचार गोधन की सेवा के लिए पटौदी क्षेत्र के गांव हेड़ाहेड़ी में गौशाला आरंभ की गई, यहां गौशाला में उन्होंने लगभग 6 वर्ष तक गायों की सेवा की।

विट्ठल गिरी ने बताया युवावस्था में ही वह गुरु महामंडलेश्वर ज्योति गिरी के संपर्क में आए। उनके द्वारा किए जाने वाले जीव कल्याण और जीव सेवा का जीवन पर गहरा प्रभाव और असर पड़ा। बोहड़ाकला में लगभग दो दशक तक रहते हुए ज्योति गिरी के द्वारा विभिन्न गंभीर रोगों से पीड़ित मनुष्य जिसमें की पुरुष और महिलाएं तथा बच्चे शामिल रहे, उनका उपचार करवाया। यहीं पर ही उनके द्वारा निशुल्क स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए आधुनिक उपकरणों और सुविधाओं से लैस अस्पताल का निर्माण भी करवाया गया। इतना ही नहीं हनुमान मंदिर -महाकाल मंदिर परिसर में विकलांग गौशाला की भी स्थापना की गई। विट्ठल गिरी ने कहा सही मायने में गाय की सेवा और जरूरतमंद व्यक्ति की सेवा, निश्चित रूप से सबसे बड़ा पुण्य ही कहा जा सकता है।

विट्ठल गिरी महाराज ने बताया कनीना बुचावास गौशाला में अक्सर भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री रामविलास शर्मा भी यहां पर गौ सेवा के लिए नियमित रूप से पहुंचते रहते हैं । रामविलास शर्मा की तरह ही और भी अनेक श्रद्धालु, भक्त, गौ सेवक के सहयोग से यहां बुचावास गौशाला में गोधन की सेवा की जा रही है । महंत विट्ठल गिरी ने कहा गुरु ज्योति गिरी के द्वारा की गई सेवा को ही अपने जीवन के अंतिम सांस तक का लक्ष्य बना लिया गया है । सनातन और धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक गाय में 36 करोड़ देवी देवताओं का निवास बताया गया है । इस ब्रह्मांड में गाय ही एकमात्र ऐसा जीव है, जिसको जननी के बाद माता के रूप में पुकारा और पूजा जा रहा है । गाय की सेवा ही सही मायने में गुरु की सेवा, मां की सेवा और महादेव की सेवा ही है। निस्वार्थ भाव से की गई सेवा का, सेवा करने वाले को, किसी ने किसी रूप में पुण्य अवश्य प्राप्त होता है। यही सनातन और सेवा का सत्य भी है।

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