राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने संपूर्ण श्रीमद भगवद गीता परायण यज्ञ का किया शुभारंभ।

12 देशों के एनआरआई छात्रों ने श्रीमद्भगवद्गीता का किया पाठ।

अवधूत दत्त पीठम, मैसूरु के पीठाधिपति श्री श्री गणपति सच्चिदानंद स्वामी जी के द्वारा कुरुक्षेत्र में आयोजित किया गया सम्पूर्ण गीता परायण यज्ञ।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र 25 दिसंबर : हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि पवित्र ग्रंथ गीता के उपदेश सभी प्राणियों की एकता, निस्वार्थ भाव और भलाई के प्रति समर्पण के साथ-साथ कर्तव्यों का पालन करने का संदेश देते है। इस पवित्र ग्रंथ गीता के उपदेशों में समानता और शांति का मार्ग समाहित है। इन उपदेशों को आज पूरी मानव जाति को धारण करने की जरूरत है।
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय बुधवार को पंजाबी धर्मशाला कुरुक्षेत्र के सभागार में विश्व विख्यात संत अवधूत श्री श्री गणपति सच्चिदानंद स्वामी द्वारा आयोजित सम्पूर्ण श्रीमद भगवद गीता परायण यज्ञ के शुभारंभ अवसर पर बोल रहे थे। इससे पहले राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने दीपशिखा प्रज्ज्वलित करके विधिवत रूप से सम्पूर्ण श्रीमद भगवद गीता परायण महायज्ञ का शुभारंभ किया। अहम पहलू यह है कि कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर शायद पहला अवसर है कि करीब 50 देशों से आए अप्रवासी भारतीयों ने श्रीमद्भागवत गीता के संपूर्ण 700 श्लोकों का समवेत स्वर में पाठ किया। राज्यपाल ने सभी श्रद्धालुओं को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर कुछ दिन पहले ही अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन किया गया। इस महोत्सव में वैश्विक गीता पाठ के श्लोकों का उच्चारण देश ही नहीं विदेशों में भी किया गया। इससे पूरे विश्व में उपदेशों के माध्यम से शांति का संदेश गया।

उन्होंने कहा कि विश्व विख्यात संत अवधूत श्री श्री गणपति सच्चिदानंद स्वामी जी पवित्र ग्रंथ गीता के उपदेशों को एक मिशन के रूप में लेकर पूरी मानवता जाति तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे है। पवित्र ग्रंथ गीता की शिक्षाएं, जो भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर महाभारत के दौरान अर्जुन को दी थी, मानवता की सेवा में गहन महत्व रखती है क्योंकि व निस्वार्थ सेवा, कर्तव्य और करुणा के मूल्यों पर जोर देती है। इतना ही नहीं गीता के उपदेश पूरी मानवता को कर्म करने का संदेश देते है। इस प्रकार के कार्यक्रमों से समाज में जन चेतना जागृत होगी और लोग समाज की सेवा के लिए आगे आएंगे।

इस गीता परायण यज्ञ का नेतृत्व विश्व विख्यात संत अवधूत श्री श्री गणपति सच्चिदानंद स्वामी जी ने किया। मैसूर स्थित अवधूत दत्त पीठम के पीठाधीश्वर श्री श्री गणपति सच्चिदानंद जी के विश्व भर के पचास से अधिक देशों में फैले हुए भक्त समुदाय ने पहली बार भारत आकर कुरुक्षेत्र की पवित्र और दिव्य धरा पर श्रीमद्भागवत गीता के श्लोकों का पाठ किया है। स्वामी जी के आयोजनों की विशालता और प्रभाव का आकलन इसी से लगाया जा सकता है कि साल 2015 में तेनाली जिले में 1 लाख से भी ज्यादा लोगों ने हनुमान चालीसा का समवेत पाठ कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज कराया था। स्वामी जी संगीत और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में विश्व के अलग अलग देशों में कार्य करते रहते हैं। साल 2015 में ही सिडनी स्थित ओपेरा हाउस में स्वामी जी के म्यूजिक हीलिंग समारोह को भी गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में दर्ज कराया गया था।

अमेरिका के टेक्सास राज्य के फ्रिस्कों में साल 2015 में लगातार 24 घंटे से ज्यादा समय तक समवेत मंत्रोच्चारण का गिनिज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड भी स्वामी जी के टेक्सास स्थित कार्य सिद्धि हनुमान मंदिर के नाम ही दर्ज है। स्वामी जी का जन्म साल 1942 में दक्षिण भारत में हुआ था। स्वामी जी ने दत्तात्रेय संप्रदाय में दीक्षा लेकर सालों तक तपस्या की और अवधूत की स्थिति को प्राप्त हुए। अवधूत बनने के बाद स्वामी जी ने मैसूर कर्नाटक में अपने आश्रम की स्थापना की।

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