हाईटेंशन बिजली की तारों से होने वाली दुर्घटनाएं आम बात हो गई है हिसार, 3 दिसंबर। पूर्व मनोनीत पार्षद व भाजपा नेता सुरेश गोयल धूप वाला ने कहा है कि हाईटेंशन बिजली की तारों से होने वाली दुर्घटनाएं आम बात हो गई है। यह समस्या केवल एक शहर, कस्बा या गांव की नही है। आए दिन जगह जगह होने वाली दुर्घटनाओं के बारे में समाचार पत्रों के माध्यम से पढ़ने को मिलता रहता है। हिसार शहर की बात की जाए तो लगातार बहुत सी घटनाएं घटित हो चुकी है। हिसार शहर में 6 से ज्यादा केस इन दुर्घटनाओं के बारे में चल रहे हैं। न्यायालयों में मृतकों के परिजन यह केस लड़ रहे हैं। पीड़ित परिवारों को सरकार द्वारा राहत राशि तो दी जाती है। परंतु जिनका परिजन आकस्मिक मौत को गले लगा चुका हो उसकी भरपाई की पूर्ति किसी मुआवजे से नही हो सकती।यह राशि उसके दुःख के सामने शून्य है। जिनकी छतों के ऊपर से हाई टेंशन केबल गुजर रही है।हर समय मौत का भय बना रहता है। घरों , दुकानों रिहायशी इलाकों में नागरिक 24 घंटे भय के साए में जीने पर मजबूर है। बिजली निगम की माने तो 11केवी औऱ 33केवी हाईटेंशन लाइनों को चिन्हित कर उनके टेंडर लगा दिए गए हैं। परन्तु विचारनीय बात तो यह है कि इसका ठोस समाधान निकाला जाए। इसका एक मात्र समाधान केवल भूमिगत बिजली की तारे ही हो सकता है। पिछले दिनों पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. कमल गुप्ता ने सम्बंधित अधिकारियों के साथ उच्च स्तर की कई बैठकों का आयोजन कर इस विषय में स्पष्ट दिशा निर्देश दिए थे। इस परियोजना को लेकर विशेषज्ञों का एक दल भी जयपुर भेजा गया था, उन्होंने पूरी रिपोर्ट भी इस सर्वे की उन्हें सौंपी थी । पूर्व बिजली मंत्री ने भी इस परियोजना पर अपनी रुचि भी प्रकट की थी परंतु प्रोजेक्ट पर जिस तेजी से गति दी जाने की आवश्यकता थी वह शायद अभी तक नही हो पाई है। भूमिगत बिजली केबल की यदि यह परियोजना सिरे चढ़ जाती है तो यह लोगो की सुरक्षा के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकता है। इससे हादसों का खतरा किसी हद तक खत्म हो जाएगा। भूमिगत तारे बिछने से शहर का शोन्दर्यीकर्ण खराब नही होगा । सड़को के ऊपर गुजरती तारे बड़े वाहन गुजरने से टूट जाते हैं जिसके कारण बिजली की सप्लाई बंद हो जाती है। अंडरग्राउंड केबल बिछने के बाद ऐसी समस्या स्वत ही समाप्त हो जाएगी। नगर निगम व बिजली निगम को यह कार्य गंभीरता के साथ शीघ्र करना चाहिए। यह कार्य जितनी जल्दी होगा उतनी जल्दी ही शहरवासियों को दुर्घटनाओं से राहत मिलेगी। Post navigation विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थानों पर उठते सवाल वाहनों की पार्किंग के संकट से जूझते शहर …….