वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र : पराली के मुदकमे रद्द करने, डीएपी की आपूर्ति बढ़ा किसानों को खाद उपलब्ध करवाने, पराली प्रबंधन के लिए किसानों को 5000 रुपए प्रति एकड़ देने समेत अन्य मांगों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा हरियाणा के नेतृत्व में किसान पंचायत देवी लाल पार्क कुरुक्षेत्र में हुई। किसानों की पंचायत को लेकर जिला प्रशासन अर्लट रहा। पंचायत के बाद किसानों ने अपनी मांगों का ज्ञापन देने के लिए नारेबाजी करते हुए सेक्टर 3 स्थित मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच किया। किसानों के मुख्यमंत्री आवास की तरफ कूच करने पर पुलिस ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर जिंदल चौक पर बेरिगेट लगाकर रास्ता बंद कर दिया। गुस्साएं किसानो ने बेरिकेट के समक्ष ही धरना दे दिया।

धरने को संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय नेता डॉ. दर्शनपाल, रतन मान, बलबीर सिंह, कवरजीत सिंह, जोगेंद्र नैन, सुरेश कोथ, विकास सीसर, हंसराज राणा, रणवीर मलिक, मनदीप नथवान, सुखविंद्र औलख, डॉ सुखदेव जम्मू, आजाद पालवा, सतेंद्र लोहचब, बाबा गुरदीप ने संबोधित किया। मुख्यमंत्री आवास तक जाने से रोकने से आक्रोशित होकर संयुक्त किसान मोर्चा ने पंचायत से अगले संघर्ष का आहवान किया। किसानोंं ने निर्णय लिया कि अगर प्रदेश में कहीं भी किसी भी थाने में किसानों को गिरफ्तार किया गया तो पूरे हरियाणा से संयुक्त किसान मोर्चा उस थाने पर पहुंच हजारों सामूहिक गिरफ्तारियां देगा। 10 से 15 नवंबर सभी जिलों में संयुक्त मोर्चा की जिला स्तरीय बैठके आयोजित की जाएगी जिसमें गावों में पंचायतें करने की योजना बनाई जाएगी। 26 नवंबर को सभी जिला मुख्यालयों पर चेतावनी रैलियां आयोजित की जाएगी। देवीलाल पार्क में आयोजित पंचायत के बाद मुख्यमंत्री आवास तक शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया, जहां मुख्यमंत्री के कार्यालय प्रभारी कैलाश सैनी को ज्ञापन दिया।

पंचायत के माध्यम से किसान नेताओं ने कहा कि धान के सीजन में प्रदूषण का सारा दोष किसानों के सिर मंढा जा रहा है। कृषि विभाग, प्रशासन व अन्य एजेंसियां ऐसे काम कर रही हैं जैसे किसान के खेत से ही प्रदूषण जन्म ले रहा है। पराली प्रबंधन की उचित व्यवस्था के लिए सरकार को जो दीर्घकालिक और अल्पकालिक कदम उठाने चाहिएं उनकी बजाय प्रदेश भर में किसानों पर मुकदमें दर्ज कर उनके फसल खरीद के पोर्टल पर लाल एंट्री की जा रही है। हरियाणा सरकार की किसानों पर ये करवाई केंद्र सरकार द्वारा 9 दिसंबर 2021 के उस समझौते के खिलाफ है जिसके बिंदु 5 में केंद्र सरकार ने साफ कहा है कि पराली मामले में भारत सरकार के कानून की धारा 14 और 15 से किसानों को आपराधिक दायित्व से मुक्ति दी जाएगी। प्रदेश भर में रबी सीजन की फसलों की बुवाई के रकबे की तुलना में डीएपी की उपलब्धता बहुत कम है जिसके चलते लंबी लंबी लाइनें किसानों को लगानी पड़ती हैं। धान की फसल पर इस वर्ष किसानों को 200 रुपए तक कटौती होने के चलते घाटा वहन करना पड़ रहा है। इस मौके पर किसान सभा, बीकेयू टिकैत, बीकेयू घासी राम नैन, बीकेयू एकता उग्रहा, किसान सभा अजय भवन, बीकेयू मांगेराम, पगड़ी संभाल जट्टा,भारतीय किसान मजदूर यूनियन, भारतीय किसान संघर्ष समिति, क्रांतिकारी किसान यूनियन, एआईकेकेएमएस, किसान महासभा, भारतीय किसान कामगार अधिकार मोर्चा, हरियाणा किसान मंच,उचाना धरना समेत अन्य संगठन शामिल रहे।

ज्ञापन में ये रखी मांगे।
प्रदेश भर में पराली के नाम पर किसानों पर दर्ज मुकदमें खारिज किए जाएं।) पराली प्रबंधन की उचित व्यवस्था सरकार करे या इसके प्रबंधन पर आने वाला खर्च प्रति एकड़ 3000 रुपए के हिसाब से भरपाई किसान को की जाएं ताकि वो पराली खेत से निकाल सकें। पर्यावरण प्रदूषण से संबंधित मुद्दों के निपटारे के लिए सरकार सभी प्रभावितों को साथ लेकर ठोस योजना बनाए, हर वर्ष किसानों पर दोष लगना बंद करें। सभी जिलों में डीएपी खाद की कमी है सरकार खाद की सभी जिलों में आपूर्ति बढ़ाए। ग्रामीण सोसायटी के माध्यम से किसानों को जरूरत के अनुरूप खाद उपलब्ध करवाएं। सभी जिलों के कृषि अधिकारियों के मार्फत सभी बिक्री केंद्रों पर स्टॉक बोर्ड लगवाना सुनिश्चित करे। खाद के साथ अन्य कृषि समाग्री जिससे नैनो डीएपी, बीज,दवाई नैनों यूरिया आदि जबरन बेचना सख्ती से बंद करवाएं। नकली खाद , बीज, दवाइयों की बिक्री पर रोक लगाई जाए। इस सीजन में धान समेत अन्य फसलों में किसान को काफी घाटा वहन करना पड़ा है सरकार इसकी पूर्ति करें। विधानसभा चुनावों के दौरान मुख्यमंत्री नायब सैनी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने धान की सरकारी खरीद 3100 रुपए प्रति क्विंटल का वायदा किया था उसे लागू किया जाएं। सभी फसलों की खरीद,फसलों के उठान को गति दे, जल्द खरीद सुनिश्चित करवाई जाए। किसान आंदोलन विधानसभा और लोकसभा चुनावों के दौरान के किसानों पर दर्ज सभी मुकदमे रद्द किए जाएं। एचटी पावर लाइन और अंडरग्राउंड गैस और तेल पाइप लाइन जबरन पुलिस फोर्स तैनात कर बिछाने का काम रोक जाएं किसानों की मांगों के अनुरूप मुआवजा दिया जाएं।

error: Content is protected !!