गुरुग्राम, 23 अक्टूबर। ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित व राष्ट्रीय ग्रामीण विकास व पंचायती राज संस्थान द्वारा समर्थित ‘सरस आजीविका मेला 2024’ में आज राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडीपीआर), दिल्ली शाखा द्वारा एक महत्वपूर्ण सत्र का आयोजन किया गया। जिसका विषय ‘सोशल मीडिया मार्केटिंग ऑफ़ SHG प्रोडक्ट्स’ था। इस सत्र का उद्देश्य स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के उत्पादों की डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से मार्केटिंग को प्रोत्साहित करना था, ताकि सवयं सहायता समूह की लखपति दीदियां अपने उत्पादों को व्यापक बाजार में सफलतापूर्वक प्रस्तुत कर सकें।

इस सत्र में राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (NIFT), नई दिल्ली से रितिका अग्रवाल मुख्य वक्ता के तौर पर मौजूद रहीं। रितिका अग्रवाल ने सोशल मीडिया के विभिन्न पहलुओं और इसकी मार्केटिंग रणनीतियों पर गहन जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आज के युग में सोशल मीडिया एक शक्तिशाली उपकरण बन गया है, जो न केवल उत्पादों की बिक्री बढ़ाने में सहायक है, बल्कि ब्रांड की पहचान बनाने और ग्राहक आधार को विस्तार देने में भी अहम भूमिका निभाता है।

सत्र के दौरान ग्रामीण विकास मंत्रालय से निदेशक राजेश्वरी एस.एम., उपनिदेशक दीक्षा बिष्ट एवं राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान दिल्ली शाखा की प्रभारी डॉ. रुचिरा भट्टाचार्या, सहायक निदेशक चिरंजी लाल, शोध एवं प्रशिक्षण अधिकारी सुधीर कुमार सिंह, नरेश कुमारी, सुरेश प्रसाद, और यंग प्रोफेशनल आशुतोष धामी आदि मौजूद रहे।

रितिका अग्रवाल ने स्वयं सहायता समूह की महिलओं को यह भी बताया कि वे कैसे कम लागत में सोशल मीडिया प्लेटफार्म जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, और यूट्यूब का इस्तेमाल कर अपने उत्पादों को प्रमोट कर सकते हैं। इसके साथ ही, उन्होंने डिजिटल कंटेंट क्रिएशन, पोस्टिंग समय का प्रबंधन, ऑडियंस इंगेजमेंट, और ऑनलाइन बिक्री प्लेटफार्मों के माध्यम से व्यापार बढ़ाने की तकनीकों पर भी प्रकाश डाला।

सत्र के दौरान रितिका अग्रवाल ने डिजिटल मार्केटिंग के लाभों के बारे में भी चर्चा की उन्होंने बताया की सोशल मीडिया के जरिये छोटे व्यवसायों के लिए नए ग्राहक तक पहुंचना आसान होता है। यह कम लागत में भी प्रभावी प्रचार का माध्यम है। सोशल मीडिया का उपयोग कर SHG उत्पादों की ब्रांडिंग कैसे की जाए, ताकि स्थानीय से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक उत्पादों की पहचान बनाई जा सके। सही ऑडियंस तक पहुंचने और ग्राहक इंगेजमेंट को बढ़ाने के लिए डिजिटल मार्केटिंग के नए तरीके अपनाने की जानकारी दी गई।इसके साथ ही स्वयं सहायता ग्रुप की लखपति दीदियों को डिजिटल युग में व्यापार के महत्व और ऑनलाइन बिक्री बढ़ाने की रणनीतियों से अवगत कराया गया।

सत्र में मौजूद जम्मू कश्मीर के सांभा से प्रीति देवी बताती हैं कि वह लगभग 40 वर्षों से सॉफ्ट खिलौने और मिट्टी के बर्तन जैसे दीये, गिलास, कटोरी, दही हांडी, बोतल, मनी बैंक, वाटर कूलर आदि बना रही हैं और बेच रही हैं। उनके समूह में 22 सदस्य काम करते हैं। प्रीति देवी बताती हैं कि सरस मेले में जो सामान वे लेकर आई हैं, उसे बनाने में उन्हें 2 महीने लगे हैं।

प्रेमलता सुतर, जो उड़ीसा के क्योंझर जिले से हैं, सत्र के दौरान अपना अनुभव साँझा करते हुए बताती हैं कि वह उन्हें लक्ष्मी नारायण ग्रुप के साथ काम करते हुए गांव की महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए, क्योंकि पहले गांव की महिलाओं के पास कोई काम नहीं था। उन्होंने वेस्ट प्रोडक्ट का उपयोग कर विभिन्न चीजें बनानी शुरू कीं। उनके स्टॉल पर बुद्ध की मूर्तियाँ, पेन स्टैंड, बास्केट, ज्वेलरी बॉक्स, फ्लावर स्टैंड आदि उपलब्ध हैं। प्रोडक्ट्स की कीमत 100 रुपये से शुरू होती है। इस स्टॉल पर जगन्नाथ की मूर्तियाँ काफी प्रचलित रहती हैं।

NIRDPR दिल्ली शाखा द्वारा आयोजित यह सत्र सरस आजीविका मेला के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में महिला सशक्तिकरण और उद्यमिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह मेला न केवल ग्रामीण महिलाओं के उत्पादों को प्लेटफार्म प्रदान करता है, बल्कि उन्हें नए-नए मार्केटिंग और प्रबंधन तकनीकों से भी सशक्त करता है।

उल्लेखनीय है कि सरस मेला ग्रामीण उद्यमिता और शिल्पकारों के लिए एक अनूठा अवसर प्रदान करता है, जिसमें वे अपने हस्तनिर्मित उत्पादों को व्यापक उपभोक्ता बाजार तक पहुंचा सकते हैं।

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