राज बब्बर कांग्रेस पार्टी का बड़ा चेहरा और प्रभावशाली पॉलीटिशियन

लोकसभा चुनाव बाद दावा किया गया सभी नौ विधानसभा जीतने का

पार्टी और उम्मीदवारों की जरूरत के मुताबिक कमी महसूस की गई

हार-जीत विषय अलग लेकिन परिणाम और अधिक बेहतर हो सकते थे

फतह सिंह उजाला 

गुरुग्राम / पटौदी। कांग्रेस पार्टी की और नेताओं की कार्य नीति को देखें तो लोकसभा चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव तक टिकट और उम्मीदवारों की घोषणा में कोई अधिक अंतर दिखाई नहीं देता है। लोकसभा चुनाव में भी गुरुग्राम से अंतिम समय में उम्मीदवार के नाम की घोषणा पूर्व सांसद राज बब्बर के नाम की की गई । इसी प्रकार से 12 सितंबर को लगभग 40 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की गई। यह पार्टी के नेताओं और चुनावी रणनीतिकारों का विषय और अधिकार ही है । कब ,किसकी, किस समय उम्मीदवार के तौर पर घोषणा की जानी है? चुनाव के परिणाम आने के बाद ही जीत और हार का फैसला भी जनादेश के मुताबिक होता है । लेकिन यह भी कटु सत्य है विजेता और उपविजेता सहित इस दौड़ में पीछे रहने वाले सभी उम्मीदवार सहित उनकी पार्टियों हर और जीत के चुनावी गणित का बीजगणित के मुताबिक हिसाब किताब अवश्य करती है । जिससे कि भविष्य में और अधिक बेहतर प्रदर्शन करते हुए मतदाताओं की अपेक्षा पर खरा उतर जाए।

सीधी – सीधी बात यह है कि विधानसभा चुनाव में विशेष रूप से अहीरवाल क्षेत्र या दक्षिणी हरियाणा में कांग्रेस के बड़े चेहरे और नेता राज बब्बर की फील्ड में कमी सबसे अधिक महसूस की गई। लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद राज बब्बर ने धन्यवाद दौरा करते हुए यह वादा किया था कि वह प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के प्रति सप्ताह दो गांव में लोगों के बीच पहुंचकर सीधा संपर्क बनाने का अभियान आरंभ करेंगे। विधानसभा चुनाव आते-आते उनके द्वारा कितने गांव में और कितने विधानसभा क्षेत्र में जनसंपर्क किया गया ?  यह निश्चित रूप से अब बहस का विषय बन सकता है । इन्हीं सब बातों को देखते हुए यह बात कहने में भी कोई संकोच नहीं है कि विशेष रूप से गुरुग्राम संसदीय क्षेत्र अहिरवाल या फिर दक्षिणी हरियाणा की राजनीति में विधानसभा चुनाव के मैदान में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद राज बब्बर चुनावी हार जीत के बीज गणित में खबर क्यों ना बने ?

जिन हालात में राज बब्बर को गुरुग्राम से यहां के सबसे प्रभावशाली राजनेता राव इंद्रजीत के मुकाबले लोकसभा चुनाव में भेजा गया। आरंभ में सत्ता पक्ष और नेताओं के द्वारा एक तरफ अपनी जीत का दावा ठोका गया था। जैसे-जैसे मतदान का दिन नजदीक आता गया, मुकाबला कांटे का बन गया और हार जीत का आंकड़ा 5 – 7 लाख जीत के दावे से सीमट कर हजारों में सिमट गया । विधानसभा चुनाव में राज बब्बर निश्चित रूप से मेवात, गुरुग्राम सिटी, पटौदी, रेवाड़ी और बावल में कांग्रेस उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार करने और जन समर्थन प्राप्त करने के लिए पहुंचे । उनके द्वारा किए गए लोकसभा चुनाव के वादे पर गौर किया जाए तो इतनी ही मेहनत जितनी की गई, वह पर्याप्त नहीं ठहराए जा सकती। राज बब्बर ने कांग्रेस उम्मीदवारों के नाम को लेते हुए उनकी जीत सुनिश्चित करने की अपील करते हुए अधिक से अधिक कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने का आह्वान किया। सीधी बात पटौदी विधानसभा क्षेत्र की की जाए तो यहां पर राज बब्बर को 58197 वोट प्राप्त हुए और राव इंद्रजीत सिंह को 10187 वोट से संतोष करना पड़ा।  जबकि 2019 में पटौदी में कांग्रेस को केवल 26882 वोट ही मिले थे । इसी प्रकार से विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को पटौदी में 51748 वोट प्राप्त हुए तथा भाजपा को यहां 98045 वोट का समर्थन प्राप्त हुआ। इसी प्रकार से भाजपा और कांग्रेस के बीच वोट का अंतर अन्य आठ विधानसभा क्षेत्र में भी रहा है।

राजनीति के जानकार और माहौल को समझने वाले लोगों के मुताबिक 2024 में कांग्रेस पार्टी से अधिक कांग्रेस पार्टी के नेता कहीं ना कहीं कांग्रेस की पक्ष में हवा में ही सवार रहे। भाजपा की रणनीति और उसके द्वारा फील्ड में की जा रही मेहनत को कांग्रेस नेता और इसके रणनीतिकार पकडने और समझने में कहीं ना कहीं नाकाम भी रहे । जानकार लोगों का यह भी कहना है कि अहीरवाल क्षेत्र में कांग्रेस के पूर्व सांसद और वरिष्ठ नेता राज बब्बर के पक्ष में जिस प्रकार से नौ विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के टिकट के दावेदारों के द्वारा मेहनत की गई। उसी की बदौलत राव इंद्रजीत की जीत का मार्जन 100000 से नीचे सिमट गया। इसी प्रकार से यदि 9 – 10 दिन कांग्रेस पार्टी के पूर्व सांसद वरिष्ठ नेता राज बब्बर गुरुग्राम अहीरवाल के 9 विधानसभा क्षेत्र में अपनी पूरी ताकत लगा देते। तो इस बात से इनकार नहीं की यहां पर कांग्रेस के पक्ष में चुनाव परिणाम और भी अधिक बेहतर होने से इनकार नहीं किया जा सकता। उम्मीदवारों की हार और जीत का विषय इससे बिल्कुल अलग है।

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