गुरुग्राम, 16 अक्तुबर। आज विश्व खाद्य दिवस (16 अक्टूबर) के उपलक्ष पर होमियोपैथिक चिकित्सा अधिकारी डॉ. नीतिका शर्मा द्वारा धनकोट में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें बेहतर भविष्य के लिए बेहतर और स्वस्थ्य भोजन क्यों जरूरी है इसके प्रति जागरूक किया गया।

डॉ. नीतिका शर्मा ने बताया कि खाना सिर्फ इंसान नहीं बल्कि हर उस जीव-जंतु के लिए जरूरी है, जो जीवित रहना चाहता है। खाने के जरिए ही हमारे शरीर को ऊर्जा (काम करने की शक्ति) मिलती है। खाना हमारे शरीर को ऊर्जा देने, मांसपेशियों की मरम्मत करने और घाव को भरने में मदद करता है। अगर हम सही तरीके से खाना नहीं खाएंगे, तो शारीरिक व मानसिक तौर पर बीमार हो जाएंगे और भोजन के अभाव से होने वाली इसी तरह की समस्याओं के रोकथाम के लिए हम विश्व खाद्य दिवस मनाते हैं.

उन्होंने बताया कि भारत में आज भी भुखमरी एक गंभीर समस्या है। पिछले दिनों ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट 2024 में भारत को 127 देशों में 105 वां स्थान मिला है। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत उन देशों में शामिल है जहां भुखमरी एक ‘गंभीर’ समस्या है। भारत जैसे देश के लिए विश्व खाद्य दिवस और भी जरूरी हो जाता है जहां अभी भी लाखों लोग कुपोषण का शिकार हैं। भारत में बच्चों में कुपोषण और बाल मृत्यु दर काफी ज्यादा है। इस स्थिति में, हमें अपने खाद्य प्रणाली में सुधार लाने के लिए कई जरूरी कदम उठाने होंगे। अवश्य आज हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं जहां तकनीक ने चांद पर कदम रख लिया है, लेकिन दुनिया के एक बड़े हिस्से के लिए रोज का खाना जुटाना अभी भी एक बड़ी चुनौती है। हमने प्रगति जरूर की है, लेकिन भुखमरी और कुपोषण जैसी समस्याएं अभी भी हमारे समाज को दागदार कर रही हैं।

भोजन का दाना-दाना अनमोल होता है, इसे व्यर्थ न करें। भोजन के हर दाने को संरक्षित रखना, हमारा कर्तव्य है और इसे हम सभी को पूरी ईमानदारी से निभाना चाहिए। सभ्य समाज वही है जो अन्न का सम्मान करता है, जो अन्नदाताओं के परिश्रम की सच्ची पहचान बनता है। स्वस्थ भोजन पर सभी का समान अधिकार है और अपने अधिकारों का संरक्षण करना हमें आना चाहिए।

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