*सबसे बड़ी समस्या कचरा और वहीं सर्वाधिक भ्रष्टाचार, तो पहले किसे समाप्त करेंगें जनप्रतिनिधि ? माईकल सैनी

*पूर्व में किए सभी दावों की पोल खुलती रही, क्या कायम रह पाएगा 100 दिन में स्वच्छता का दावा ? माईकल सैनी

गुरुग्राम 12 अक्टूबर 2024 ; आपदा में अवसर तलाशने वाली भाजपा सरकार के गत कार्यकलापों को देखें तो कतई विश्वास नहीं होता कि गुरुग्राम शहर के माथे से कचराग्राम होने का कलंक मिट पाएगा परंतु फिर भी जनादेश भाजपा को ही मिला है जिसका सभी सम्मान भी करते हैं अतः नवनिर्वाचित सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है जिसका शपथग्रहण समारोह 17 अक्टूबर सेक्टर पांच पंचकूला के ऐतिहासिक मैदान में सुबह दस बजे होना प्रस्तावित है तदोपरांत ही तय हो पाएगा कि मिलेनियम सिटी की तश्वीर बदलेगी अथवा और भी मलिन हो जाएगा ये शहर ? खैर…

स्थानीय नागरिक एवं समाजसेवी माईकल सैनी जो पूर्ववर्ती सरकार में कचरा प्रबंधन की आड़ में चल रहे अनेकों घपले घोटालों पर सवाल उठा जांच की मांग करते रहे हैं जिनपर भाजपा सरकार ने जांच और कार्यवाही करना तो दूर संज्ञान तक नहीं लिया, शायद यही कारण रहा के भृष्ट अधिकारी और ठेकेदार मिलीभगत कर स्वच्छंद-निर्भीक हो भ्रष्टाचार करते रहे और शहर कचरे के ढेर में तब्दील होता रहा, स्पस्ट है इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति के लिए भाजपा ही जिम्मेदार रही अन्यथा कौन ?

इधर सक्रियता दर्शाते हुए नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधि 100 दिन में शहर को स्वच्छ बनाने बारे नए दावे कर रहे हैं जिनपर भरोसा भी किया जाना चाहिए मगर लोगों की मानें तो संभावनाएं कम ही नजर आती हैं चूँकि पूर्व मुख्यमंत्री एमएल खट्टर भी कुछ ऐसे ही दावे करते थे और उनके द्वारा नियुक्त अधिकारियों ने भी दावे किए मगर लोकसभा चुनाव पूर्व उनके स्थान पर मुख्यमंत्री बनाए गए नायब सैनी ने भी भरपूर दावे किए, यहां तक कि चंडीगढ़ से विशिष्ट अधिकारियों की टीम और वरिष्ठ अधिकारियों की फ़ौज कचरा प्रबंधन में झोंक दी परंतु समस्या से पार नहीं पा सके , अब देखने वाली बात यह होगी के गुरुग्राम से नवनियुक्त विधायक मुकेश पहलवान अपनी किन योजनाओं पर अमल कर जादुई तरीकों से निपटते हैं और अपने दावों पर खरे उतरते हैं ?

बात पूर्व में मंत्री रहे और बादशाहपुर हल्के से पुनः निर्वाचित होकर सत्ता में लौटे कथित छोटे राव नरवीर सिंह की करे जो अनेकों सभाओं में कहते सुने गए हैं कि उनकी नजदीकियां मुख्यमंत्री से रही हैं जिन्होंने हालिया बयान में दीपावली तक गुरुग्राम को स्वच्छ सुंदर शहर बनाने का दावा किया है, देखना उन्हें भी होगा कि वह कितने खरे उतर पाते हैं, और जनता के पास इसके अलावा कोई विकल्प भी तो नहीं लेकिन बड़ा सवाल यह उठता है कि जब उनके मुख्यमंत्री कचरा प्रबंधन पर अपना सर खपा रहे थे और जनता त्राहिमाम थी तब वह किस चिरनिद्रा में अथवा अज्ञातवास में थे जो समस्या बारे नहीं जान सके और जैसे ही पुनः निर्वाचित हुए तो स्वछता का दावा करने लगे वह भी दीपावली तक अर्थात ऐसी कौनसी जादुई छड़ी मिल गई उन्हें ? सवाल यह है

माईकल सैनी को तो लगता है कि परिस्थितियां बदले न बदलें भृष्ट अधिकारियों के आका जरूर बदली हो जाएंगे, अधिकारी और ठेकेदारों की रद्दोबदल हों न हों परंतु कचरे से कमाई के तबादले जरूर हो जाएंगे – मगर यह हर्गिज नहीं लगता के शहरवासी स्वच्छ माहौल में दीपावली मना पाएंगे ।

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