साधना ही जीवन को सुखमय एवं खुशहाल बनाने का एकमात्र उपाय- श्रीमती शकुन्तला दून

हिसार – वानप्रस्थ सीनियर सिटीज़न क्लब हिसार में चार दिवसीय साधना शिविर का आयोजन किया गया। डा: सुदेश गांधी ने मंच संचालन करते हुए सब साधकों का स्वागत एवं अभिनंदन किया। उन्होंने साधना के महत्व एवं अनुभवों को साझा किया । उन्होने कहा आनापानासती साधना विधि सांस लेने की सचेतनता” या सांस ध्यान बौद्ध धर्म का एक प्रमुख चिंतनशील अभ्यास है।उन्होंने जानी- मानी प्रख्यात साधना – विशेषज्ञ श्रीमती शकुंतला दून का परिचय साधकों से करवाया और उनसे आग्रह किया वह इन चार दिनों में साधकों को आनापानासती – साधना के महत्व को समझाएँ और अभ्यास करवाएँ ।

श्रीमती शकुंतला दून ने कहा कि श्वास का आना जाना एक प्राकृतिक क्रिया है। श्वॉस आरहा है , जा रहा है – इस साधना में आते जाते शवासों पर ध्यान देना है। स्व को स्व से मिलाना ही साधना है । दृष्टा बन कर देखना ही साधना है।उन्होंने कहा कि साधना मन को शांत करने के लिए भी सचेत साँस का उपयोग करता है ताकि स्वयं को देखने के लिए एवं स्वतंत्रता में जाने के लिए सही मार्ग है।

साधना भय , चिंता , तनाव , घबराहट दूर करने के लिए अत्यंत प्रभावी है । यह एकाग्रता , स्मरण – शक्ति , आत्मविश्वास को बढ़ाती है एवं मन को स्वस्थ एवं निरोगी बनाती है।

इन चार दिनों में साधकों को सरल भाषा में समझाते हुए उन्होंने ने कहा कि आप सब सुख आसान में बैठ जाएँ । दोनों हथेलियों को आपस में गूँद ( क्रॉस) कर लें । आँखें कोमलता से बंद और कमर गर्दन सीधी कर लें ।उन्होंने कहा कि अपना ध्यान नासिका के द्वारों पर केंद्रित करें और केवल साँस पर ध्यान दें।

साँस भीतर जा रही हैं, बाहर आ रही है- उसका निरीक्षण करें। श्वासों के पूरी सजगता से उनके साथ यात्रा करें। श्वास और सजगता को एक हो जाने दें।श्वास – प्रश्वास के प्रति सजग रहें। अपनी जागरूकता को अपनी नासिका पर लाएँ।मन में सकारात्मक एवं नकारात्मक विचार आएँगे – आने दे , जाने दे।धीरे- धीरे आप निर्विचार और निष्क्रिय होते जाएँगे – केवल सांस का आना जाना ही एक मात्र बोध रह जाएगा । साधक साधना में विलीन होते गए और श्री मती दून की साधना – व्याख्या को ध्यान से अनुसरण करते रहे। प्रतिदिन 60-मिनट चले इस साधना शिविर में साधकों ने अपने अनुभव साँझा किए ।

अधिकतर साधकों ने कहा कि वह अपने आप को शांत महसूस कर रहे हैं और उनके अंदर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हो रहा है। श्रीमती दून ने साधकों की जिज्ञासों का भी निवारण किया। उन्होंने कहा कि आप इस प्रयास को व्यर्थ ना जाने दें । आप प्रतिदिन इसका अभ्यास करें – आपकी सब दु:ख – चिंताएँ , तनाव, अवसाद दूर हो जाएँगे । आप का जीवन सुखमय एवं आनंदपूर्ण हो जाएगा- आप अभ्यास करके तो देखें।

वानप्रस्थ सीनियर सिटीजन क्लब के महासचिव डा: जे. के . डाँग ने श्रीमती शंकुन्तला दून एवं डा: सुदेश गांधी का अपना व्यस्त समय से समय निकाल कर साधकों को साधना -अभ्यास करवाने के लिए क्लब एवं नगर के विभिन्न भागों से आए साधकों की ओर से आभार व्यक्त किया और तहे- दिल से धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि साधक ब्रह्माण्ड से प्राप्त हुई सकारात्मक ऊर्जा से ओतप्रोत है और प्रफुलित हैं। उन्होंने श्रीमती दून को आग्रह किया कि वह समय – समय पर क्लब में साधना का अभ्यास करवाते रहें। यह क्लब साधकों को हर प्रकार की सुविधा प्रदान करेगा- जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया।
इस चार दिवसीय शिविर में 30- से अधिक साधकों ने भाग लिया।

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