उम्मीदवार को मिले वोट बताएंगे दगाबाजी का बीजगणित

मतगणना के साथ हार और जीत का परिणाम सभी के सामने होगा

फतह सिंह उजाला

पटौदी । नाराजगी, गुस्सा, रुसवाई, दगाबाजी, यह शब्द बेशक अलग हो लेकिन भावार्थ और लगभग भावना एक जैसी ही मानी गई है । फिर क्षेत्र चाहे राजनीति का मैदान हो, घर परिवार में कोई उत्सव हो, कोई त्यौहार हो, अक्सर यह सब देखने के लिए मिलता रहता है। विधानसभा चुनाव में मतदान होने के बाद अब केवल और केवल कुछ ही घंटे का समय बाकी है। जब मतगणना आरंभ होने के साथ हार और जीत का परिणाम भी सभी के सामने होगा।

सीधी सीधी बात यही है कि मंगलवार का चुनाव परिणाम इस बात को बताते हुए चुगली भी जरूर करेगा, किस उम्मीदवार के साथ में कितनी दगाबाजी हुई है या फिर की गई है ? यह शब्द बेशक से कड़वे हो, लेकिन जो लोगों के बीच चर्चा है उसी को ही यहां शब्द दिए जा रहे हैं । मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस इन दोनों ही पार्टियों के उम्मीदवारों के बीच में है । पटौदी की राजनीति में पहली बार दोनों ही मुख्य पॉलिटिकल पार्टियों के द्वारा महिला उम्मीदवारों को चुनाव के मैदान में आमने-सामने भेजने का फैसला किया गया। चुनाव तो चुनाव है, कार्यकर्ता पदाधिकारी समर्थक सभी मेहनत करते हुए उम्मीद रखने के साथ दौड़ में शामिल रहते हैं कि चुनावी मैदान में अपना जौहर दिखाने के लिए टिकट मिल जाए । टिकट मिलना भी विभिन्न प्रकार के हालात से गुजरते हुए आखिरकार भाग्य की ही बात ठहरा दी जाती है।

पटौदी से कांग्रेस की टिकट के लिए 42 दावेदार अपनी दावेदारी लेकर सक्रिय रहे। भारतीय जनता पार्टी में भी लगभग 15 टिकट के दावेदार सक्रिय रहे। टिकट मिलने के बाद यह बात पर्दे में नहीं रह सकी, जिनको टिकट नहीं मिली वह किसी ने किसी प्रकार से और किसी ने किसी बहाने से पर्दे के पीछे ही चले गए। राजनीति की भाषा में इसको दगाबाजी की संज्ञा दी जा रही है । भारतीय जनता पार्टी या फिर कांग्रेस पार्टी दोनों का ही यह प्रयास रहा लोगों के बीच में चुनाव के मैदान में जीत हासिल करने के प्रबल दावेदार उम्मीदवार को ही अपना अधिकृत प्रत्याशी बनाकर भेजा जाए । आखिरकार दोनों पार्टियों के द्वारा फैसला भी यही किया गया। नामांकन आरंभ होने से लेकर मतदान किया जाने तक की प्रक्रिया पर ध्यान दिया जाए, तो भाजपा और कांग्रेस दोनों ही उम्मीदवारों के पक्ष में ऐसे चेहरे दिखाई नहीं दिए जो की मुख्य रूप से चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के मुकाबले में टिकट की दौड़ में भी शामिल रहते हुए दिखाई दिए।

शनिवार को हुए मतदान पर ध्यान दिया जाए तो वर्ष 2019 और 2024 के मतदान के औसत में बहुत अधिक अंतर नहीं है । लगभग लगभग 61 प्रतिशत मतदान 2019 और 2024 में भी हुआ है । अंतर है तो केवल इतना है कि 2019 में चुनाव के मैदान में 12 विजेता होने के दावेदार मौजूद रहे। लेकिन इस बार 2024 में चुनाव के मैदान में कुल आधा दर्जन उम्मीदवार ही अपनी दावेदारी लेकर सक्रिय रहे। पटौदी में 254783 मतदाताओं में से 156 323 मतदाताओं के द्वारा अपनी पसंद के उम्मीदवार को विधायक बनने के लिए मतदान किया गया। इसका औसत 61 प्रतिशत बनता है । जिस समय यह समाचार पढ़ा जा रहा होगा, मतगणना आरंभ होने से लेकर चुनाव परिणाम आने तक कुछ ही घंटे का समय बाकी बचा रहेगा। लेकिन जिज्ञासा और सबसे बड़ा सवाल इसी बात को लेकर है की जनता के द्वारा चुने जाने वाले विधायक और दूसरे नंबर पर रहने वाले उम्मीदवार को कितने वोट प्राप्त हो सकेंगे ?

 राजनीति के जानकारी विशेषज्ञ और गणितज्ञों का मानना है, जिस प्रकार से भाजपा और कांग्रेस उम्मीदवारों के पक्ष में टिकट की दौड़ में शामिल चेहरे मतदान होने तक दिखाई नहीं दिए । उसका कहीं ना कहीं दोनों ही उम्मीदवारों को मिलने वाले वोट की संख्या पर निश्चित रूप से दिखाई देगा। अब यह भविष्य के गर्भ में है और कुछ घंटे इंतजार करना ही विकल्प बचा है । स्पष्ट हो जाएगा विजेता उम्मीदवार को जो विधायक बना उसकी वोट संख्या कितनी रही और जो दूसरे नंबर पर रहा उसके खाते में वोट का आंकड़ा कितना रहा ? बाकी यह देखना भी रोचक रहेगा अन्य जो चार मुकाबले में उम्मीदवार मैदान में रहे, वह कितने लोगों का विश्वास जीतने में सफल रहे हैं।

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