नेताओं को शिक्षित होने के साथ-साथ संस्कारवान भी होना चाहिए

धर्म और संस्कार के कारण ही राजनीति पर बना रहता है नियंत्रण

जन प्रतिनिधि के लिए जनता की सेवा प्राथमिकता होनी चाहिए

कांग्रेस नेत्री श्रीमती पर्ल चौधरी ने महामंडलेश्वर धर्मदेव से लिया मार्गदर्शन

फतह सिंह उजाला

पटौदी । वेद, पुराण, धर्म ग्रंथ और अध्यात्म के प्रकांड विद्वान महामंडलेश्वर धर्मदेव महाराज ने इस बात का पुरजोर समर्थन किया है कि राजनीति में एमएलए, एमपी और मंत्री के लिए शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य होनी चाहिए। विशेष रूप से विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव को देखते हुए मौजूदा समय में इस प्रकार की शैक्षणिक योग्यता का मापदंड अथवा अनिवार्यता जरूर बन चुकी है । यह बात उन्होंने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट और कांग्रेस उम्मीदवार श्रीमती पर्ल चौधरी के पटौदी आश्रम हरी मंदिर परिसर में पहुंचने पर पत्रकारों से चर्चा के दौरान कही।

इससे पहले उच्च शिक्षित कांग्रेस नेत्री श्रीमती पर्ल चौधरी ने महामंडलेश्वर धर्मदेव महाराज का भारतीय सनातन संस्कृति के अनुरूप अभिनंदन करते हुए अपने राजनीतिक, सामाजिक और पारिवारिक भविष्य के लिए मार्गदर्शन प्राप्त किया। दोनों के बीच राजनीति के बदलते हालात और विशेष रूप से शिक्षा, इसमें भी सबसे महत्वपूर्ण महिला शिक्षा के विषय में गंभीर चिंतन और मंथन हुआ। इस मौके पर श्रीमती चौधरी के परिजन सदस्य तथा आश्रम हरी मंदिर संस्कृत महाविद्यालय के अधिष्ठाता महामंडलेश्वर धर्मदेव के उत्तराधिकारी शिष्य विशेष रूप से मौजूद रहे।

सवाल जवाब के सिलसिले में संस्कृत भाषा के प्रकांड विद्वान महामंडलेश्वर धर्मदेव महाराज ने कहा जनप्रतिनिधि निश्चित रूप से संवेदनशील भी होना चाहिए। जो की समाज की संवेदनाओं को भी समझ और महसूस कर सके। उन्होंने कहा शिक्षा का महत्व राजनीति में इसलिए अधिक होता जा रहा है कि जनता के चुने जनप्रतिनिधि को शिक्षा मंत्री या कानून मंत्री बना दिया जाए ! इन हालात में यदि संबंधित व्यक्ति की शैक्षणिक योग्यता नहीं हो तो फिर सवाल भी जवाब मांगने लगते हैं ? राजनीति में धर्म और अध्यात्म के दखल के सवाल का जवाब देते हुए कहा भारतीय सनातन दुनिया में अमिट और सर्वमान्य है। हमारी अपनी अनादि काल से चली आ रही अध्यात्म और सनातन संस्कृति की बदौलत ही आज भी पूरे ब्रह्मांड अथवा दुनिया में हमारा अपना राष्ट्रीय गौरव तिरंगा झंडा शान से फहराया जा रहा है । उन्होंने कहा बेलगाम होती राजनीति को धर्म से नियंत्रित किया जा सकता है । लेकिन धर्म में राजनीति का दखल नहीं होना चाहिए । 

शिक्षित, सभ्य और संस्कारवान जनप्रतिनिधि की व्याख्या करते हुए स्वामी धर्मदेव ने कहा, त्रिलोक विजेता प्रकांड विद्वान रावण के ज्ञान, उसके विवेक और उसके द्वारा अर्जित अलौकिक,  दैवीय शक्तियों से कौन अनभिज्ञ है । लेकिन उसके द्वारा अर्जित ब्रह्मांड के तमाम वेद पुराण धर्म ग्रंथो मैं समाहित शिक्षा और संस्कार होते हुए भी रावण के द्वारा अनैतिक कार्य कर दिए गए। उन्होंने कहा विभिन्न सरकारों के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर सुधार के कार्य किया जा रहे हैं । शिक्षा के क्षेत्र में सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही हैं । शिक्षित होना, संस्कारवान होना और सभ्य होना , यह एक दूसरे के पूरक भी हो सकते हैं और इनमें विभिन्नता भी समाहित है। इस बात में किसी प्रकार की किंतु , परंतु, शंका नहीं होनी चाहिए की मौजूदा समय में विभिन्न राजनीतिक पार्टियों को भी चुनाव में भेजे जाने वाले उम्मीदवारों की शैक्षणिक योग्यता को प्राथमिकता देनी चाहिए।

महामंडलेश्वर धर्मदेव ने तो यहां तक कहा कि हरियाणा में पंचायती चुनाव व्यवस्था की तरह देशभर में विधानसभा और लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों के लिए भी न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता का कानून बनना चाहिए। इसी मौके पर कांग्रेस नेत्री सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट श्रीमती पर्ल चौधरी ने कहा निश्चित रूप से सक्रिय राजनीति में उनके द्वारा प्रदार्पण किया जा रहा है। इसके लिए यह महत्वपूर्ण रहा की सामाजिक, शैक्षणिक और अध्यात्म के प्रकांड विद्वान महामंडलेश्वर धर्मदेव महाराज से समाज, परिवार , प्रदेश और देश हित में कार्य करने के लिए मार्गदर्शन भी प्राप्त हुआ।

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