बसपा कांग्रेस भाजपा में त्रिकोणिया मुकाबला, कांटे की टक्कर अशोक कुमार कौशिक अटेली विधानसभा क्षेत्र में इस बार चुनावी समर बेहद दिलचस्प होता जा रहा है। छह प्रमुख दलों के प्रत्याशी मैदान में है। आम आदमी पार्टी, एसयूसीआई, जजपा का यहां जन आधार नहीं है। वैसे मुख्य मुकाबला बसपा, कांग्रेस व भाजपा के बीच त्रिकोणीय दिखाई दे रहा है। सबसे खास बात यह है कि इस विधानसभा सीट पर पांच उम्मीदवार एक ही राशि के हैं जो चुनावी चर्चा का विषय बने हुए हैं । जनता के बीच पांचो उम्मीदवार अपनी अपनी लोकप्रियता और रणनीतियों के दम पर मतदाताओं को रिझाने में जुटे। अहीर बाहुल्य इस सीट पर एक ही राशि के उम्मीदवारों में अतरलाल बसपा इनेलो गठबंधन, अनीता यादव कांग्रेस, आरती राव भाजपा, आयुषी यादव जजपा तथा कामरेड ओम प्रकाश एसयूसीआई से मैदान में है। उत्तरी हरियाणा में भले ही कांग्रेस के पक्ष में लहर चल रही हो लेकिन दक्षिणी हरियाणा उसके विपरीत चलता है। यहां बेहतरीन सड़के, जमीन अधिग्रहण का मुआवजा, ओलावृष्टि का मुआवजा, समय पर बाजरा व सरसों की फसल की खरीद, बिना पर्ची खर्ची के डी ग्रुप में नौकरियां तथा जाट मुख्यमंत्री का विरोध भाजपा के पक्ष में है तो वहीं प्रॉपर्टी आईडी, परिवार पहचान पत्र, पोर्टल, बेरोजगारी तथा महंगाई से जनता नाराज भी दिखाई देती है। बसपा इनेलो गठबंधन से एडवोकेट अतरलाल बसपा इनेलो गठबंधन से अतरलाल एडवोकेट चुनावी समर में ताल ठोंक रहे है। वह अनुभवी नेता है और उनकी क्षेत्र में अपनी अलग ही पहचान है। पिछला चुनाव भी उन्होंने बसपा के चुनाव चिन्ह पर लड़ा था और वह दूसरे नंबर पर रहे थे। अतर लाल पिछले 10 साल से जनता के बीच में है और उनका जोर गरीब और पिछड़े वर्ग के लोगों के मुद्दों को उठाने पर है। उनके चुनावी अभियान में गठबंधन की नीतियों को बढ़ चढ़कर बताया जा रहा है और वह अपने अनुभव के बल पर एक मजबूत चुनौती पेश कर रहे हैं। पिछला चुनाव हारने के बावजूद लगातार क्षेत्र में जनता के बीच रहकर बच्चे बच्चे की जुबान पर उनका नाम है। वह एकमात्र ऐसे प्रत्याशी है जो लगातार 10 साल से जनता के बीच में है। कांग्रेस से अनीता यादव कांग्रेस की प्रत्याशी अनीता यादव चुनावी दौड़ में प्रमुख उम्मीदवारों में से एक है। अनीता का क्षेत्र सामाजिक कार्यों में योगदान रहा है और वह अनुसूचित जाति व यादव समुदाय के बड़े वर्ग का समर्थन प्राप्त करने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस इस बार भी अपने परंपरागत वोट बैंक को साधने के लिए जोर-जोर से प्रयास कर रही है। अनीता यादव का महिला होने के नाते एक खास वर्ग में अपनी मजबूती पकड़ बनाती दिख रही है। उनका दावा है कि पूर्व सीपीएस रहते हुए यहां उन्होंने अनेक काम करवाएं जिससे उनके प्रति लोग लगातार जुड़ रहे हैं। टिकट मिलते ही उनके समर्थन में लोग जुट रहे हैं। उनका नकारात्मक पहलू यह है कि वह बीच में कांग्रेस को छोड़कर जजपा में रह चुकी है। एक ओर नकारात्मक पहलू यह भी है कि अटेली से वह टिकटार्थी जिनको टिकट नहीं मिला उनके साथ घात कर सकते हैं। वह भी यहां की स्थानीय नहीं है और कोसली की रहने वाली है। पर एक चुनाव में वह यहां से कांग्रेस की टिकट पर प्रतिनिधित्व कर चुकी है। भाजपा से राव बीरेंद्र सिंह की पोती आरती राव भाजपा ने इस बार अटेली विधानसभा क्षेत्र से पूर्व मुख्यमंत्री व दक्षिणी हरियाणा के क्षत्रप स्वर्गीय राव बीरेंद्र सिंह की पोती युवा आरती राव को टिकट दिया हैं। स्वर्गीय राव बीरेंद्र सिंह भी अटेली विधानसभा से चुनाव जीत चुके हैं। वह केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की पुत्री है वह भी महेंद्रगढ़ लोकसभा से चुनाव जीत चुके हैं। उनका संबंध राव तुलाराम के वंश से है। जिसका अहीर मतदाताओं के साथ अन्य वर्ग के लोगों में भी काफी सम्मान है। अहीर राजवंश के साथ परिवार के राजनीतिक अनुभव और पृष्ठभूमि का उन्हें बड़ा लाभ मिल सकता है। भाजपा का संगठनात्मक ढांचा मजबूत है और आरती राव इस चुनाव में अपने पिता की छवि के साथ-साथ पार्टी नीतियों को भुनाने में जुटी हुई है। वह युवाओं और महिलाओं को अपने साथ जोड़ रही है। पार्टी के उच्च स्तरीय नेता भी उनके प्रचार में सक्रिय हैं और मतदाताओं को विकास के नाम पर जिताने की कोशिश हो रही है। उनके चाचा राव अजीत सिंह व उनके सुपुत्र स्वर्गीय राव अर्जुन सिंह (आरती के चचेरे भाई) को अटेली की जनता ने स्वीकार नहीं किया था। इनका नकारात्मक पहलू ये भी है कि वह रेवाड़ी की रहने वाली है और गुरुग्राम में उनका निवास स्थान है। इसके अलावा भाजपा कैडर का विश्वासघात भी उनके लिए नुकसानदायक हो सकता है। जेजेपी से आयुषी यादव जननायक जनता पार्टी से आयुषी यादव चुनाव मैदान में है वह एक युवा चेहरा है और पार्टी की युवा और प्रगतिशील सोच का प्रतिनिधित्व करती हैं। जेजेपी का चुनावी अभियान युवाओं के रोजगार शिक्षा और क्षेत्र के विकास के मुद्दों पर केंद्रित है। उनके पति व पिता की विशेष पहचान का लाभ उनको मिल सकता है। उनके भी दो नकारात्मक पहलू है। पहले यह कि वह रेवाड़ी जिले से संबंध रखती है और बाहरी प्रत्याशी है। उनकी कमजोरी का दुसरा पहलू यह भी है कि जननायक जनता पार्टी यहां पर कोई खास वजूद नहीं रखती और प्रदेश की जनता ने उसको लगभग नकार दिया है। एसयूसीआई कम्युनिस्ट पार्टी से कामरेड ओम प्रकाश एडवोकेट सदा जनता के बीच में रहने वाली पार्टी एसयूसीआई कम्युनिस्ट से कामरेड ओमप्रकाश एडवोकेट चुनावी मैदान में है। वह अटेली के समीप गांव गणियार के निवासी हैं। क्योंकि उनकी पार्टी चुनाव आयोग में अभी रजिस्टर्ड नहीं है इसलिए उनको निर्दलीय का चुनाव चिन्ह ग्लास मिला है। हर छोटे बड़े मुद्दे को लेकर आंदोलनरत रहने वाले कम्युनिस्ट क्षेत्र की जनता में जीत पर विश्वास अर्जित नहीं कर पाए हों पर जनता की समस्याओं को लेकर हमेशा वह आंदोलनरत रहकर उनके बीच में पहचान अवश्य बनाये हुए हैं। अटेली विधानसभा के चुनाव के परिणामों को लेकर चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि इस बार अटेली में त्रिकोणीय मुकाबला है। वैसे किसी भी उम्मीदवार को हल्के में नहीं लिया जा सकता । सभी प्रत्याशी अपनी अपनी ताकत झोंक रहे हैं और मतदाताओं को लुभाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं । खास बात यह है कि चुनावी चर्चा के बीच यह भी सामने आए की पांच प्रत्याशी एक ही राशि के हैं जो कई लोगों के लिए एक दिलचस्प संजोग है। चुनाव प्रचार के मध्य चरण में अब हर पार्टी के उम्मीदवार मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं । चुनाव नतीजे क्या होंगे यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन फिलहाल अटेली की चुनावी तस्वीर बेहद रोमांचक और दिलचस्प बनती दिखाई दे रही है। राव तुलाराम की वंशज व पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय राव बीरेंद्र सिंह की पोती की वजह से अटेली विधानसभा चर्चा में आवश्यक है। Post navigation सोशल एक्टिविस्ट व पूर्व विधानसभा प्रत्याशी इंजीनियर तेजपाल यादव ने नांगल चौधरी से कांग्रेस को दिया अपना समर्थन निवर्तमान सिंचाई मंत्री डॉ अभय सिंह यादव का ग्रामीणों ने किया विरोध, युवको द्वारा जमकर नारेबाजी