वैश्य बिरादरी को भी दी कम सीटे

जातिगत समीकरण क्या बीजेपी को तीसरी बार करेगा सत्तासीन

अशोक कुमार कौशिक 

हरियाणा में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने की जुगत में लगी सत्तारूढ़ भाजपा ने इस बार टिकट आवंटन में पूरी तरह से सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला अपनाया है। अपनी गैर-जाट राजनीति को आगे बढ़ाते हुए भाजपा ने पिछले चुनावों के मुकाबले जाट कोटा इस बार घटा दिया है। 2019 के चुनावों में 20 से अधिक जाट नेताओं को चुनाव लड़वाया गया था। इस बार भाजपा ने 16 ही विधानसभा क्षेत्रों में जाट उम्मीदवार उतारे हैं। वहीं ब्राह्मण व पंजाबी कोटे में बढ़ोतरी है।

11 विधानसभा क्षेत्रों में ब्राह्मण उम्मीदवार दिए हैं। वहीं इतने ही हलकों में पंजाबी नेताओं पर पार्टी ने भरोसा जताया है। 2019 के चुनावों के मुकाबले वैश्य बिरादरी को इस बार कम सीटें मिली हैं। पांच ही बनियों को पार्टी ने टिकट दिया है। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सभी 17 सीटों पर पार्टी उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है। वहीं ओबीसी वोट बैंक को साधते हुए 20 हलकों में पिछड़ा वर्ग के नेताओं को टिकट मिला है।

पहले ओबीसी के कोटे से सीएम नायब सिंह सैनी को नियुक्त किया और अब टिकटों की भागीदारी में उनका प्रतिनिधित्व बढ़ाया है। दस साल में भाजपा ने ओबीसी जाति के उम्मीदवारों में 33 फीसदी की बढ़ोतरी की है। इस बार भाजपा ने ओबीसी के 20 उम्मीदवार उतारे हैं। 2014 में भाजपा ने 15 ओबीसी उम्मीदवारों को टिकट दिया था।

वहीं, 2014 की तुलना में इस बार भाजपा ने जाट समाज के टिकटों में 33 फीसदी की कटौती की है। 2014 में पार्टी ने 24 जाट प्रत्याशी उतारे थे। 2019 में इनकी संख्या घटाकर 19 और 2024 में 16 जाट नेताओं को प्रत्याशी बनाया है। इस बार भाजपा ने जिन सीटों पर जाटों के टिकट काटे हैं, वहां से ओबीसी और ब्राह्मण उम्मीदवार उतारे हैं। भाजपा ने मौजूदा विधानसभा चुनाव में 16 जाट, 20 ओबीसी (7 अहीर, 6 गुर्जर, 7 अन्य पिछड़ी जाति), 1 जट सिख, 2 बिश्नोई, 5 वैश्य, 11 ब्राह्मण, 11 पंजाबी, 3 राजपूत, 2 रोड़, 2 मुस्लिम और अनुसूचित जाति के 17 उम्मीदवार बनाए हैं।

पिछले चुनाव यानी 2019 में 19 जाट, एक जट सिख, नौ पंजाबी, आठ वैश्य, आठ ब्राह्मण, छह अहीर, छह गुर्जर, दो मेव, चार राजपूत, दो रोड़ और अन्य पिछड़ा वर्ग में छह नेताओं को उम्मीदवार घोषित किया था। वहीं, 2014 में 24 जाट, एक सिख जट, नौ पंजाबी, आठ वैश्य, नौ ब्राह्मण, छह अहीर, चार गुर्जर, दो मेव, दो रोड़, तीन राजपूत और अन्य पिछड़ा वर्ग के पांच नेताओं को उम्मीदवार बनाया गया था। 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के केवल छह जाट उम्मीदवार विधानसभा पहुंचे थे। वहीं, 2019 में तीन जाट उम्मीदवार जीते। भाजपा ने इस बार 61 सीटों पर उम्मीदवार बदले हैं। इनमें से अधिकतर वे सीटे हैं, जिन पर भाजपा पिछली बार हार गई थी। 39 सीटों पर नए चेहरे पर भाजपा ने दांव खेला है।

वैश्य के टिकटों में 37 फीसदी कटौती, ब्राह्मण-पंजाबी 22 फीसदी बढ़े

भाजपा ने इस बार वैश्य बिरादरी के टिकटों में कटौती की है। भाजपा ने मौजूदा चुनाव में वैश्य बिरादरी से पांच प्रत्याशी उतारे हैं। पिछले दो चुनावों में वैश्य को आठ टिकट दिए गए थे। पार्टी ने ब्राह्मण-पंजाबियों के टिकटों का कोटा बढ़ाया है। 2014 में पंजाबी और ब्राह्मण समाज के 9-9 उम्मीदवार बनाए गए थे। इस बार उनका प्रतिनिधित्व बढ़ाकर 11-11 किया गया है।

जाट बाहुल्य 4 सीटें पर दूसरी जातियों के प्रत्याशी

हिसार के बरवाला और जींद के जुलाना विधानसभा क्षेत्र से ओबीसी प्रत्याशियों को टिकट दिया गया है। बरवाला से पार्टी ने रणबीर गंगवा और जुलाना से कैप्टन योगेश बैरागी को उम्मीदवार बनाया है। सिरसा की ऐलनाबाद सीट से पंजाबी समुदाय के अमीर चंद मेहता और उचाना कलां से ब्राह्मण समाज के देवेंद्र अत्री को उम्मीदवार घोषित किया है।

यहां से उतारे जाट उम्मीदवार

कलायत से कमलेश ढांडा, पानीपत ग्रामीण से महिपाल ढांडा, टोहाना से देवेंद्र बबली, नारनौंद से कैप्टन अभिमन्यु, नलवा से रणधीर पनिहार, लोहारू से जेपी दलाल, बाढड़ा से उमेद पातुवास, दादरी से सुनील सांगवान, तोशाम से श्रुति चौधरी, महम से दीपक हुड्डा, गढ़ी सांपला किलोई से मंजू हुड्डा, बादली से ओमप्रकाश धनखड़, बेरी से संजय कबलाना, राई से कृष्णा गहलावत और बरौदा से प्रदीप सांगवान को मैदान में उतारा है।

अपनों को टिकट दिलाने में सफल रहे

भाजपा की सूची में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल और राव इंद्रजीत का दबदबा दिख रहा है। मनोहर के करीबियों में निखिल मदान, देवेंद्र अत्री, गौरव गौतम, योगेंद्र राणा, कृष्ण कुमार बेदी, मनीष ग्रोवर, धनेश अदलखा को टिकट मिला है। वहीं, राव के खेमे से आरती राव, ओम प्रकाश यादव, डॉ. कृष्ण कुमार, बिमला चौधरी, अनिल डहिना को टिकट मिला है। 

इस बार तीन और पंजाबी नेताओं को टिकट 

भाजपा ने अपने पहली लिस्ट में 13 जाट उम्मीदवार उतारे थे। मंगलवार को जारी हुई लिस्ट में तीन और जाट नेताओं – बरोदा से प्रदीप सांगवान, राई से कृष्णा गहलावत और हथीन से मनोज रावत को टिकट दिया है। नौ ब्राह्मणों को पार्टी ने पहली लिस्ट में उम्मीदवार बनाया था। वहीं दूसरी लिस्ट में गन्नौर से देवेंद्र कौशिक और पिहोवा से जयभगवान शर्मा ‘डीडी’ को टिकट दिया है। इसी तरह पहली टिकट में शामिल आठ पंजाबी उम्मीदवारों के बाद भाजपा ने इस बार तीन और पंजाबी नेताओं को टिकट दिया है।

मुस्लिम बाहुल्य सीट पर खेला हिंदू कार्ड

हरियाणा के राजपूत वोट बैंक को अपने साथ जोड़े रखने के लिए भी भाजपा ने इस बार राजपूत कोटे को बढ़ा दिया है। रादौर से पूर्व विधायक श्याम सिंह राणा को पहले ही टिकट दिया जा चुका है। दूसरी लिस्ट में असंध से करनाल जिलाध्यक्ष योगेंद्र राणा को उम्मीदवार बनाया है। सोहना विधायक व नायब सरकार में राज्य मंत्री संजय सिंह की टिकट पहली लिस्ट में कट गई थी, लेकिन राजपूत कोटे से अब संजय सिंह को नूंह से टिकट दिया है। मुस्लिम बाहुल्य इस सीट पर भाजपा ने हिंदू कार्ड खेला है। वहीं पिहोवा से सिख की टिकट कटने के बाद यह कोटा डबवाली में सरदार बलदेव सिंह मांगीयाना के रूप में पूरा कर दिया है।

40 सीटों पर प्रभावी हैं जाट मतदाता

राज्य की आबादी में जाटों की हिस्सेदारी लगभग 25 प्रतिशत है। पंजाबी लगभग 8 प्रतिशत, ब्राह्मण 7.5 प्रतिशत, अहीर 5.14 प्रतिशत, वैश्य 5 प्रतिशत, गुर्जर 3.35 प्रतिशत, जाट सिख 4 प्रतिशत, राजपूत 3.4 प्रतिशत, सैनी 2.9 प्रतिशत, कुम्हार 2.7 प्रतिशत, मेव और मुस्लिम लगभग 3.8 प्रतिशत, बिश्नोई करीब 0.7 फीसदी हैं। अनुसूचित जातियां करीब 21 फीसदी हैं, जिनमें वाल्मीकि, धानक, खटीक शामिल हैं। जानकर मानते हैं कि जाट मतदाता 12 आरक्षित सीटों समेत लगभग 40 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव परिणाम प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। वहीं, 7-9 विधानसभा सीटों पर अहीर निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

सबसे बुजुर्ग गौतम, दीपक हुड्डा सबसे युवा

भाजपा के 90 उम्मीदवारों में सफीदो के उम्मीदवार राम कुमार गौतम ( 78) सबसे बुजुर्ग हैं। गौतम के बाद श्याम सिंह राणा और ज्ञानचंद गुप्ता 76 साल के हैं। वहीं, महम के उम्मीदवार दीपक हुड्डा सबसे युवा हैं। दीपक के बाद भव्य बिश्नोई 31 साल के हैं।

चार मंत्रियों समेत 14 विधायकों के टिकट काटे

भाजपा ने तीसरी बार सत्ता हासिल करने के लिए अपने चार मंत्रियों समेत 14 विधायकों के टिकट काटे हैं। मंत्रियों में ऊर्जा मंत्री रणजीत चौटाला, जनस्वास्थ्य मंत्री डा. बनवारी लाल, शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखा और समाजिक अधिकारिता मंत्री विशंभर वाल्मीकि का टिकट काट दिया है। वहीं, विधायकों में दीपक मंगला, नरेंद्र गुप्ता, सुधीर सिंगला, सीताराम यादव, संदीप सिंह, लक्ष्मण नापा, सत्यप्रकाश जरावता, प्रवीण डागर, निर्मल रानी, जगदीश नायर को इस बार मौका नहीं मिला है।

तेवर पड़े ढीले

अधिकतर बागियों को मनाने में पार्टी कामयाब रही। पूर्व शिक्षा मंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता रामबिलास शर्मा, बड़खल विधायक सीमा त्रिखा, पूर्व विधायक नरेश कौशिक, पूर्व विधायक राव बहादुर सिंह और पानीपत से पूर्व पार्षद लोकेश नांगरू को पार्टी ने मना लिया है।

जातियों का जमाजोड़ः जाटों के टिकट कम कर दिए

भाजपा ने इस साल 16 जाट, एक जट सिख, दो बिश्नोई, पांच वैश्य, 11 ब्राह्मण, 11 पंजाबी, तीन राजपूत, दो रोड़, सात अहीर, छह गुर्जर व अन्य पिछड़ी जातियों को सात, दो मुस्लिम और अनुसूचित जातियों के 17 उम्मीदवार बनाए हैं। 2019 में 19 जाट, एक जट सिख, नौ पंजाबी, आठ वैश्य, आठ ब्राह्मण, छह अहीर, छह गुर्जर, दो मेव, चार राजपूत, दो रोड और अन्य पिछड़ा वर्ग में छह नेताओं को उम्मीदवार घोषित किया था।

11 पूर्व मंत्रियों पर दांव

11 पूर्व मंत्रियों पर दांव लगाया है। इनमें अनूप धानक, कैप्टन अभिमन्यु, ओमप्रकाश धनखड़, देवेंद्र सिंह बबली, मनीष ग्रोवर, ओमप्रकाश यादव, कृष्णा गहलावत, कृष्ण कुमार बेदी, कमलेश ढांडा, ओम प्रकाश धनखड़, विपुल गोयल, कृष्ण लाल पंवार, राव नरबीर सिंह को उम्मीदवार बनाया है।

दस महिलाएं मैदान में

दस महिलाओं शक्तिरानी शर्मा, संतोष सरवन, कमलेश ढांडा, कृष्णा गहलावत, बिमला चौधरी, आरती सिंह राव, श्रुति चौधरी, मंजू हुड्डा, रेनू डाबला, सुनीता दुग्गल को मैदान में उतारा है।

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