मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने 11 सितम्बर को मंत्रीमंडल की बैठक बुलाकर मजबूरी में विधानसभा भंग करने की सिफारिश करके अपने को भूतपूर्व होने से बचाकर चुनाव परिणामों तक कार्यकारी मुख्यमंत्री बने रहने की तिकडम भिडाई है : विद्रोही

13 सितम्बर 2024 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने दावा कि विधानसभा को भंग करवाके मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने स्वयं स्वीकार कर लिया है कि उन्हे बहुमत प्राप्त नही था और भाजपा सरकार अल्पमत सरकार थी। विद्रोही ने कहा कि यदि भाजपा सरकार बहुमत में होती तो संवैद्यानिक नियमों का पालन करते हुए 13 मार्च के हरियाणा विधानसभा अधिवेशन व 12 सितम्बर 2024 के बीच 6 माह के अंतराल में विधानसभा अधिवेशन बुलाने की संवैद्यानिक बाध्यता का पालन करते न कि चुनावों के बीच विधानसभा को भंग करने की मंत्रीमंडल सिफारिश करता। इस पूरे घटनाचक्र से यह भी साबित हो गया कि भाजपा का लोकतंत्र व लोकतांत्रिक परम्पराओं, संविधान में पैसेभर की आस्था नही है। यदि भाजपा कीे संविधान में जरा भी आस्था होती तो जिस दिन प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने राज्यपाल को नायब सिंह सैनी भाजपा सरकार के अल्पमत में होने का ज्ञापन दिया था, उसके बाद क्या तो मुख्यमंत्री विधानसभा का अधिवेशन बुलाकर अपना बहुमत साबित करते या त्याग पत्र देते। 

विद्रोही ने कहा कि मुख्यमंत्री नायब सिंह ने इन दोनो बातों में एक भी बात स्वीकारने की बजाय 6 माह तक विधानसभा अधिवेशन न बुलाकर लोकतांत्रिक परम्पराओं, संविधान को न केवल ठेंगा दिखाया अपितु प्रमाणित किया कि भाजपा की संविधान में किंचित मात्र की आस्था नही है। चुनावों के ठीक बीच जब यह नौबत आ गई कि यदि विधानसभा भंग नही हुई तो प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग जायेगा और चुनावों से पहले नायब सिंह की मुख्यमंत्री की कुर्सी छिनकर उन्हे भूतपूर्व मुख्यमंत्री बना देगी, तब नायब सिंह सैनी ने 11 सितम्बर को मंत्रीमंडल की बैठक बुलाकर मजबूरी में विधानसभा भंग करने की सिफारिश करके अपने को भूतपूर्व होने से बचाकर चुनाव परिणामों तक कार्यकारी मुख्यमंत्री बने रहने की तिकडम भिडाई है। विद्रोही ने कहा कि तकनीकी रूप से बेशक नायब सिंह सैनी कार्यकारी मुख्यमंत्री बनने में कामयाब हो गए लेकिन यह भाजपा की नैतिक हार है। यदि भाजपा में जरा भी नैतिकता होती और लोकतंत्र, संविधान में पैसेभर की आस्था होती तो 6 माह के अंतराल में विधानसभा अधिवेशन बुलाने में असमर्थ रहने के चलते हरियाणा में राष्ट्रपति शासन लगाने का रास्ता साफ करना चाहिए था न कि चोर दरवाजे से नायब सिंह सैनी के कार्यकारी मुख्यमंत्री बने रहने की तिकडम भिडानी चाहिए थी।    

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