विधानसभा भंग करना सरकार की मजबूरी थी ?

भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

चंडीगढ़। पिछले दिनों भी भारत सारथी लिखता रहा है कि हरियाणा विधानसभा को भंग करना नायब सैनी की मजबूरी हो सकती है। आज प्रात: भी शीर्षक मौजूदा 14वीं हरियाणा विधानसभा को तत्काल भंग करके ही टाला जा सकता है प्रदेश संवैधानिक संकट, जिसमें कहा है कि नियम अनुसार तय मास में विधानसभा का सत्र बुलाना आवश्यक है। और इससे पूर्व 13 मार्च को मुख्यमंत्री नायब सैनी ने बहुमत सिद्ध कर शपथ ली थी। अत: 12 सितंबर से पूर्व सत्र बुलाना आवश्यक था।

इसी बीच चुनाव आयोग द्वारा विधानसभा चुनाव की घोषणा हो गई लेकिन घोषणा होने के पश्चात ऐसा कोई नियम नहीं है कि सत्र नहीं बुला सकते। लेकिन वर्तमान सरकार के पास मजबूरी यह थी कि उन्होंने पांच अध्यादेश जारी कर रखे हैं। यदि तय माह में सत्र बुलाकर उनको पास न किया जाए तो उन अध्यादेशों की वैद्यता केवल 6 माह तक रह जाती है। वर्तमान स्थिति में जिस प्रकार भाजपा में भगदड़ मची है, विधानसभा में यह अध्यादेश भाजपा द्वारा पास कराने मुमकिन नजर नहीं आ रहे थे। लेकिन यदि विधानसभा भंग हो जाती है तो वह अध्यादेश लागू रहेंगे।

ऐसे में यदि वह अध्यादेश निरस्त हो जाते हैं तो भाजपा को झटकों में झटका और लग सकता था। जनता उनके और विरूद्ध हो जाती। ऐसी स्थिति में विधानसभा भंग करना ही एकमात्र विकल्प था।

निम्न पैरा में पढि़ए अध्यादेशों के बारे में:
गत माह प्रदेश सरकार द्वारा हरियाणा के राज्यपाल से कुल 5 अध्यादेश (आर्डिनेंस) भारत के संविधान के अनुच्छेद 213(1) में प्रख्यापित (जारी) करवाए गये जिसमें प्रदेश में कॉन्ट्रैक्ट (संविदा) आधार पर कार्यरत कर्मचारियों को सेवा में सुरक्षा प्रदान करने बारे एक अध्यादेश, प्रदेश के नगर निकायों (नगर निगमों, नगर परिषदों और नगरपालिका समितियों) और पंचायती राज संस्थाओं में पिछड़ा वर्ग ब्लाक बी के व्यक्तियों को आरक्षण प्रदान करने बारे कुल तीन अध्यादेश और हरियाणा शामलात (सांझा) भूमि विनियमन (संशोधन) अध्यादेश शामिल है।

हेमंत ने बताया कि अगर मौजूदा 14 वीं हरियाणा विधानसभा का अगला सत्र 12 सितम्बर तक बुलाया जाता है, तो उस सत्र में उपरोक्त पाँचों अध्यादेश प्रदेश सरकार द्वारा विधेयक के तौर पर सदन में पेश करना अनिवार्य होगा जिसके बाद सदन चाहे उन्हें पारित कर सकता है। अगर किसी भी कारण से ऐसा नहीं हो पाता है, तो उस परिस्थिति में उनकी वैधता उस सत्र की तारीख से केवल 6 सप्ताह तक ही रहेगी। बहरहाल, अगर 14 वीं हरियाणा विधानसभा को 12 सितम्बर तक भंग कर दिया जाता है, तो ऐसा होने से उपरोक्त पांचों अध्यादेश की वैधता पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

Post Comment

You May Have Missed

error: Content is protected !!