पटौदी में कोई भी विधायक लगातार दो बार चुनाव नहीं जीता पार्टी तो लगातार दो चुनाव जीती लेकिन उम्मीदवार को बदलने के बाद लोगों के बीच में चर्चा इतिहास अपने आप को अवश्य दोहराता आया फतह सिंह उजाला पटौदी । लोकसभा चुनाव में पहले के मुकाबले आधी सीट ही जितने वाली बीजेपी विधानसभा चुनाव में बहुमत के साथ सरकार बनाने के लिए रणनीति बनाने में लगी हुई है । 2019 में मोदी लहर पर सवार बीजेपी के द्वारा 75 पर का दावा किया गया। इसके विपरीत 40 संख्या पर ही आकर बीजेपी की टीम ठहर गई। सरकार और बीजेपी पार्टी का नया कप्तान बनाए जाने के बाद एक बार फिर से प्रचंड बहुमत का दावा किया जा रहा है। आरक्षित सीट पटौदी विधानसभा सीट की बात की जाए तो यहां का राजनीतिक इतिहास अलग ही इतिहास अपने आप में समेटे हुए हैं । इसी इतिहास को देखते हुए बीजेपी के लिए ‘पटौदी में विक्ट्री की हैट्रिक बनाना चैलेंज’ कहा जा रहा है । जैसे-जैसे चुनाव में एक-एक दिन कम होता जा रहा है , लोगों के बीच में चर्चा भी होने लगी है कि इतिहास अपने आप को अवश्य दोहराता आया है । लोगों का इशारा सीधा पटौदी विधानसभा चुनाव में किसी भी विधायक का लगातार दो बार चुनाव नहीं जीतने की तरफ है। सीधा-सीधा गणित यह है कि हरियाणा बनने के बाद में पटौदी विधानसभा क्षेत्र से अभी तक कोई भी व्यक्ति, नेता या विधायक लगातार दो विधानसभा चुनाव जीत कर विधायक नहीं बन सका है । मौजूदा समय में आरक्षित सीट पटौदी से भारतीय जनता पार्टी की टिकट के दावेदारों की बात की जाए तो मौजूदा विधायक सत्य प्रकाश, सीएम नायब सैनी की जन आशीर्वाद रैली के प्रचार के समय से ही भाजपा की टिकट पर अपनी दावेदारी ठोकते आ रहे हैं । सूत्रों के मुताबिक बीजेपी पार्टी हाई कमान और बीजेपी चुनाव समिति , संगठन में पदाधिकारी को चुनाव लड़वाने से परहेज करती हुई दिखाई दे रही है। मौजूदा समय में पटौदी सीट पर बीजेपी से चुनाव लड़ने के इच्छुक और टिकट के दावेदारों की संख्या लगभग एक दर्जन बनी हुई है । इन टिकट के दावेदारों में मौजूदा विधायक के अलावा बीजेपी पार्टी के ही स्थानीय पदाधिकारी भी शामिल है। बीजेपी की टिकट दावेदारों में ऐसे चेहरे भी शामिल हैं , जो की भाजपा संगठन और आरएसएस पृष्ठभूमि से भी जुड़े हुए रहे हैं । बीजेपी की पटौदी सीट से टिकट की दावेदारी में करीब आधा दर्जन महिला नेत्री के द्वारा भी अपनी दावेदारी मजबूती के साथ प्रस्तुत की जा रही है। टिकट के दावेदारों में ऐसे चेहरे भी शामिल है, जो की अपनी ही पार्टी के विधायक को कई मुद्दों को लेकर कठघरे में खड़ा कर चुके हैं। अब देखना यही है कि सत्ताधारी पार्टी जो की एक दशक से सत्ता में है । बीजेपी पार्टी के द्वारा पटौदी में हैट्रिक बनाने के लिए क्या रणनीति अमल में लाई जाएगी । या फिर लोगों की चर्चा के मुताबिक इतिहास एक बार फिर से अपने आप को दोहराने का काम करेगा। Post navigation पटौदी विधानसभा सीट … महिला दावेदारों ने बढ़ाई पॉलिटिकल पार्टियों की टेंशन ! .. आधा अधूरा बिलासपुर फ्लाईओवर चुनावी मुद्दा बनेगा !